Tuesday, May 21, 2024
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जहाँ स्वास्थ्य विभाग बदहाल नजर आ रहा,वही झोलाछापों की हो रही चांदी

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अनदेखी व लापरवाही के कारण ठगी का शिकार हो रहे लोग
शिवली, कानपुर देहात। लगातार फैल रही वायरल फीवर व मलेरिया डेंगू एव जीका वायरस जैसी महामारी के बाद भी स्वास्थ्य विभाग बदहाल नजर आ रहा है। सरकार के सख्त निर्देशो के बाद भी अधिकारियों की अनदेखी व लापरवाही से असहाय गरीब मरीजो लगातार ठगी के शिकार हो रहे है। सरकारी मुलाजिमों की हीला हवाली का फायदा झोलाछाप डॉक्टर जमकर उठाते दिखाई दे रहे है साथ ही सरकारी चिकित्सालय मात्र रेफर सेंटर की भूमिका अदा कर रहे है। सीएचसी व पीएचसी में रिफर होने वाले मरीज प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंच झोलाछाप डॉक्टरो से ईलाज कराने को मजबूर है ।
ग्रामीण क्षेत्रों में वायरल फीवर मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, वही दूसरी तरफ सरकारी चिकित्सालय मात्र रेफर सेंटर की भूमिका में ही दिखाई दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमन्य एवं बिना पंजीयन के ही संचालित निजी चिकित्सालय में मरीजों के तीमारदारों को लूटने में लगे हैं, मजबूरी के चलते पीड़ित स्थानीय झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़कर नए संकट के मुंह मे जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय मलेरिया एवं वायरल बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकार लगातार स्वास्थय विभाग पर कमर कसती नजर आती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी सरकार के आदेशों के अवहेलना करते नजर आते हैं। ग्रामीण व कस्बो में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इन संक्रमित बीमारियों के उपचार की उचित व्यवस्था है। सीएचसी पर मरीजों को भर्ती करने और उत्तम जांच आदि की पूरी व्यवस्था के साथ उपचार मिलेगा। लेकिन ऐसा संभव नहीं है शिवली मैथा स्वास्थ्य केंद्र व सीएचसी पर नजर दौड़ाई जाए, तो मरीजो को भर्ती कर उपचार करने वालों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है, लेकिन रेफर करने की संख्या सैकड़ों में देखा जा सकता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल तो जिला अस्पताल रिफर कर सभी अपना अपना पलड़ा झाड़ते दिखाई देते है । ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वाथ्य कर्मी ईलाज के नाम पर खानापूर्ति करते दिखाई देते है। इस अव्यवस्था के दौर में लोगों की मजबूरी हो जाती है कि वह प्राइवेट निजी चिकित्सालय में अपने संबंधित रोगों का उपचार कराने को मजबुर होते है। प्राइवेट अस्पतालों व झोला छाप डॉक्टरो के पास इलाज कराने के लिए तीमारदारों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। यहाँ तक ईलाज के लिए लोगों को अपनी खेत घर जेवरात गिरवी रखकर उपचार कराना पड़ता है। स्वास्थ्य कर्मी सरकार द्वारा भले ही हर महीने वेतन के नाम पर अच्छी खासी पोटली प्राप्त करते हो, लेकिन संकट के दौर में है हाथ खड़े करते नजर आते हैं। इस समय शहर में स्थापित निजी चिकित्सालय में देखा जाए तो संक्रमित मरीजों की संख्या सैकड़ों में है, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी संख्या बहुत कम नजर आती है। कस्बा व ग्रामीण क्षेत्रो की स्थिति भी बद से बत्तर बनी है। लेकिन निजी चिकित्सालय व झोलाछाप डॉक्टरों के यहाँ मरीजो की संख्या काफी कम नही दिखती है। अमित प्रजापति, पंकज राजपूत, नीलू अवस्थी, हिमांशू शर्मा, प्राइवेट अस्पतालों ने सरकारी अस्पतालों को पछाड़ तेजी से रफ्तार पकड़ रखी है। साथ ही मरीजो के ईलाज के नाम पर जबरजस्त उगाई की जाती है । सीएचसी शिवली व मैथा पीएचसी में सिर्फ एडमिट कर उपचार की व्यवस्था खोखली साबित हो रही है। मरीज प्राइवेट अस्पताल झोलाछाप डॉक्टरों के पास पहुंच कर इलाज कराने को मजबूर है।