Thursday, November 28, 2024
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भारत.पाकिस्तान 1971 के युद्ध में फिरोजाबाद दो होमगार्ड हुए थे शामिल

 पेमेश्वर गेट निवासी शंकरलालएरामनगर निवासी राजकिशोर कुलश्रेष्ठ को प्रशिक्षण देकर युद्ध में भेजा था

उस समय सरकार की ओर से मिले थे दो मेडल,परिवार की आर्थिक हालत खस्ताएशासन की ओर से नहीं ली गई इन परिवारों की सुध

फिरोजाबाद। 1971 में भारत.पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में फिरोजाबाद शहर के दो होमगार्डों ने अहम भूमिका निभाई थी। उनको उक्त लड़ाई लड़ने के लिए न सिर्फ भेजा था बल्कि उसके बाद दो मेडल प्रदान किए गए थे। लेकिन इन परिवारों को शासन की ओर से आज तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिली। बल्कि जीवित रहते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। होमगार्डों के परिवार आज भी मुफलिसी में जीवन व्यतीत करने को विवश हैं।भारत.पाकिस्तान के मध्य 1971 में युद्ध हुआ था। इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच चले युद्ध के दौरान 3900 जवान शहीद हुए और 9851 जवान घायल हुए थे। भारतीय फौज के समक्ष पाक के 93 हजार जवानों ने आत्मसमर्पण किया था। पाकिस्तान को मिली हार के बाद उस समय के पूर्वी पाकिस्तान जिसे वर्तमान में बांग्लादेश कहते हैं उसे पाकिस्तान की चंगुल से आजाद कराने का काम भारतीय सेना ने किया था। इस युद्ध के दौरान फिरोजाबाद के पेमेश्वर गेट निवासी शंकरलाल पुत्र रामसहाय ने अपने साथी रामनगर निवासी राजकिशोर कुलश्रेष्ठ के साथ प्रतिभाग किया था। शंकरलाल के परिजनों का कहना था कि फौज की कमी के चलते होमगार्डों को आगरा पुलिस लाइन में हथियार चलाने का प्रशिक्षण देकर युद्ध में भेज दिया था। इस युद्ध में प्रतिभाग करने के बाद दोनों वापस लौटे तो उनको दो मेडल प्रदान किए गए थे। इन मेडलों को शंकरलाल के परिजन आज भी सुरक्षित रखे हैं। भारत.पाकिस्तान युद्ध में जाने के बाद भी शंकरलाल के परिवार को शासन एवं प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली।

26 जनवरी 1999 को मुख्यमंत्री को भेजा था पत्र

 शंकरलाल ने जीवित वस्था के दौरान 26 जनवरी 1999 को प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। इसमें स्पष्ट लिखा था कि 20 साल तक होमगार्ड विभाग में रहकर निशुल्क बिना किसी स्वार्थ के केवल खाना.खुराक पर सेवा की। देशभक्ति की भावना से ओत.प्रोत होकर 1971 भारत. पाक युद्ध में देश की ओर से हिस्सा लिया और जीत पाई। उन्होंने कहा युद्ध के दौरान देश के लिए सेवा करने वाले जवानों की सुधि नहीं ली। वर्तमान में उनके परिवार में दो पुत्र सत्यप्रकाश एवं श्री कृष्ण चित्तौड़ी तथा दो बेटी प्रेमवती एवं विद्यादेवी हैं। शंकरलाल का परिवार ईंट एवं गारे से बनाए गए काफी पुराने मकान में जीवन गुजारने को मजबूर है। इससे पहले मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री के उप सचिव ने शंकरलाल के पत्र का जवाब भेजा था।