Friday, May 3, 2024
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पत्रकार पर हो रहे लगातार हमले निंदनीय , भारतीय प्रेस परिषद ने लिया संज्ञान

हाथरस। कोतवाली चन्दपा क्षेत्र के गांव महमूदपुर जाटान में अमर तनाव समाचार पत्र के पत्रकार गोविन्द कुमार शर्मा पर दिनांक 15 जून 2021 राशन की दुकान की जांच करने के दौरान मोबाइल फोन तोडते हुए जानलेवा हमला किया था। गांव में जांच करने पूर्व जिलापूर्ति अधिकारी सुरेन्द्र यादव पहुंचे थे।जिनके द्वारा बनाये गये षड्यंत्र व इशारे पर राशन डीलर पक्ष के लोगों ने कवरेज कर रहे पत्रकार का मोबाइल फोन तोडते हुए जान लेवा हमला किया था। पत्रकार ने किसी तरह भागकर उमाशंकर पुत्र केशव देव के घर में घुसकर अपनी जान बचाई थी।और वहां से तत्काल डायल 100/112,थाना प्रभारी चन्दपा, पुलिस अधीक्षक हाथरस व जिलाधिकारी हाथरस को फोन कर मामले की जानकारी दी।कुछ समय बाद भारी संख्या में पुलिस फोर्स गांव में पहुंच गया। जिसमें एक गाडी में पत्रकार और हमलावरों के साथी को गाडी में डालकर थाने ले गई।और एक गाडी में आये पूर्व वरिष्ठ उप-निरीक्षक जगवीर सिंह गांव में ही पूर्व ग्राम प्रधान के घर बैठे रहे। जिन्होंने हमलावरों व पूर्व जिला पूर्ति अधिकारी सुरेन्द्र यादव ने षड्यंत्र पूर्वक फर्जी मुकद्दमा लिखवाने के लिए एक व्यक्ति से तहरीर लिखवाई गई।जिस तहरीर को कुछ समय बाद पूर्व वरिष्ठ उप-निरीक्षक जगवीर सिंह थाने ले गये। जहां चन्दपा पुलिस ने हमलावर के साथी को अपने कार्यालय में बिठा लिया और पत्रकार से तहरीर ले ली। और तहरीर लेने के बाद में पत्रकार को 4 घन्टे तक थाने में बिठाये रखा और नाहीं पत्रकार का मेडीकल कराया और नांही मुकद्दमा पंजीकृत किया। पूर्व वरिष्ठ उप-निरीक्षक जगवीर सिंह द्वारा पत्रकार के विरुद्ध फर्जी तहरीर लिखवाकर प्रभारी निरीक्षक को दे दी गई।करीब 4 घन्टे बाद हमलावर जिस व्यक्ति के नाम से फर्जी मुकद्दमा लिखवाने की तहरीर दी गई थी उसे अपनी गाड़ी में डालकर थाने ले गये।चन्दपा पुलिस ने पत्रकार पर फैसला करने का काफी दवाब बनाया।जबकि हमलावरों ने जिस व्यक्ति से फर्जी मुकद्दमा दर्ज कराने के लिए जो तहरीर दिलवाई थी,वह व्यक्ति पूर्व थाना प्रभारी चन्दपा प्रदीप जादौन,पूर्व वरिष्ठ उप-निरीक्षक जगवीर सिंह, पूर्व उप-निरीक्षक प्रमोद कुमार शर्मा व पूर्व उप-निरीक्षक धीरेन्द्र सिंह यादव के सामने बैठकर ही किसी और व्यक्ति का नाम ले रहा था कि मुझे उन्होंने मारा है, जिसकी वीडियो क्लिपिंग पत्रकार ने बनाई थी। लेकिन आंखों की अंधी कानों की बहरी चन्दपा पुलिस तो हमलावरों के इशारे पर काम कर रही थी। और पत्रकार पर फैसला करने का काफी दवाब बनाया गया,लेकिन पत्रकार ने फैसला करने से साफ इंकार कर दिया और तो चन्दपा पुलिस ने पत्रकार व उसके साथ आये सभ्रांत ग्रामीणों के साथ बदसलूकी व अपमानित करते हुए थाने से भगा दिया।और हमलावरों से मोटी रकम ऐंठ कर गाडी में डालकर लाये जाने वाले हमलावरों के साथी को छोड दिया। इसके बाद पत्रकार पूर्व पुलिस अधीक्षक हाथरस विक्रान्त वीर से मिला जिन्होंने पूर्व क्षेत्राधिकारी सादाबाद योगेश कुमार को मामले की जांच सौंप दी।पत्रकार अपनी जांच के संबंध में व साक्ष्य प्रस्तुत करने पूर्व क्षेत्राधिकारी सादाबाद योगेश कुमार से मिला तो उन्होंने बिना साक्ष्य देखते हुए पत्रकार को हडकाते हुये जेल भेजने की धमकी दे डाली।पत्रकार चुपचाप अपने घर आ गया।और पूर्व क्षेत्राधिकारी सादाबाद योगेश कुमार ने मामले की जांच पूर्व प्रभारी निरीक्षक चन्दपा को दे दी।जिसकी जांच पूर्व उप-निरीक्षक धीरेन्द्र सिंह यादव ने बिना किसी मौके की जांच कर पत्रकार के विरुद्ध बढ़ा-चढ़ाकर हमलावरों के के पक्ष में उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित कर दी। तत्पश्चात पत्रकार गोविन्द कुमार शर्मा ने भारतीय प्रेस परिषद में पूर्व जिलाधिकारी हाथरस प्रवीन कुमार लक्षकार,पूर्व पुलिस अधीक्षक हाथरस विक्रान्त वीर, पूर्व जिला पूर्ति अधिकारी हाथरस सुरेन्द्र यादव,पूर्व क्षेत्राधिकारी सादाबाद योगेश कुमार,पूर्व प्रभारी निरीक्षक थाना चन्दपा प्रदीप जादौन,पूर्व वरिष्ठ उप-निरीक्षक चन्दपा जगवीर सिंह, पूर्व उप-निरीक्षक चन्दपा प्रमोद कुमार शर्मा,धीरेन्द्र सिंह यादव, पूर्व ग्राम प्रधान दिनेश चन्द्र व पूर्व राशन डीलर हरीमोहन के विरुद्ध शिकायत की थी। पत्रकार की शिकायत का संज्ञान लेते हुए भारतीय प्रेस परिषद ने सभी प्रतिवादियों को 15 दिवस में अपना टिप्पण हेतु नोटिस जारी कर दिया।जिसमें केवल एक प्रतिवादी पूर्व जिलाधिकारी हाथरस प्रवीन कुमार लक्षकार द्वारा जनपद मिर्जापुर से अपना लिखित रूप से टिप्पणी नोटिस का जवाब दिया गया है। अन्य 9 प्रतिवादियों द्वारा अभी तक टिप्पण नोटिस पर कोई भी टिप्पणी नहीं की गई।जिस मामले में आज अन्य 9 प्रतिवादियों के लिए लिखित वक्तव्य के लिए नोटिस प्रेषित कर दिया है। जिसमें प्रारम्भिक रूप में जांचोपरांत माननीय अध्यक्ष महोदय भारतीय प्रेस परिषद ने विचार व्यक्त किए हैं कि प्रकरण प्रेस की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण/कुठाराघात का प्रतीत होता है। अगर दो सप्ताह के अंदर प्रतिवादियों द्वारा भारतीय प्रेस परिषद लिए कोई लिखित वक्तव्य नहीं दिया जाता है तो उनके विरुद्ध भारतीय प्रेस परिषद द्वारा अग्रिम आवश्यक वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।