Friday, May 3, 2024
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जनता की जंग ने हिलाया राष्ट्रीय संगठन, मुखिया कल हाथरस में

-बाहरी के समर्थकों की रात की नींद उड़ी और सर्दी में आया पसीना
-कलम की कमान पर भी मुद्रा का भारी बजन
-मंत्रणा बैठकों के चल रहे हैं लगातार दौर
-प्रचार से ज्यादा के आगवन की चिंता सता रही बाहरी के समर्थकों को

हाथरस। संगठन में शक्ति होती है यह रस की नगरी हाथरस की जनता ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। हाथरस की जनता का बाहरी को लेकर विरोध और प्रदर्शन ने संगठन को सोच के लिए मजबूर कर दिया। स्थानीय संगठन कारण कुछ भी बताये, लेकिन मुख्य बजह कुछ और है। कहावत है कि’ “समझदार को इशारा काफी होता है।” वही तमंगा यहां लागू होता है। हाथरस की जनता को एक बार फिर नमन है। जनता को यह दिखाना चाहिए कि भारत के साथ-साथ हाथरस जनता भी जनतंत्र की बारीक जानकर है। हालांकि सूत्र यह बताते हैं कि संगठन के राष्ट्रीय मुखिया का हाथरस आना तो बाहरी की बहाली नहीं है, लेकिन यहां के कुछ संगठक और पूर्व पदाधिकारी के अलावा एक जनप्रतिनिधि भी अपनी साख बचाने की गणित में हैं। मंत्रणाओं का दौर चल पड़ा है कि आखिर संगठन के राष्ट्रीय मुखिया को कैसे संतुष्ट कर के यथास्थाति में भेज दिया जाय। सूत्रों की माने तो बाहरी का समर्थन करने वालों की रात की नींद और दिन का चैन चवैना चव रहा है। मजे की बात तो यह है कि लाभ के लालच में बाहरी के समर्थक गणितों में तो उलझे ही है। साथ ही ऊपर वाले मन्नते भी कर रहे हैं कि सब ठीक रहे, लेकिन सब के अपने-अपने गणित हैं। गणित किस का फिट बैठता है और बैठेगा यह तो हम नहीं जानते, लेकिन इतना जरूर है कि पब्लिक कि पकड़ने दम पकड़ा है और इसी का परिणाम है संगठन के राष्ट्रीय मुखिया का ब्रज के द्वार हाथरस में आगवन हो रहा है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि मुखिया को हाथरस में आने ही ना दिया जाय। बताया बात तो यह भी जा रहा है कि यह जानकारी आम पब्लिक तक ना पहुँचे इसलिए कलम पर मुद्रा का बजन भी रखने भरसक प्रयास है। बताया तो यह भी रहा है कि कलमकारों कलम पर कमान के लिए ठेके भी उठे हैं अब कौन कहां तक सफल होता है य।यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह कहावत भी सत्य है कि राम और गांम से कोई नहीं जीत पाया है। 30 जनवरी में क्या इवरत लिखी जानी है। यह तो वक्त ही बतायेगा, लेकिन चलते-चलते यह भी बताते चलें कि जिन टिकटार्थियों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया था उनको लाल बत्ती और कुछ अन्य लालच की लाॅलीपाप भी थमाई जा रही है। अब देखना यह है कि जनता का जन कौन बनता है।