कानपुर देहात। कृषि उत्पादन आयुक्त-उ0प्र0 शासन आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय जायद उत्पादकता गोष्ठी का आयोजन वीडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। गोष्ठी में अपर मुख्य सचिव-कृषि उ0प्र0, उ0प्र0 कृषि निदेशक, निदेशक-उद्यान, निदेशक-पशुपालन एवं अन्य कृषि एवं कृषि समावेषी विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित रहे। जनपद से अपर जिलाधिकारी(वि0/रा0) जे0पी0 गुप्ता, उप कृषि निदेशक कानपुर देहात विनोद कुमार यादव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 डी0एन0 लवानिया, जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चन्द्रा, जिला कृषि अधिकारी डा0 कुमार गुप्ता, भूमि संरक्षण अधिकारी अशोक कुमार, जिला कृषि रक्षा अधिकारी रामनरेश, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी विकास सेठ के साथ-साथ कृषि विभाग के कर्मचारियों एवं प्रगतिशील कृषक राजकुमार त्रिपाठी, ज्ञान सिंह तथा महावीर सिंह आदि द्वारा प्रतिभाग किया गया।डा0 एस0 के0 चतुर्वेदी अधिष्ठाता रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय झांसी द्वारा जायद मंे उगायी जाने वाली मक्का, उडद, मूंग एवं कृश्य विधियों के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए जायद में दलहनी फसलों की मिलवा/अन्तः फसल पद्धति पर विशेष जोर दिया, इनके द्वारा अवगत कराया गया कि बल्लभ उडद-1 प्रजाति एवं मूंग की षिखा, विराट आदि प्रजातियों की बुवाई करने एवं पीत चितेरी रोगरोधी होने के कारण 10 से 14 कुंतल उपज प्राप्त हो जाती है तथा रबी फसलों की कटाई पश्चात से खरीफ बुवाई से पूर्व तक लगभग 70 दिवसों का प्रयोग भी हो जाता है।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के प्रधान वैज्ञानिक डा0 चौबे द्वारा अवगत कराया गया कि जायद में उगायी जाने वाली कद्दू कुल तथा लतावर्गीय सब्जियों यथा लौकी, तरोई, करेला, कद्दू, खरबूज, तरबूज, भिंडी आदि फसलों की बुवाई किये जाने का उपयुक्त समय है। उन्नतशील प्रजातियों की सब्जियां उगाने से फसल में लगने वाले कीट एवं बीमारियां कम होने से उच्च गुणवत्ता युक्त सब्जी की उपज में वृद्धि होती है। कद्दू वर्गीय फसलों की पॉली हाउस से पौध तैयार कर उसका रोपड करके समय से पूर्व सब्जी की उपलब्धता सुनिष्चित की जा सकती है।
निदेशक-उद्यान उ0प्र0 लखनऊ द्वारा उद्यान विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की विस्तृत चर्चा करते हुए गैर मौसमी एवं संरक्षित ढांॅचे से सब्जियों की पौध तैयार करने के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की गयी, जिससे समय से पूर्व सब्जी तैयार होने के कारण कृषकों को उसका अधिक मूल्य प्राप्त हो सके एवं उनकी आय में वृद्धि हो सके।
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा निर्देषित किया गया कि कृषि विभाग द्वारा संचालित दृष्टि योजनान्तर्गत स्थापित कराये जा रहे बीज विधायन संयत्रों को 31 मार्च 2022 से पूर्व कर लिया जाये, जिससे आगामी मौसम में बीज विधायन कर, स्थानीय स्तर पर कृषकों को उन्नतषील बीज की उपलब्धता सुनिष्चित की जा सके। उनके द्वारा यह भी निर्देषित किया गया कि कृषक उत्पादक संगठनों (एफ0पी0ओ0) के माध्यम से छोटे-छोटे किसानों को एकत्रित कर एक जगह फसलोत्पाद करते हुए उसकी प्रोसेसिंग, मार्केटिंग कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
अपर मुख्य सचिव-कृषि द्वारा जैविक खेती को बढावा देने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों पर जैविक खेती हेतु जगह आरक्षित करने हेतु निर्देश दिये गये, जिससे कृषकों को जैविक खेती के प्रोत्साहन हेतु प्रषिक्षित किया जा सके। उपरोक्त के साथ-साथ उनके द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजनान्तर्गत शत-प्रतिशत किसानों की ई0के0वाई0सी0 कराने हेतु निर्देेषित किया गया।
अंत में उ0प्र0 कृषि निदेशक द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अध्यक्ष महोदय की अनुमति से गोष्ठी के समापन की घोषणा की गयी।