राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द कर दिया है। केंद्र द्वारा यह कार्रवाई गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें आरजीएफ को फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया गया। आरजीएफ की अध्यक्ष कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं।
केंद्र सरकार ने गांधी परिवार से जुड़े इस नान गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन (एनजीओ) पर बड़ी कार्रवाई की है।
गृह मंत्रालय से सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह कार्रवाई फोरगेन कन्ट्रीब्यूशन ‘रेगुलेशन‘ एक्ट के तहत की है। संगठन पर विदेशी फंडिंग कानून के कथित उल्लंघन का आरोप है।
गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक जुलाई 2020 मे एमचए ने मंत्रालय के अंदर जांच कमेटी बनाई थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला लिया गया है। इस जांच कमेटी में ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के अधिकारी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस राजीव गांधी फाउंडेशन के ऑफिस बियरर को भेज दिया गया है।
जांच समिति की इन्वेस्टिगेशन के बाद की गई इस कार्रवाई गृह मंत्रालय द्वारा 2020 में गठित एक अंतर.मंत्रालयी समिति की जांच के बाद की गई। एक अधिकारी ने कहा, ‘हां, राजीव गांधी फाउंडेशन के खिलाफ जांच के बाद उसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ की अध्यक्ष हैं।जांच दल में ईडी के अलावा गृह और वित्त मंत्रालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो ;सीबीआईद्ध के अधिकारी शामिल थे, और यह जांच करने के लिए अनिवार्य था कि क्या गांधी परिवार और अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा चलाए जा रहे इन ट्रस्टों ने आय दर्ज करते समय कथित तौर पर किसी दस्तावेज में हेरफेर किया था। टैक्स रिटर्न या विदेशों से प्राप्त धन का दुरुपयोग और शोधन।
2020 में लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ भारतीय सेना के आमने-सामने के दौरान, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया था कि चीन ने आरजीएफ को 2005 और 2009 के बीच अध्ययन करने के लिए धन दिया था जो नहीं थे राष्ट्रीय हित में।
आरजीएफ की 2005-06 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जो इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास को ‘साझेदार संगठनों और दाताओं’ के तहत अपने दाताओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। महिलाओं और बच्चों के हित में यह संगठन काम करता है। आरजीएफ की वेबसाइट के अनुसारए उसे 1991 में स्थापित किया गया। वेबसाइट में कहा गया है कि आरजीएफ ने 1991 से 2009 तक महिलाओं, बच्चों और अक्षम लोगों को मदद देने के अलावा स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम किया।
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ट्रस्टियों के रूप में शामिल हैं। राजीव गांधी की वेबसाइट के मुताबिक इस संगठन को 1991 में स्थापित किया गया था।
दरअसल, जून 2020 में बीजेपी ने यह आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने 2005-06 की डोनर की सूची में चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया। फाउंडेशन को चीन की ओर से 90 लाख रुपए की फंडिंग करने का आरोप है। समझा जाता है कि आरजीएफ और राजीव गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) में कथित अनियमितताओं की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपे जाने की संभावना है। सोनिया गांधी भी आरजीसीटी के प्रमुख हैं, राहुल गांधी और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ अशोक एस गांगुली सदस्य हैं।
जबकि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 2002 में देश के वंचित लोगों, विशेषकर ग्रामीण गरीबों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई थी।
यह वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब क्षेत्रों में काम करता है, जो देश के सबसे कम विकसित राज्यों में से एक है, और हरियाणा दो विकास पहलों के माध्यम से काम करता है – राजीव गांधी महिला विकास परियोजना (आरजीएमवीपी) और इंदिरा गांधी नेत्र अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (आईजीईएचआरसी)- आरजीसीटी वेबसाइट के अनुसार। आरजीएफ और आरजीसीटी दोनों दिल्ली जवाहर भवन परिसर से काम करते हैं। एक अन्य संगठन जो जांच के दायरे में आया वह है इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट। हालांकि अभी तक तीसरे संगठन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।