Thursday, November 28, 2024
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शराबबंदी कितनी कारगर…

शराब एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति के घर परिवार से लेकर खुद व्यक्ति को भी नर्क के गर्त में ले जाती है ये एक ऐसी बुरी आदत है कि व्यक्ति एक बार बिना औरत के तो रह सकता है लेकिन बिना शराब नहीं। शराब के चलते कितने ही परिवार गरीबी और भुखमरी का जीवन जीने को मजबूर है। आदमी को होश भी तब आता है जब मौत सामने खड़ी होती है। शराब उससे महबूबा की तरह है जिससे मिले बिना रहा नहीं जा सकता और उसे छोड़ने की बात पर मन में पक्का निश्चय करके कि कल मिलने नहीं जाएंगे और ना ना करते हुए फिर से अपनी महबूबा से मिलने चले जाएंगे और मूवी विद पापकार्न का मजा भी लेंगे बस ऐसा ही हाल शराबियों का भी है ना ना करते सीधे ठेके पर जाएंगे और नमकीन के साथ शराब का मजा लेंगे।

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चमकी की चमक को शीघ्र रोके स्वास्थ्य मंत्रालय

मुजफ्फरपुर में इंसेफिलाइटिस (चमकी) बुखार से सौ से अधिक बच्चे मौत के गाल में समा गए। पिछले पांच साल से यह बीमारी महामारी का रूप धारण कर चुका है। पिछले कई साल इस मौसम में नौनिहालों के मौत का सिलसिला चल रहा है। सरकार की प्राथमिकताओं में बिहार म्यूजियम, ज्ञान भवन, नया विधानमंडल भवन और बुद्ध स्मृति पार्क है। अस्पताल नहीं  क्यों ? पटना म्यूजियम को तो सरकार से संभल नहीं रहा लेकिन एक और म्यूजियम बन गया जबकि बिहार को म्यूजियम की नही अभी अच्छे अस्पतालो की आवश्यकता है। अतिपिछड़ा क्षेत्रों में कोई झांकने वाला नहीं है। विधानसभा भवन बने हुए हैं फिर भी नया बनकर तैयार हो गया जबकि आदिवासी क्षेत्र अभी भी अस्पताल विहीन है।श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल और कई ऐसे हॉल पटना में पहले से मौजूद है जिसकी शायद ही साल में दो सौ दिन भी बुकिंग होती हो। क्या इन नए भवनों में लगे पैसों से मुजफ्फरपुर में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नहीं  बनवाया जा सकता था। एक नहीं कई अस्पताल बन गए होते। सैकड़ों बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

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अनुमति के बिना ही रात में चल रही है एचडीडी मशीने

सरकार का हो रहा है भारी नुकसान और आम आदमी हलकान
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। इस समय प्रयागराज के कोने कोने मेे चुपके से खडी पायी जाने वाली मशीने रात में सड़कों के किनारे आकर लग जाती है। यह भारी भरकम अत्याधुनिक सिस्टम से लैस मशीने प्राईवेट टेलीकाम कंपनियो के फाईबर केबल को भूमिगत करने के काम में लायी जाती है। जिनके माध्यम से लोहे के बड़े-बड़े पाईपों को जमीन के अंदर डाला जाता है।
आपको बता दे कि इन एचडी मशीन आपरेटरों के पास किसी भी सरकारी विभाग का परमीशन नहीं होता है जैसै पीडब्लूडी, जल निगम, विद्युत विभाग इसलिए ये लोग रात में चोरों की तरह मशीन चलाते है। जिसका परिणाम यह होता है कि अक्सर पानी की पाईप लाईन टूट जाती है। जिससे लोगों को पानी का संकट झेलने को मजबूर होना पड़ता है तो कही विद्युत की पावर केबल काट दी जाती है जिससे विद्युत सप्लाई चरमरा जाती है। कही-कही सीवर लाइन तोड़़ कर गंदगी से तबाही मचाते है।

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ट्रांसपोर्ट वाहन चालकों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता को हटाने का निर्णय लिया

इस कदम से आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के कुशल व्यक्तियों को लाभ पहुंचेगा
सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चालकों के उचित प्रशिक्षण और कड़े कौशल परीक्षण पर जोर
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय सड़क ट्रांसपोर्ट और राजमार्ग मंत्रालय ने ट्रांसपोर्ट वाहनों को चलाने के लिए चालक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता को हटाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम 8 के तहत, वाहन चालक के लिए 8वीं पास होना जरुरी है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बेरोजगार व्यक्तियों की बड़ी संख्या है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा नहीं है, लेकिन वे साक्षर और कुशल हैं। ट्रांसपोर्ट मंत्रालय की अभी हाल ही में आयोजित बैठक में, हरियाणा सरकार ने मेवात क्षेत्र के आर्थिक रूप से पिछड़े चालकों के लिए शैक्षणिक योग्यता की शर्त को हटाने का अनुरोध किया था। मेवात में लोगों की आजीविका कम आय वाले साधनों पर निर्भर करती है, जिसमें वाहन चलाना भी शामिल है। राज्य सरकार ने यह अनुरोध किया था कि इस क्षेत्र में अधिकांश लोगों के पास आवश्यक कौशल तो है, लेकिन आवश्यक शैक्षणिक योग्यता नहीं है इसलिए इन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिलना मुश्किल हो रहा है। यह महसूस किया गया है कि शैक्षणिक योग्यता की तुलना में वाहन चलाने की कौशलता अधिक महत्वपूर्ण है। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त योग्य बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ी बाधा बनी हुई है। इस आवश्यकता को हटाने से बड़ी संख्या में बेरोजगार व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं के लिए देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

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रियलटी शो में बच्‍चों को सही तरीके से पेश किए जाने के बारे में टीवी चैनलों को परामर्श जारी

चैनलों को रियलटी शो और कार्यक्रम दिखाए जाते वक्‍त इनमें बच्‍चों की भागीदारी को लेकर संयम और संवेदनशीलता बरतने की सलाह
इन उपायों से छोटे और प्रतिभावान बच्‍चों को अत्‍याधिक तनाव से बचाए जा सकेगा
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस बात का संज्ञान लिया है कि कई डांस आधारित रियलिटी टीवी शो में छोटे बच्चों को ऐसे नृत्य करते दिखाया जाता है जो मूल रूप से फिल्मों और मनोरंजन के अन्‍य लोकप्रिय माध्‍यमों में वयस्कों द्वारा किए जाते हैं। ये अक्सर उत्‍तेजक होने के साथ ही बच्‍चों की उम्र के अनुकूल भी नहीं होते। इस तरह के कृत्य छोटी सी उम्र में बच्चों पर चिंताजनक और बेहत तनावपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। .
सभी निजी उपग्रह टीवी चैनलों से अपेक्षा की जाती है कि वह इस संबंध में केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं में निहित प्रावधानों और नियमों का पालन करेंगे। नियमों के अनुसार, टीवी पर कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं दिखाया जाना चाहिए जो बच्चों की छवि को खराब करता हो। ऐसे कार्यक्रमों में किसी तरह की अभ्रद भाषा और हिसंक दृश्‍यों का प्रयोग भी नहीं होना चाहिए।

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एनडीएमए ने गांबिया के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

आपदा जोखिम घटाने के उपायों पर हुई चर्चा
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। गांबिया के 25 सदस्‍यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएम) से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल गांबिया के सरकारी कर्मचारियों के लिए मसूरी स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने भारत आया है। यह कार्यक्रम 10 से 21 जून तक आयोजित किया गया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्‍य दोनों देशों के बीच प्रशासन के क्षेत्र में परस्‍पर अनुभवों और काम काज के बेहतरीन तरीकों को साझा करना है। कार्यक्रम की अगुवाई भारत सरकार का विदेश मंत्रालय कर रहा है।
प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के लिए एनडीएमए ने आपदा प्रबंधन के बारे में वैश्विक स्‍तर पर अपनायी जा रहे तौर तरीकों,भारत में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण की संस्‍थागत प्रणाली तथा खुद के काम काज के तरीकों पर एक प्रस्‍तुति दी। इसके बाद आपदा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर विस्‍तार से चर्चा की गई।

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भारतीय तटरक्षक 19 जून को दिल्ली में 12वीं आरईसीएएपी आईएससी क्षमता निर्माण कार्यशाला की सह-मेजबानी करेगा

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) 19-20 जून को दिल्ली में 12वीं आरईसीएएपी आईएससी क्षमता निर्माण कार्यशाला की सह-मेजबानी करेगा। यह कार्यशाला एशिया में जहाजों की समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग अनुबंध के बारे में आयोजित की जा रही है।
आरईसीएएपी एशिया में समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती से निपटने के लिए विभिन्न सरकारों के बीच पहला क्षेत्रीय अनुबंध है। वर्तमान में इसके 20 सदस्य हैं। भारत ने जापान और सिंगापुर के साथ मिलकर आरईसीएएपी आईएससी की स्थापना और कामकाज के बारे में सक्रिय भूमिका निभाई है। केंद्र सरकार ने आरईसीएएपी के लिए भारतीय तट रक्षक बल को भारत में केंद्र बिंदु के रूप में नामित किया है। भारत ने नवम्बर, 2011 में गोवा में और दिसंबर, 2017 में नई दिल्ली में इस कार्यशाला का पहले भी आयोजन किया है।

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वाणिज्‍य मंत्री ने ई-कॉमर्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के साथ बैठक की

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्‍द्रीय वाणिज्‍य और उद्योग तथा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कल नयी दिल्‍ली में ई-कॉमर्स तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के साथ विस्‍तार से चर्चा की। बैठक में भारत में विभिन्‍न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली ई-कॉमर्स तथा आईटी क्षेत्र की बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के अलावा उद्योग तथा आंतरिक व्‍यापार संवर्धन परिषद् (डीपीआईआईटी), वाणिज्‍य मंत्रालय तथा इलेक्‍ट्रानिक एंव सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिवों और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्‍टी गवर्नर ने भी हिस्‍सा लिया।
यह बैठक श्री पीयूष गोयल ने एक मजबूत डेटा सुरक्षा ढांचे के निर्माण के संबंध में ई-कॉमर्स तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों की चिंताओं और उनके सुझाव जानने के लिए बुलाई थी ताकि इस सुरक्षा ढांचे के माध्‍यम से गोपनीयता और नवाचार के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके तथा नवाचार और विश्‍वास पर केन्द्रित तकनीकी के क्षेत्र में विश्‍व पटल पर भारत की स्थिति मजबूत की जा सके।
बैठक में भाग लेने वाली सभी कंपनियों ने डेटा संग्रहण और उनकी प्रोसेसिंग के लिए आरबीआई द्वारा तय दिशा निर्देशों के बारे में अपनी चिंताएं व्‍यक्‍त कीं। रिजर्व बैंक के डिप्‍टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि रिजर्व बैंक उनकी चिंताओं पर जरूर गौर करेगा।

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इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के खातों को डाकघर बचत खातों से जोड़कर मिलेगा दोहरा लाभ- डाक निदेशक

डाक विभाग और इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की समन्वय समिति की लखनऊ में हुई बैठक, डाक निदेशक केके यादव ने की अध्यक्षता
डिजिटल व कैशलेस इण्डिया की भावना को आगे बढ़ा रहा इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक- डाक निदेशक केके यादव
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने अपने शुभारम्भ के 9 माह के भीतर ही लोगों में गहरी पैठ बनाई है। संपूर्ण भारत में अब तक 70 लाख से अधिक खाते खोले जा चुके हैं जिसमें उत्तर प्रदेश परिमंडल का योगदान लगभग 13 लाख है। अकेले लखनऊ परिक्षेत्र में ढाई लाख से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं। सिर्फ डाकघरों के काउंटर से ही नहीं बल्कि डिजिटल पेमेंट के साथ-साथ डोर स्टेप बैंकिंग के रूप में भी इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। उक्त उद्गार डाक विभाग और इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने कहीं। इसमें लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के अधीन सभी सात मंडलों के मण्डलाधीक्षक और आईपीपीबी के सर्किल मैनेजर अविनाश कुमार सिन्हा सहित सभी मैनेजर्स शामिल हुए। लखनऊ ब्रांच की सीनियर मैनेजर स्मृति श्रीवास्तव ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन द्वारा आईपीपीबी की अभी तक की प्रगति के बारे में जानकारी दी। बैठक में ग्रामीण डाक सेवकों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित “कौन बनेगा बाहुबली” प्रतियोगिता की भी समीक्षा की गई। इसमें उत्तर प्रदेश परिमंडल ने 913 बाहुबली बनाकर संपूर्ण भारत में तृतीय स्थान प्राप्त किया है। लखनऊ परिक्षेत्र में कुल 114 बाहुबली बने।

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बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत मलासा में बाल संरक्षण समिति की बैठक हुई सम्पन्न

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। विकास खण्ड मलासा में ब्लाक प्रमुख अंजना सिंह के प्रतिनिधित्व में अनूप सिंह की अध्यक्षता बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत ब्लाक बाल संरक्षण समिति की बैठक आयोजित की गयी। बैठक में अनूप सिंह द्वारा कहा गया कि 0 से 18 वर्ष से कम आयु के शिशु, बालक, बालिकाओं हेतु बाल विकास, बाल श्रम, बाल यौन शोषण, ट्रैफिलिंग अथवा किसी प्रकार की कोई बच्चों के साथ क्रूरता जैसे व्यवहार न हो यदि सम्बन्धि मुद्दो पर चर्चा की गयी।
बैठक में मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अनूप सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे स्तर पर होटल, घरों व फैक्ट्री में काम कर या अलग अलग व्यवसाय में मजदूरी कर हजारों बाल श्रमिक अपने बचपन को तिलांजलि दे रहें हैं, जिन्हें न तो किसी कानून की जानकारी है, और ना ही पेट पालने का कोई और तरीका पता है …. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, आंध्रप्रदेश, आसाम, त्रिपुरा और संपूर्ण भारत में ये बाल श्रमिक कालीन, दियासलाई, रत्न पॉलिश व जवाहरात, पीतल व कांच, बीड़ी उघोग, हस्तशिल्प, सूती होजरी, नारियल रेशा, सिल्क, हथकरघा, कढ़ाई, बुनाई, रेशम, लकड़ी की नक्काशी, फिश फीजिंग, पत्थर की खुदाई, स्लेट पेंसिल, चाय के बागान के कार्य करते देखे जा सकते हैं।

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