Monday, April 29, 2024
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शराबबंदी कितनी कारगर…

शराब एक ऐसी चीज है जो व्यक्ति के घर परिवार से लेकर खुद व्यक्ति को भी नर्क के गर्त में ले जाती है ये एक ऐसी बुरी आदत है कि व्यक्ति एक बार बिना औरत के तो रह सकता है लेकिन बिना शराब नहीं। शराब के चलते कितने ही परिवार गरीबी और भुखमरी का जीवन जीने को मजबूर है। आदमी को होश भी तब आता है जब मौत सामने खड़ी होती है। शराब उससे महबूबा की तरह है जिससे मिले बिना रहा नहीं जा सकता और उसे छोड़ने की बात पर मन में पक्का निश्चय करके कि कल मिलने नहीं जाएंगे और ना ना करते हुए फिर से अपनी महबूबा से मिलने चले जाएंगे और मूवी विद पापकार्न का मजा भी लेंगे बस ऐसा ही हाल शराबियों का भी है ना ना करते सीधे ठेके पर जाएंगे और नमकीन के साथ शराब का मजा लेंगे।
देश के कई राज्यों में शराबबंदी है आप खुलेआम शराब खरीद नहीं सकते लेकिन फिर भी नियमों को ताक पर रखकर शराब धड़ल्ले से बिक रही है। सिर्फ नियम कानून बना देने से ही कुछ नहीं होता सख्ती से अमल भी होना चाहिए। नियमानुसार राष्ट्रीय त्योहारों पर अमन शांति के मद्देनजर शराब बंद होनी चाहिए लेकिन देसी शराब के ठेके इस दिन भी खुले रहते हैं और धड़ल्ले से शराब बेचते हैं। कहीं खुलेआम तो कहीं शटर के नीचे। एक आम आदमी जिसे शराब की लत लगी हुई है उसके परिवार को बिखरने में समय नहीं लगता क्योंकि कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा शराब पीने में खर्च हो जाता है और उसका परिवार गरीबी में जीवन यापन करने को मजबूर होता हैं। शराब पीने वालों को होश तब आता है जब लीवर उनका साथ छोड़ देता है। पत्नी की इज्ज़त नहीं करना… गाली गलौज करना, मारपीट करना … घर परिवार, बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सबसे ज्यादा परेशानी युवा वर्ग की है जो हॉस्टल और कॉलेज कैंपस में शराब पीते हैं। शोध में यह बात सामने आई है कि शराब पीने के मामले में छात्राएं सबसे ज्यादा आगे हैं यह बहुत चिंताजनक स्थिति है। आजकल पार्टियों में भी शराब का सेवन आम हो गया है और कभी-कभी लड़कियां मनचले लड़कों की शिकायतें लेकर आती है जो कि गलत है। यूं अगर देखा जाए तो मेडिकली डॉक्टर रोज दो ग्लास पीने के लिए और सप्ताह में 2 दिन शराब से दूर रहने के लिए कहते हैं लेकिन कितने ही लोग इस बात को मानते हैं, जानते हैं और उसको अपनाते हैं? छत्तीसगढ़ में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आंदोलन किया था। महिलाएं काफी उग्र थी और वह परेशान थी अपने पतियों से और अपने घर की स्थिति से। कई बार तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं लेकिन चुनावी मौसम के चलते शराब बंदी लागू नहीं हुई।आए दिन शराब पकड़ी जाती है लेकिन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। लाखों-करोड़ों की शराब पकड़ी जा रही है फिर भी अपराधी बच जाते हैं उन पर कोई सख्त कानून क्यों नहीं? -प्रियंका माहेश्वरी