Monday, April 29, 2024
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चमकी की चमक को शीघ्र रोके स्वास्थ्य मंत्रालय

मुजफ्फरपुर में इंसेफिलाइटिस (चमकी) बुखार से सौ से अधिक बच्चे मौत के गाल में समा गए। पिछले पांच साल से यह बीमारी महामारी का रूप धारण कर चुका है। पिछले कई साल इस मौसम में नौनिहालों के मौत का सिलसिला चल रहा है। सरकार की प्राथमिकताओं में बिहार म्यूजियम, ज्ञान भवन, नया विधानमंडल भवन और बुद्ध स्मृति पार्क है। अस्पताल नहीं  क्यों ? पटना म्यूजियम को तो सरकार से संभल नहीं रहा लेकिन एक और म्यूजियम बन गया जबकि बिहार को म्यूजियम की नही अभी अच्छे अस्पतालो की आवश्यकता है। अतिपिछड़ा क्षेत्रों में कोई झांकने वाला नहीं है। विधानसभा भवन बने हुए हैं फिर भी नया बनकर तैयार हो गया जबकि आदिवासी क्षेत्र अभी भी अस्पताल विहीन है।श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल और कई ऐसे हॉल पटना में पहले से मौजूद है जिसकी शायद ही साल में दो सौ दिन भी बुकिंग होती हो। क्या इन नए भवनों में लगे पैसों से मुजफ्फरपुर में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल नहीं  बनवाया जा सकता था। एक नहीं कई अस्पताल बन गए होते। सैकड़ों बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। बड़े-बड़े सरकारी आयोजनों पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन लोगों की मूलभूत सुविधाओं पर सरकार मौन साधे हुए है। परदे के पीछे कुछ तो बात है। आखिर सरकार इतनी असंवेदनशील कैसे हो सकती है। सोचना पड़ेगा। बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब झारखंड सरकार ने भी राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। अभी तक बिहार में इस बीमारी से 100 बच्चों की मौत हो गई है। बता दें बिहार में इस बीमारी को दिमागी ज्वर या फिर चमकी बुखार कहा जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 12 जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है। एसकेएमसीएच अस्पताल में अकेले अब तक 90 बच्चों की जान जा चुकी है। इनमें से ज्यादातर की उम्र 10 वर्ष से कम है। बच्चों के हाइपोग्लाइसीमिया और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के शिकार होने के कारण मौत हो रही है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से दोबारा इतने बच्चों की मौत न हो इसके लिए लगातार प्रयास और शोध होगा। बिहार के 5 जिलों में वायरोलॉजी लैब बनाने की जरूरत है। एईएस की रोकथाम के लिए मुजफ्फरपुर में उच्च तकनीक का रिसर्च सेंटर बनेगा। यह काम एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया गया है। भारत सरकार इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करेगी। उन्होंने एसकेएमसीएच के आइसीयू पर नाराजगी जतायी और कहा कि यहां कम से कम 100 बेड का नया आईसीयू बनना चाहिए। झारखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर नितिन मदान कुलकर्णी ने रविवार को बताया कि झारखंड सरकार ने सभी 24 जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है, प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है। राज्य में बचाव के सभी उपाय किए जा रहे हैं। सभी जिलों के सिविल सर्जन्स को बीमारी पर नजर रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि लैब टेस्ट बीमारी के सटीक कारण का पता लगाने के लिए हैं। बिहार में कुछ डॉक्टरों का मानना है कि ये बीमारी लीची के कारण हो रही है। कुलकर्णी जो कि फूड कमिश्नर भी हैं, उन्होंने झारखंड के बाजार में मुजफ्फरपुर की लीची पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि कहा जा रहा है कि लीची को बीमारी के कारण के तौर पर नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि अभी तक कोई वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आए हैं। वहीं रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) रांची, के डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है जिससे से पुष्टि हो सके कि एईएस लीची के कारण हो रही है। रिम्स के प्रिवेंटिव सोशल मेडिसिन विभाग के हेड डॉक्टर विवेक कश्यप का कहना है, “बीते साल, लीची के मौसम में ऐसे मामले सामने आए थे लेकिन जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी, कि लीची के कारण ही ये बीमारी हो रही है। अब लीची के मौसम में एक बार फिर ये बीमारी सामने आई है, ऐसे में इस ओर संदेह जाता है। फिलहाल, यह शोध का विषय है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद इस तथ्य की जांच कर सकता है।
आप सब देशवासियो से मेरा एक लेखक होने के नाते निवेदन है की कृपया अपने आस पास साफ सफाई कायम रखे। धूप में सीधे निकलने से खुद को बचाये। अपने बच्चो को नियमित स्वास्थ्य चेकअप पर ले जाये। पानी का उपयोग उबाल कर करे। और अन्य सावधानियां अपनाये व अन्य लोगो को भी प्रेरित करे। -पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी