Wednesday, November 27, 2024
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पतंजलि योग समिति ने मनाया नारी शक्तिदिवस

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति की आराधना के नौ दिन। प्रकृति माॅ के नौ रूपों को समझने व साधने के नौ दिन , प्रतिपदा का दिन नवसम्वत्सर के रूप में मनाया जाता हैं। क्यो कि सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन हुआ , हमारी आर्य संस्कृति या वैदिक संस्कृति में इस दिन को ही नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है, और रही कारण है कि पतंजलि योग पीठ द्वारा इन दिन को नारी शक्तिकरण के रूप में मनाया जाता हैै। ब्रहा्रण्ड की सारी दिव्यताएॅ धनीभूत मातृशक्ति में अवतरित है। सत्य, अहिंसा, प्रेम करूणा, वात्सल्य सेवा, सहानुभूति, सहजता सहिष्णुता, सन्तोष समर्पण धैर्य उत्साह पराक्रम, त्याग ज्ञान, भक्ति एव पुरूषार्थ की पराकाष्ठा है।
नारी भगवान की जीवन्त दृश्य मूर्त , सगुण साकार एक दव्यि अभिव्यक्ति है। नारी की इसी दिव्यता और भव्यता को पुनः समाज में स्थापित करने का कार्य प्रत्येक स्तर पर महिला पतंजलि योग समिति के साधक बहिनों भाइयों द्वारा किया जा रहा है। भारत का प्रत्येक नागरिक दिन का शुभारम्भ योग से करे जिससे वह शरीरिक मनासिंक रूप् से निरोगी हो। वेदानुसार अग्निहोत्र हवन हो जिससे प्रकृति माता धरती माता स्वस्थ हो सके।

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संदिग्ध हालत में युवक की शराब पीने से मौत

परिजनों को दोस्त पर है संदेह थाने में दी तहरीर
फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। थाना शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव बैजुआ में एक युवक की संदिग्ध हालत में शराब पीने से मौत हो गयी। मृतक के परिजनों ने दोस्त पर हत्या की आशंका जाहिर करते हुए थाने में तहरीर दी है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवाया।
थाना शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव बैजुआ निवासी 35 वर्षीय राजवंश प्रताप सिंह पुत्र जगदीश शनिवार की दोपहर अपने दोस्त शिकोहाबाद के रमेंश नगर निवासी पवन कुमार के साथ गया हुआ था। जिसको वह सांय के समय शराब के नशें में घर पर छोड गया। विगत रात्रि में उसकी हालत खराब होने लगी। जिसको शिकोहाबाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। आज सुबह हालत अधिक खराब होने पर उसको जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। जहां उसकी उपचार के दौरान तडके ही मौत हो गयी। शव को पोस्टमार्टम गृह में रखवाया गया। मृतक के साले संजय सिंह की माने तो राजवंश ने लगभग चार -पांच बीधा जमीन को बैचा था जिसके पैसे उसकी के पास थे। दोस्त ने उसको शराब में विषैला पदार्थ देकर उसकी हत्या कर भाग निकला है। फोन पर सम्पर्क किया तो वह सैफई अस्पताल में अपने को भर्ती बता रहा है।

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बैडमिंटन टूर्नामेन्ट-2018 के विजयी खिलाड़ी मुख्य सचिव के कर-कमलों द्वारा पुरस्कृत

खेल प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान पाने वाले विजयी खिलाड़ी अपने अन्य साथियों को और अधिक बेहतर खेलनेे हेतु करता है प्रोत्साहित: मुख्य सचिव
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कहा कि खेल प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान पाने वाले विजयी खिलाड़ी अपने अन्य साथियों को और अधिक बेहतर खेलनेे हेतु प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जावान एवं तेजस्वी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में प्रदेश सरकार अपने बेहतर खेल नीति के माध्यम से खिलाड़ियों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में भी और अधिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन कराकर ग्रामीण स्तर के ऊर्जावान एवं तेजस्वी खिलाड़ियों को खेलने का पर्याप्त अवसर दिलाया जाये।

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डीएम ने दिये निर्देश जनपद को अभियान चलाकर साफ सुथरा स्वच्छ बनाये

डीएम ने दिये निर्देश जनपद को अभियान चलाकर साफ सुथरा स्वच्छ बनाये जाने व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोक कल्याण मेले के माध्मय से सरकार की कल्याणकारी योजनाओं, उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचायेंगे सरकार की एलईडी वैन से वर्तमान सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने सरकार की उपलब्धियों का सजीव प्रसारण  
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। वर्तमान सरकार का कार्यकाल 19 मार्च को एक वर्ष सफल पूर्ण होने पर जनपद में सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार जन जन पहुंचाये जाने के उद्देश्य से सरकार की योजनाओं को जन-जन को पहुंचाने के लिए विकास भवन के सभाकक्ष में 19 मार्च को प्रातः 11 बजे से सरकार की योेजनाओं का प्रचार प्रसार कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा जिसमें मुख्य विकास अधिकारी केदारनाथ सिंह सहित जनपद के अधिकारी शामिल होंगे। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग लखनऊ से आयी दो एलईडी वैन रसूलाबाद, सरवनखेड़ा, भोगनीपुर, सिकन्दरा, डेरापुर, मैथा, अमरौधा, मलासा, शिवली, रनियां, अकबरपुर आदि दूर दराज के क्षेत्रों में प्रचार प्रसार कर रही है तथा आम लोगों को सरकार की योजनाओं का संजीव प्रसारण भी दिखा रही है।

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जिलास्तरीय सम्पूर्ण समाधान दिवस मैथा तहसील में 20 मार्च को

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने समस्त अधिकारियों को निर्देश दिये है कि शासन की शीर्ष प्राथमिकता वाले कार्यक्रम को गंभीरता के साथ लेने के आदेश दिये गये है। जिसके तहत सम्पूर्ण समाधान का आयोजन प्रत्येक माह के प्रथम एवं तृतीय मंगलवार को आयोजित किये जाये। जिसमें जिलाधिकारी द्वारा क्रमानुसार प्रत्येक तहसील में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस की अध्यक्षता की जायेगी जिसमें अतिरिक्त अन्य तहसीलों में जिलाधिकारी द्वारा निर्गत निर्धारित रोस्टर के अनुसार मुख्य विकास अधिकारी अथवा जिलाधिकारी द्वारा नामित किसी अपर जिलाधिकारी द्वारा सम्पूर्ण समाधान दिवस की अध्यक्षता की जायेगी, जिसमें पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। शेष तहसीलों में सम्बन्धित उपजिलाधिकारियों द्वारा सम्पूर्ण समाधान दिवस की अध्यक्षता की जायेगी।

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धूमधाम से मनाया गया विद्यालयों में वार्षिकोत्सव

औरैया, ध्रुव कुमार अवस्थी। मां शारदा शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल सहार में तृतीय वार्षिकोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जिसमें मुख्य अतिथि सी. पी. सिंह जिला विद्यालय निरीक्षक औरैया वह पूर्व शिक्षा मंत्री विजय बहादुर पाल ने कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों ने मां सरस्वती के समझ दीप प्रज्वलित कर की इस मौके पर छात्रों ने सरस्वती वंदना कर स्वागत गीत गाकर सभी आगंतुकों का स्वागत किया जिसके बाद छात्र छात्राओं ने प्रस्तुति देकर अपने हुनर का परिचय दिया नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, मैं नाचूँ छम छम, माटी के पुतले,बेटी वचाओ, छात्रा श्रेया पाल ने कोशिश करने वाले की कभी हार नही होती गीत से सबका मन मोह लिया सीनियर वर्ग के विद्यार्थियों ने कव्वाली, धनुष भंग द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी

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इच्छामृत्यु के फैसले से और बढ़ेंगे अपराध

इच्छामृत्यु के फैसले से बुजुर्गों का जीवन खतरे में 
हम बचपन से बड़े-बुजुर्गों और पूर्वजों से सुनते आये हैं कि जीवन और मृत्यु एक सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों ही अटल सत्य हैं। प्रत्येक धर्म यही कहता है कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है और प्रत्येक धर्म यह भी कहता है कि किसी का जीवन बचाना ही सबसे बड़ा धर्म है। यह सब बातें अगर सत्य हैं तो असाध्य रोग से पीड़ितों को इच्छामृत्यु के नाम पर अकाल मार देना कहां का न्याय होगा। सच तो यह है कि ‘‘इच्छामृत्यु की आड़ में और बढ़ेगा अन्याय तथा वृद्ध पीड़ितों के जीवन से होगा भयावह खिलवाड़ ।’’ कुछ 1 प्रतिशत असाध्य रोगों से पीड़ित यातनाग्रस्त जीवन जीने को मजबूर अतिपीड़ितों की सेवा न हो पाने पर हजारों दलीलों के एवज में सुप्रीम कोर्ट ने पैसिव यूथनेसिया पर फैसला सुना दिया और कहा कि खास परिस्थितियों के मद्देनजर लिविंग विल यानी इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता भी मिल गई है। देश की शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि विशेष परिस्थिति में सम्मानजनक मौत को व्यक्ति का व्यक्तिगत अधिकार माना जाना चाहिए। कुछ विशेष लोगों के लिए भले ही यह फैसला राहत देने वाला रहा हो पर विचारने वाली बात यह है कि आखिर! इसके दूसरे स्याह पहलू को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा कि भविष्य में इसके कितने भयावह दुष्परिणाम होंगे? इच्छामृत्यु का यह फैसला, हो सकता है कुछ विशेष लोगों के लिये यह राहतभरा अंतिम मजबूर फैसला हो पर आज के अर्थ युग में कुछ लालची और अपराधी मानसिकता के लोगों के लिये यह फैसला चैन की श्वांस और निर्भय हो जाने वाला है। यह गाज उन प्रोपर्टी वाले, सरकारी नौकरी करने वाले माता-पिता पर उनके ही अपनों द्वारा कभी भी गिर सकती है कि इच्छामृत्यु के बहाने उनका जीवन छीन लो और उनकी नौकरी जबरन मृतक आश्रित बनके हासिल कर लो। भविष्य में इस इच्छामृत्यु के फैसले के परिणाम बहुत ही घातक सिद्ध होंगे कि पहले तो अराजकतत्वी निजस्वार्थी लोग बुजुर्गों को वृद्धाश्रम छोड़ आते थे। जिससे कम से कम हमारे देश के सीनियर सिटीजन कम से कम, कहीं न कहीं जीवित तो रहते थे और बाकी की जिंदगी अपने तरीके से सुकून से तो बिताते थे पर सुप्रीम कोर्ट के लिविंग विल यानि इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता मिलने के इस एकपक्षी फैसले से हमारे देश के बुजुर्गों का जीवन ही खतरे में आ गया हैं। जो हमें कतई मान्य नहीं है। आपने तो एक पक्ष की मर्मस्पर्शी दलीलें सुनकर फैसला तो सुना दिया पर कृपया इसका दूसरा पक्ष भी तो देखिये कि जो बेटा आज अपनी वृद्ध माँ को छत से धक्का दे सकता है तो इस फैसले के बाद समाज और देश में हमारे बुजुर्गों के ऊपर कितनी अराजकता और अन्याय बढ़ेगा। यहां तो बीमारी से जूझ रहे गरीब और बीमारी से जूझ रहे प्राॅपर्टी वाले बुजुर्गों दोनों का ही जीवन, इच्छामृत्यु के फैसले की भेंट चढ़ जायेगा। आखिर! कौन जिम्मेदारी लेगा और किसकी जवाबदेही होगी और कौन तय करेगा कि किस पर इच्छामृत्यु का यह कठोर फैसला तीर की तरह चलाया जाये। इसका एक पक्ष भले ही पुरातन उदाहरणों जैसे- महाभारत काल में भीष्म पितामह, माता सीता, भगवान श्री राम और लक्ष्मण, आचार्य विनोबा भावे द्वारा इच्छा मृत्यु का वरण किया था, को देकर मजबूत कर लें पर दूसरे पक्ष पर मंथन बेहद जरूरी है कि वो युग और था, आज स्वार्थ युग चल रहा है जिसमें रिश्तों पर स्वार्थ हावी हो चुका है और इस बात को भी दरकिनार नही किया जा सकता। इच्क्षामृत्यु का यह मुद्दा तब प्रकाश में आया जब फरवरी 2014 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें एक गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति जो कि डाॅक्टर्स के मुताबिक अब कभी ठीक नहीं हो सकता, उसके लिए इच्छामृत्यु या दया मृत्यु की अपील की गई थी। कोर्ट में याचिका लगाने वाली एनजीओ ने दलीली दी कि ‘गरिमा के साथ मरने का अधिकार’ ‘यानी राइट टू डाय विथ डिग्निटी’ भी होनी चाहिए। फिर देश में इच्छामृत्यु पर एक लम्बी बहस तब चालू हो गयी थी जब यौन उत्पीड़न की यातना झेल चुकी जिन्दा लाश बनी अरुणा शानबाग मुम्बई के किंग एडवर्ड मैमोरियल अस्पताल के कमरे में बर्षों पड़ी रही तथा आर्थिक, मानसिक, शारीरिक रूप से निष्क्रिय अरुणा शानबाग के लिए इच्छा मृत्यु की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए ऐतिहासिक फैसले में न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने दुनियाभर की कानूनी अवधारणाओं के साथ प्राचीन धर्मग्रंथों का उल्लेख करते हुये अपना फैसला सुरक्षित किया। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा शानबाग की इच्छा मृत्यु की याचिका तो ठुकरा दी थी परन्तु चुनिंदा मामले में कोर्ट ने पैसिव यूथनेसिया (कानूनी तौर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाए जाने) की इजाजत दी थी।

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बिना लाइसेंस डाउन लोडिंग करने वाले दुकानदारों के विरूद्ध होगी कार्यवाही

कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद के समस्त चिप डाउनलोडिंग संचालक बिना लाइसेंस शुल्क राजकोष जमा किये डाउलोडिंग का कार्य न करें। जिला मनोरंजन कर अधिकारी विभाग द्वारा निरंतर चेकिंग अभियान किया जा रहा जिससे जो बिना लाइसेंस शुल्क राजकोष में जमा किये जो संचालक चिप डाउनलोडिंग का कार्य कर रहे है जांच के दौरान पकड़े जाने उनको नोटिस, सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर करने आदि जारी कर कार्यवाही निरंतर की जा रही है। वीडियो द्वारा प्रदर्शन का विनियमन) चतुर्थ संशोधन (नियमावली 2011 के विहित प्राविधानों के अन्तर्गत चिप/मेमारी कार्ड में चलचित्रों/गानों को डाउन लोड करने पर नियमानुसार लाइसेंस जमा किया जाना प्राविधानिक है। उक्त प्रक्रिया उत्तर प्रदेश चलचित्र विनियमन (अधिनियम 1955) में संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश अधिनियम सं0 27 सन् 2009 के द्वारा अधिनियम की धारा 2 जी के साथ पठित धारा 2 (एच) के अन्तर्गत वीडियो लाइबेरी के श्रेणीये आता है जिसके लिए अधिनियम 3 (ग) के अन्तर्गत लाइसेंस प्राप्त किया जाना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस चिप/मेमोरी कार्ड डाउन लोड करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध उत्तर प्रदेश चलचित्र विनियम (अधिनियम) 1955 संशोधित धारा 8 के अन्तर्गत साक्ष्य न्यायालय में वाद स्थापित करके दण्डित किया जाता है जिससे अधिकतम रू0 10,000,00 (दस हजार) अर्थ दण्ड अथवा 6 माह के लिए कारावास अथवा दोनो से दण्डित किया जाता है।

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बेटियां करती दो परिवारों को शिक्षित: धनीराम शर्मा

सासनीः हाथरसः जन सामना संवाददाता। यदि बेटी शिक्षित होगी तो देश समृद्धशाली होगा। क्यों कि एक शिक्षित बेटी दो परिवारों को शिक्षित करते हुए उन परिवारों को संस्कार देती है। एक जमाने में बेटी को पैदा होते ही जिंदा जमीन में गाढ दिया जाता था। मगर दार्शनिकों, बुद्धिजीवियों, और शिक्षित लोगों ने जब नारी शक्ति के बारे में प्रचार प्रसार करते हुए कन्या को जिंदा गाढने पर रोक लगाई और नारी को शिक्षित करने पर जोर दिया। वहीं आज हमारे समाज में कुछ रूढिवादी लोगों द्वारा कन्या को पाप मानते हुए से पैदा भी नहीं होने देते उसे संसार देखने से े से पूर्व ही मार दिया जाता है। यह सबसे बडा पाप और घृणित कार्य हैं इसके लिए हमें तैयार होना होगा और बेटी को बचाते हुए उसे पढाना होगा। तभी हमारा समाज और देश एक शक्तिशाली देश बनेगा। दूसरे देश हमाीर नारीशक्ति को पहचान सकंेंगे। हालांकि आज हमारे देश की नारी स्कूटी से हवाई जहाज चला रही है। और पुरूषों से कंधे से कंधा मिलका हर क्षेत्र में काम कर रही है।
यह विचार विकास खंड सभागार में हुए बेटी बचाओ बेटी पढाओ कार्यक्रम मे दौरान खंड विकास अधिकारी धनीराम शर्मा ने प्रकट करते हुए नारी शक्ति का परिचय दिया। उन्होंनें दुर्गावती, लक्ष्मीबाई, जैसी नारियों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी देकर लोगों को बेटी बचाने को प्रेरित किया। कार्यक्रम में विकास खंड के सम्मानित प्रतिनिधि, आंगनबाडी कार्यकत्री, एवं उससे जुडे लोगों को तथा बीआरसी समन्वयक शिक्षक, आदि को आमंत्रित किया गया।

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राष्ट्र विरोधी ताकतों से सावधान रहना होगा-किशनचन्द्र

हाथरसः जन सामना संवाददाता। राष्ट्र चेतना से अभिप्राय परस्पर भाईचारा और एकता है, राष्ट्र चेतना से अभिप्राय हिन्दू समाज की रक्षा से है, राष्ट्र चेतना से अभिप्राय समरसता के साथ रहना है। संघ का कार्य संपूर्ण समाज में समरसता स्थापित करना है। देश के साथ ही संपूर्ण विश्व में समरसता स्थापित करना है। आज पूरे हिन्दू समाज को एक होने की जरूरत है, जब हम समूह में खड़े होते हैं तब एकता की आवश्यकता पड़ती है। जिस तरह से व्यक्ति को खड़ा होने के लिये सभी अंगों का ठीक होना जरूरी है, इसी प्रकार समरसता के लिए सभी का एकत्रीकरण जरूरी है।
यह बात आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आगरा रोड स्थित पाॅलीटेक्निक कालेज मैदान पर आयोजित स्वयं सेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम राष्ट्र चेतना में क्षेत्रीय कार्यकारणी सदस्य श्री किशनचन्द्र ने कही। उन्होंने अपने संबोधन से पहले उन्होंने हाथरस की धरती को प्रणाम कर राजा महेन्द्र प्रताप को नमन किया। उन्होंने कहा कि इस धरती पर जन्मा एक-एक बच्चा देश के सामथ्र्य एवं स्वतन्त्रता के लिये समर्पित है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक रात दिन अपने स्वयं के कार्याे को छोडकर देश के उत्थान के लिये कार्य करते हैं। जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। जो बलवान है उसकी विजय होती है और दुर्बल की पराजय, इसलिए बलवान बनो।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने छूआछूत, भेदभाव को दूर कर सामाजिक समरसता और एकता से जीने का मार्ग दिखाया है। आज विश्व बड़ी आशा के साथ भारत की ओर देख रहा है। विश्व के लोग जानते हैं कि यह भारत वर्ष है इसे झुकाया नही जा सकता है। भारत की परंपरा कहती है कि हम दिखते अलग-अलग है लेकिन हैं एक ही। एक होने पर अलग-अलग व्यवहार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विविधता के मूल में एकता है और एकता ही विविधता बनी है। उन्होंने कहा कि हमारी आत्मीयता का दायरा जितना बढ़ेगा, उतनी एकता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज बनाना होगा। राष्ट्र विरोधी ताकतों से सावधान रहना होगा। कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें हमें जाति में बांटकर तोडना चाहती है ऐसी ताकतों को हमेें सफल नहीं होने देना है। भारत को सांस्कारिक राष्ट्र बनाने के लिये ही संघ खडा हुआ है। संघ को दबाने के लिये तरह-तरह के षडयंत्र समय-समय पर होते रहे हैं लेकिन राष्ट्रहित में अपने विचारों के साथ सभी षडयंत्रों को ध्वस्त करते हुए आज विश्व के सबसे बडे संगठन के रूप में संघ खडा हुआ है। हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और भारत माता की रक्षा के लिए पूरे समाज को खड़ा होना पड़ेगा। भारत हमारी मातृभूमि है। इसलिये ही सनातन हिन्दू संस्कृति को भारतीय संस्कृति कहते हैं।

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