Friday, November 1, 2024
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मतगणना कार्मिकों का प्रशिक्षण 3 मार्च को

समय से उपस्थित हो मतगणना कार्मिक
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2017 की मतगणना को निष्पक्ष, निर्भीक, भयरहित शांतिपूर्ण तरीके से सकुशल सम्पन्न कराने के लिए कानपुर देहात प्रशासन पूरी तरह से सचेत व गंभीर है। इसी कड़ी में मतगणना कार्मिकों का प्रशिक्षण 3 मार्च को प्रातः 10 बजे से अकबरपुर महाविद्यालय अकबरपुर में मास्टर ट्रेनरों द्वारा दिया जायेगा। 

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खाद्य सामग्री के तैयार करने में गुणवत्ता, शुद्धता का विशेष रखें ध्यान

2017.03.02 05 ravijansaamnaलजीज व आकर्षक व्यंजनों की वैराइटी के कारण आम ग्राहक को होटल, रेस्टोरेण्ट व ढाबा की तरफ हो रहा हैं आकर्षित
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। मनुष्य के जीवन में फास्ट फूड यानि जल्द तैयार होने वाला भोजन/नास्ते का विशेष महत्व है। समय का आभाव व व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी भोजन/फास्टफूड आज की जरूरत हो गयी है। उपभोक्ता/ग्राहक की सुधाशांत व संतुष्टी के लिए इस दिशा में होटल, रेस्टोरेन्ट, ढाबा एवं फास्ट फूड कार्नर, रेस्टोरेंट आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है साथ ही इस क्षेत्र में विकास की असीम सम्भावनाएं भी बड़ी हैं। 

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मतगणना कराने की तैयारी, सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम

JAN SAAMNA PORTAL HEADप्रभारी अधिकारी मतगणना कार्मिक/प्रशिक्षण के रूप में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व हुए नियुक्त
मतगणना कार्मिकों को बेहतर से बेहतर प्रशिक्षण देने की सभी तैयारियां व निष्पक्ष, निर्भीक, भयरहित, सकुशल मतगणना कराने की तैयारी रखे सुव्यवस्थित: कुमार रविकांत सिंह
मतगणना परिसर में मोबाईल माचिस इलेक्ट्रानिक्स उपकरण आदि ले जाना वर्जित, वाहन भी सौ मीटर दूर रहेंगे
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जिला निर्वाचन अधिकारी/जिलाधिकारी कुमार रविकांत सिंह ने बताया कि 11 मार्च को स्पोर्टस स्टेडियम माती में विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2017 कानपुर देहात की सम्बन्धित चारों विधान सभा क्षेत्र की मतगणना का कार्य निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित समय में मतगणना स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इन्तजाम के मध्य पूरी तरह व्यवस्थित निष्पक्ष निर्भीक भयरहित सकुशल तरीके से सम्पन्न होगा। जिसकी सभी तैयारियां पूरी की जा रही है। 

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कृषि विविधीकरण को बढ़ावा दे किसान: डीएम

PORTAL HEAD copyसरसों की खेती व पीली क्रान्ति को भी भली भांति जाने किसान
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। किसान भारत में प्रायः पीली सरसो की खेती नवंबर से शरद ऋतु में की जाती है और यह फरवरी व मार्च के प्रथम व द्वितीय सप्ताह तक काट लेते है। इस फसल को 18 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। सरसो की फसल के लिए फूल आते समय वर्षा, अधिक आर्द्रता एवं वायुमण्डल मे बादल छाए रहना अच्छा नही होता है। अगर इस तरह का मौसम का होता है तो फसल पर माहू या चैपा के आने का अधिक प्रकोप हो जाता है। शासन किसानो व कृषि विकास के लिए निरन्तर जोर दे रही है। शासन ने अनेक किसानो के लाभ के लिए कल्याणकारी व लाभपरक कार्यक्रम व योेजना भी चलाए है। जिसे किसानों ने समय-समय पर लाभ भी लिया है। जिलाधिकारी कुमार रविकान्त सिंह ने कहा कि किसान कृषि विकास के लिए कृषि विविधिकरण को बढ़ावा दे। सरसों की खेती-पीली क्रान्ति के महत्व को किसान अनदेखी न करें।

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सड़क भी बचाये और ईट मिट्टी के ऊपर होलिका बनायें

2017.03.02 02 ravijansaamnaकानपुर कमल मिश्रा। राष्ट्रीय विकलांग पार्टी द्वारा किदवई नगर चैराहे से एच ब्लाक चैराहा शनिदेव मंदिर तक होली में सड़के बचाने के लिए जागरूकता रैली निकाली गयी जिसमें नारे लगाये गये होली मनाये सड़के बचाये। इस अवसर पर संस्था के आरके तिवारी ने लोगो से अपील की कि होली में सडकों पर होलिका दहन न करे। पार्को में या परती भूमि पर होलिका स्थापित करे जहां पर पर्का व परती भूमि न हो तो वहां पर मिटटी और ईंट डालकर उसे लीला कर उसके उपर होलिका स्थापित करे, जिससे करोडो रू0 की लागत से बनी सड़कों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके। 

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त्योहार सिर पर, सफाई व्यवस्था धड़ाम

2017.03.02 01 ravijansaamnaकानपुर, कमल मिश्रा। होली का पर्व सामने है और शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह धड़ाम हो चुकी है। भले ही विभाग द्वारा सफाई के दावे किये जा रहे हो लेकिन हकीकत केवल शहरवासी ही जानते है। जगह-जगह लगे कूड़े के अम्बार स्वयं ही सफाई की हकीकत बयां कर रहे है। शहर में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से धड़ाम हो चुकी है। हर गलियो, सड़कों और चैराहों पर कूड़े के ढ़ेर लगे है। ज्यादा खराब स्थिति धनी आबादी वाले क्षेत्रो की है जहां लोगों का जीना दूभर है। जनता की माने तो न तो सही समय पर झाडू लगती है और न ही कूड़ा का उठान होता है। नालियो की सफाई को तो अर्सा बीत चुका है। सिल्ट से भरी नालियों से न होकर अब जलभराव सड़कों पर होने लगा है। 

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हेयर स्टाइल से बदलेगा आपका लुक

shalini guptaफेस के अनुसार हेयर स्टाइल को अपना कर नया लुक दिया सकता है। इस बारे में शालिनी कहती है कि आप अपने फेस शेप के अनुसार ही पफ स्टाइल चुनें।
अप डू पफ अंडाकार फेस पर ज्यादा अच्छा लगता है और अगर कहीं आपके हेयर की स्टाइल सीधी है तो क्या बात है तब तो और भी अच्छा लुक आयेगा।
फोक्स पफ स्टाइल काले और घने हेयर पर ज्यादा अच्छा लुक देता है यह ध्यान रखें कि आपके हेयर बारबर कटे हों, तब और भी यह अच्छा लुक आता है। अगर आपके हेयर कर्ली है तो इस पफ स्टाइल में थोडी दिक्कत आती है।
हाफ अप पफ इन दिनों सबसे ज्यादा चलन में है हर काॅलेज गल्र्स हों या महिलाएं इसी स्टाइल को अपनना रहीं है और हो भी क्यों न सभी पर यह आकर्षक लगता है। आपके हल्के हेयर हैं तो कोई बात नहीं इस स्टाइल को आसानी से सैट करा जा सकता है।
शालिनी के अनुसार पफ हेयर स्टाइल को आप हर प्रकार की लैंथ के हेयर पर ट्राई कर सकती है यह स्टाइल सब पर फबती है। आपके हेयर चाहे लंबे,छोटे या मीडियम ही क्यों न हों यह स्टाइल सब पर जमती है।
पफ स्टाइल ट्राई करते समय शालिनी कहती है कि आपके हेयर सिल्की और स्ट्रेट हैं, तो पफ स्टाइल को बनाना के लिए कंघी करने की जरूरत ही नहीं है आप इन्हें बिना कंघी के हाथों से शेप दे कर आसानी से पिन लगा सकती है। हेयर पर अच्छी क्वाॅलिटी का ही हेयर स्प्रे या जैल लगाएं नहीं तो आपके हेयर खराब हो सकते है।अगर आपके हेयर रफ हैं तो आप बाजार से रैडीमेड बन लगाएं, इन्हें आप नैचुरल तौर पर स्टाइल देना कुछ मुश्किल होगा। पफ लुक देने के लिए हेयर को सबसे पहले स्ट्रेटनिंग मशीन की सहायता से सीधा करें। उसके बाद सामने के हेयर में क्रीम तथा जेल का प्रयोग करते हुए बैक कोंबिग करें और आगे के हेयर का ऊंचा पफ बनाएं इसके बाद बैक कोंबिग करके हेयर को पिन की सहायता से टाईअप करें। जब हेयर का फ्रंट पफ बन जाएं तो पीछे के हेयर आप पोनी का रूप दे सकते है।

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यह कैसी पढ़ाई है और ये कौन से छात्र हैं

dr neelam mahendraआजादी का मतलब बेलगाम होना कतई नहीं होता। दुनिया का हर आजाद देश अपने संविधान एवं अपने कानून व्यवस्था के बन्धन में ही सुरक्षित होता है। आजादी तो देश के हर नागरिक को हासिल है अगर आप आजाद हैं अपनी अभिव्यक्ति के लिए तो दूसरा भी आजाद है आपका प्रतिकार करने के लिए। वह भी कह सकता है कि आप उनके विरोध का विरोध करके उसकी आजादी में दखल दे रहे हैं।
9 फरवरी 2016 में जेएनयू के बाद एक बार फिर 21 फरवरी 2017 को डीयू में होने वाली घटना ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्यों हमारे छात्र संगठन राजनैतिक मोहरे बनकर रह गए हैं और इसीलिए आज एक दूसरे के साथ नहीं एक दूसरे के खिलाफ हैं।
इन छात्र संगठनों का यह संघर्ष छात्रों के लिए है या फिर राजनीति के लिए?
इनकी यह लड़ाई शिक्षा नौकरी बेरोजगारी या फिर बेहतर भविष्य इनमें से किसके लिए है?
इनका विरोध किसके प्रति है भ्रष्टाचार भाईभतीजावाद या फिर गुंडागर्दी ?
इनका यह आंदोलन किसके हित में है उनके खुद के या फिर देश के?
अफसोस तो यह है कि छात्रों का संघर्ष ऊपर लिखे गए किसी भी मुद्दे के लिए नहीं है।

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जितेन्द्र सिंह से मिले महाराष्ट्र के छात्र

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज महाराष्ट्र से आए छात्रों के एक समूह से मुलाकात की। ये छात्र एमईएस आबासाहेब गरवारे कॉलेज पुणे से हैं और जनसंचार तथा पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। ये छात्र स्टडी टूर पर दिल्ली आए हुए हैं। दिल्ली आने से पहले छात्रों ने पंजाब के फिरोजपुर और अमृतसर जिलों का भी भ्रमण किया।
छात्रों के साथ बातचीत के दौरान डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्हें समाज के लिए एक राय निर्माता के रूप में कार्य करना चाहिए तथा एक सकारात्मक रवैये के साथ विकास के अधिकतर मुद्दों को उजागर करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से जम्मू -कश्मीर, विमुद्रीकरण, जीएसटी और पूर्वोत्तर सहित अन्य उभरते मुद्दों पर बातचीत की।

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चिकित्सा – मानवता से जुड़ा एक पेशा

kanchan pathakमनुष्य, जीवन जीने के लिए किसी न किसी विधि से उपार्जन करता है l इसके लिए वह विभिन्न पेशों, व्यवसायों या कार्यों का चुनाव करता है लेकिन मानवीय दृष्टि से अगर कोई पेशा या कार्य सबसे ज्यादा पवित्र, उत्तरदायित्वपूर्ण व संवेदनपूर्ण होता है तो वह है चिकित्सक का पेशा l किसी भी मानव या जीव को सबसे ज्यादा प्रिय उसके प्राण होते हैं और इस दृष्टिकोण से सृष्टि में ईश्वर के बाद अगर किसी का स्थान आता है तो वह है एक चिकित्सक का … जो अपनी सेवा और हुनर से मरते हुए इन्सान को बचाकर नया जीवन देता है l यही एक चिकित्सक का धर्म भी होता है पर आज चिकित्सा भी एक धंधा बन गया है .. मरीज़ों के शोषण का l कारण तो एक हीं है कि, पैसा आज मानवीय मूल्यों, भावों और सरोकारों से ऊपर हो चुका है किन्तु इसके आलावा मेडिकल कॉलेजों की कम संख्या, चिकित्सा की पढाई में होने वाला भारी खर्च, न्यूनतम सीटें आदि अनेक वजहें भी इसके लिए जिम्मेवार है l मानवीयता जैसे गुण और सेवा-भाव के प्रति समर्पण जैसी भावना एक तो वैसे हीं लोगों में बहुत कम रह गए हैं ऊपर से इन्ट्रेंस टेस्ट में इन चीजों को वरीयता देने की कतई जरूरत नहीं समझी जाती जबकि चिकित्सा क्षेत्र के लोगों का यही चरम लक्ष्य और प्रयोजन भी होना चाहिए l

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