Wednesday, January 22, 2025
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लेख/विचार

मेडिकल संसाधनों का तात्कालिक सुचारू रुप से रणनीतिक उपयोग करना महत्वपूर्ण

प्राण बचाने वाले महत्वपूर्ण मेडिकल संसाधन, ऑक्सीजन, वैक्सीन, दवाई के वेस्टेज पर अत्यंत सूक्ष्म निगरानी रखना बहुत जरूरी – एड किशन भावनानी
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और 130 करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले भारत देश में कोरोना महामारी का जबरदस्त आघात और संक्रमण के तीव्रता से बढ़ने के प्रभाव को नियंत्रित करने पूरा विश्व आज भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा है। हालांकि यह महामारी पिछले वर्ष 2020 में भी भारत में फैली थी परंतुअपेक्षाकृत संक्रमण तीव्रता कम रहने और राष्ट्रीय लॉकडाउन सहित अन्य सुरक्षात्मक कदम उठाए गए औरकुछ हदतक कोरोनामहामारी काबू में आई। परंतु वर्ष 2021 के शुरू से ही महामारी का तीव्र गति से आघात हुआ और संभलने का मौका तक नहीं दिया और संक्रमण तीव्रता से फैलता चला गया। जिस में अपेक्षाकृत मेडिकल संसाधनों की कमी आन पड़ी और स्थिति नाजुक बनी।

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पुलिस और प्रेमकथा : करोना काल में आते समाचार – वीरेन्द्र बहादुर सिंह

वर्दी और दर्दी को समझना आसान नहीं है। एक बच्चे ने पूछा, “पापा, पुलिस हमेशा चोरी हो जाने के काफी देर बाद क्यों आती है?”
पापा ने कहा, “बेटा कपड़े बदल कर आने में समय तो लगता है न।”
वैसे तो यह पुराना पाकिस्तानी जोक है। पर हर पुलिस वाला खराब या बेरहम नहीं होता। इस समय मुंबई पुलिस और उद्धव सरकार सचिन वाझे नामक एनकाउंटर स्पेसलिस्ट की वजह से काफी बदनाम हो रही है। क्योंकि मुकेश अंबानी के घर के पास गाड़ी में रखा गया विस्फोटक और उसके बाद गाड़ी मालिक की हत्या के बाद अनेक सवाल उठ खड़े हुए हैं। पर उसी मुंबई पुलिस ने कोरोना काल में गजब की सरप्राइज दी है। मुंबई पुलिस ने जो काम कर दिखाया है, उसके बाद तो लाखों लोगों का दिल आफरीन हो गया। हुआ यह कि मुंबई मे कार से आने जाने के लिए लाल, पीला या हरा स्टिकर दिया गया है, जिससे जरूरतमंद लोग ही बाहर आ-जा सकें। फालतू लोग कार लेकर बाहर न निकल सकें। इससे लोगों को भ्रम हो रहा है कि किसकिस को यह स्टिकर मिल सकता है?

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पीपल बरगद नीम की छइयां, मीठे पानी की कुइयां कोरोना महामारी ने याद दिलाए पुराने दिन

महामारी कोरोना की भयावहता के चलते हीरो से लोग गांव के लौटने लगे एक बार फिर लोगों को भूले बिसरे गांव याद आने लगे याद आने लगा है गांव का वह बचपन, घर का कच्चा आंगन बाबा दाई और घर के बाहर बंधी गाय। याद आने लगे आम के बाग उसमें कूकती कोयल, नीम व बरगद की छांव। हम कितने प्रगतिशील व आधुनिक हो गए हैं। कोरोना ने उसकी पोल खोल दी है। महामारी से परेशान होकर अपनी जड़ों को तलाशते हुए लोग गांव वापस आ रहे हैं। शायद उन्हे गांव की अहमियत का अहसास हो गया है। पेड़ चाहे जितना बड़ा हो जाए उसका जड़ो से जुड़े रहना जरूरी है। पतंग आसमान को छू ले लेकिन उसका अपने कन्ने से जुड़ा रहना जरूरी है।

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किस ओर जा रही है भारत की भावी पीढ़ी

बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव के नतीजे आने के दौरान ही आरामबाग में बीजेपी कार्यालय को अज्ञात बदमाशों ने आग के हवाले कर दिया। मानों प्री प्लान हो। इसके अलावा कई इलाक़ों में पार्टी दफ़्तरों में आग और घरों में तोड़-फोड़ की। बंगाल में हो रही ये हिंसा अगर किसीके इशारों पर हो रही है तो ये इंसान की मानसिकता का घिनौना पहलू है। सियासत में दिमागी चाल से शह मात का खेल चाणक्य के ज़माने से चला आ रहा है, पर आजकल कि राजनीति खूनी खेल खेलते हो रही है।

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कोरोना वॉरियर्स और पीड़ित परिवारों को संवेदनशीलता का भाव अपनाना जरूरी

विपत्ति की घड़ी में संयम, सहनशीलता रूपी अस्त्र अपनाना होगा
कोरोना महामारी से उत्पन्नन कठिन परिस्थितियों से निपटने संवेदनशीलता एक कारगर हथियार – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से कोरोना महामारी की विभिषक्ता ने ऐसा कहर बरपाया हैं कि जनता इस महामारी से पारिवारिक और अपनों को खोने का दुख लॉकडाउन शासकीय नियमों का पालन, दाह संस्कार में प्रोटोकॉल का पालन, आर्थिक तंगी, इत्यादि अनेक विपरीत परिस्थितियों से घिरी जनता अपना आपा खोने की ओर अग्रसर हो रही है इसी का परिणाम हम टीवी चैनलों के माध्यम से देख रहे हैं कि अनेक देशों में जनता लॉकडाउन हटाने और अन्य समस्याओं पर रोड पर उतर आई है।…

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भाजपा की महत्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका – पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम विश्लेषण

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसकी अधिकांश राजनीतिक पंडितों ने उम्मीद तक नहीं की थी। दरअसल विश्लेषकों के अलावा भाजपा भी यही मानकर चल रही थी कि ममता के दस वर्षों के शासनकाल के दौरान लोगों में उनके प्रति नाराजगी है और राज्य में सत्ता विरोधी लहर है लेकिन तृणमूल ने चुनाव में जबरदस्त कांटे की टक्कर दिखने के बावजूद पिछली बार की 211 सीटों के मुकाबले इस बार 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार धमाकेदार जीत दर्ज की है। 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो सीटों पर चुनाव टल जाने के कारण कुल 292 सीटों पर ही मतदान हुआ था। ममता और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए यह अब तक का बेहद कठिन चुनाव था लेकिन तीसरी बार भी रिकॉर्ड बहुमत से चुनाव जीतकर ममता ने भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर दिया।

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देश को आज फिर एक सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है

भारत अब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की चपेट में है। भीड़ वाले कब्रिस्तानों में कोविड के अंतिम संस्कार के वीडियो के साथ सोशल मीडिया फीड भरा हुआ है, हांफते हुए मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस की लंबी कतार, मृतकों के साथ बहने वाले मोर्टार, और अस्पतालों के गलियारों और लॉबियों में कभी-कभी मरीज़, दो से ज्यादा एक बिस्तर पर।
भारत महामारी की दूसरी लहर के साथ जूझ रहा है जिसने दुनिया भर में 2020 तक पूरी तरह तबाह कर दिया है। हमारे देश में कई संकट देखे गए जिनमे बड़े पैमाने पर अंतर और अंतर-प्रवासन, खाद्य असुरक्षा, और एक ढहता हुआ स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा। अब दूसरी लहर ने मध्यम और उच्च वर्ग के नागरिकों को भी अपने घुटनों पर ला दिया है। आर्थिक पूंजी, सामाजिक पूंजी के अभाव में, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँचने में अपर्याप्त साबित हुई है। आज बीमारी सार्वभौमिक है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा नहीं है।

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कोविड-19 महामारी के शिकार लोगों का सम्मानजनक दाहसंस्कार – मौलिक अधिकार का हिस्सा ?

अंतिम संस्कार के लिए उचित बंदोबस्त का ना होना, अमानवीय बर्ताव की पराकाष्ठा के तुल्य – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से आज कोरोना महामारी ने जो हालात पैदा किए हैं वैसे हालात आज से 100 वर्ष पूर्व पैदा हुए थे। याने सूत्रों की मानें तो हर 100 वर्ष में किसी न किसी रूप में महामारी आती है।… बात अगर हम भारत की करें तो शुक्रवार दिनांक 30 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री ने अपने संपूर्ण मंत्रिमंडल की बैठक कोरोना पर मंथन के लिए बुलाई और वहां भी कहा कि 100 वर्ष पूर्व ऐसी महामारी देखी थी और सांसदों को अपने कार्य क्षेत्र में समस्याओं का समाधान करने और केंद्र राज्य कोरोना महामारी को हराएगा ऐसी सांत्वना दी। उधर केंद्रीय गृह मंत्री ने भी कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन आयात करने की इजाजत दी है और बंद पड़े मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट और नए प्लांट शुरू कर दिए गए हैं।

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मेडिकल संसाधनों की कालाबाजारी – आपदा में अवसर पाना मानवता पर कलंक

आपदा में कालाबाजारी पर शासन, प्रशासन की अत्यंत तात्कालिक सख़्ती, सामाजिक संगठनों, सेवाभावी व्यक्तियों द्वारा पैनी नजर रखना जरूरी – एड किशन भावनानी
भारत में फैले तीव्रता से कोरोना संक्रमण को देख और मेडिकल संसाधनों की अत्यंत कमी से जूझते भारत की सहायता करने मानवीय दृष्टिकोण से संपूर्ण विश्व आज भारत की ओर दौड़ पड़ा है और तात्कालिक तीव्रता से संसाधन उपलब्ध करवा रहा है। उल्लेखनीय है कि भारत में अति तीव्रता से कोरोना संक्रमण फैलने से उपलब्ध संसाधनों की अत्यंत कमी हो गई थी और प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री और बुधवार दिनांक 28 अप्रैल 2000 21 को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री से वार्ता की और विश्व के अनेक देशों अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, कुवैत, इजराइल, सिंगापुर इत्यादि अनेक देशों ने अनेक मेडिकल संसाधनों को उपलब्ध करवाना शुरू कर दिया है

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मौत के तांडव का दोषी कौन

कोरोना संक्रमण दिन प्रतिदिन भयावह रूप लेता जा रहा है| स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से निढाल हो चुकी हैं| चारो ओर हाहाकार और त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है| इससे नाराज सर्वोच्च अदालत ने देश के हालात आपातकाल जैसे बताये हैं| पूर्णतया पंगु हो चुकी देश की स्वास्थ्य सेवाओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस विकट परिस्थिति में हम मूकदर्शक नहीं रह सकते| मद्रास तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस विभीषिका के लिए चुनाव आयोग को दोषी माना है| जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन संकट पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार से कहा कि अब हमारा विश्वास डगमगा गया है|

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