हम इंसानों ने आज तक प्रकृति को प्रदूषित करने का एक मौका नहीं गंवाया मुफ़्त में मिल रहे हवा पानी ऑक्सीजन हरियाली की लेश मात्र हमें कद्र नहीं।
नदी, तालाब, समुद्र, हवा, पानी, जंगल, आकाश, मिट्टी, जीव, जंतु, वृक्ष सब में जीवन है और सबने हमें कुछ न कुछ दिया ही है, पर हमने बदले में प्रदूषण दिया है शोषण, दोहन किया है। कितने सारे जीव हमारे कारण विलुप्ति की कगार पर है। नदियों में गटर का और फैक्ट्रियों का गंदा जल बहाते है, वृक्षों को काट कर कांक्रीट के जंगल खड़े कर रहे है। समुद्र किनारे घूमने जाते है तो पानी की बोतलें और प्लास्टिक की थैलियां और रैपर दरिया में बहा देते है।
लेख/विचार
संसाधनों की कमी से त्रस्त अस्पतालों, मरीजों, पीड़ितों ने न्यायपालिकाओं का रुख किया
कोरोना महामारी की गंभीरता के आंकलन में शासन, प्रशासन, नागरिकों सभी की कमी रही – हौसला बुलंद रख, एकजुट होकर लड़ना होगा – एड किशन भावनानी
कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में हालांकि पूरा विश्व जूझ रहा है, परंतु इस दूसरी वेव ने भारत पर सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला है। जिस तरह रोज़ संक्रमितों का आंकड़ा अधिकृत विभाग द्वारा जारी किया जा रहा है वह काफी गंभीर और चिंता का विषय बना हुआ है और इस समस्या को जनता के भय, अफवाहों, जरूरत ना होने पर भी, स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग इत्यादि के कारण और अधिक बढ़ाया जा रहा है।.. उधर देश के नामी 4 डॉक्टरों द्वारा बार-बार जनता के साथ वर्चुअल वार्ता की जा रही है और अफवाहों दवाइयों, इंजेक्शन और ऑक्सीजन की जरूरतों, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत के बारे में जानकारी साझा की जा रही है। मन की बात में प्रधानमंत्री ने भी अफवाहों पर नहीं जाने, डॉक्टरी या विशेषज्ञों की सलाह अनुसार ही काम करने का मंत्र दिया था।
ज़िंदगियों से खेल रहे है मुनाफाखोर
ज़मीनों के सौदे देखें, प्रॉपर्टी के सौदे भी देखे पर अब ज़िंदगी के भी सौदे होने लगे है। लगता है इंसान का ज़मीर ही मर गया है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों से पूरा देश परेशान है ऐसे में कुछ मुनाफाखोर संक्रमण में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों और ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग करके पैसा बनाने में लगे हुए हैं। इंसान को ऐसी घटिया फ़ितरत पर शर्म आनी चाहिए। लोग यहाँ एक-एक साँस को तरस रहे है, मरिज़ के रिश्तेदार भटक रहे है की कहीं से दवाई और ऑक्सीजन का जुगाड़ हो जाए और आत्मजन को बचा सके, सरकार मुसीबत से जूझ रही है की हर अस्पताल में ऑक्सीजन पहुंचाया जाय। ऐसी स्थिति में कुछ लोग अमानवीय कृत्य करते दवाई और ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे है।
Read More »इस महामारी के वक्त में क्रिकेट जरूरी की मरीजों का इलाज
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एंड्रयू टाय ने ये कहते हुए आइपीएल लीग से लिव ले लिया की जहाँ भारत में इतनी महामारी के बीच लोगों को दवाई, ऑक्सीजन और बेड नहीं मिल रहे ऐसे में स्पांसर कंपनियां इतने रुपए क्रिकेट पर कैसे लगा सकती है। हम विदेशीयों को क्या-क्या बोलते रहते है, उनकी संस्कृति के बारे में टिप्पणी करते रहते है। पर आज जहाँ हमारे देश वालों के दिल में ये सुविचार नहीं आया वहाँ एक विदेशी ने अपनी संवेदना जता दी।
Read More »‘‘ऑक्सीजन संकट और कहर बरपाती कोरोना की सुनामी: नए-नए स्ट्रेन और म्यूटेंट की चुनौती’’
‘लांसेट’ जर्नल में भारत को लेकर प्रकाशित हुए हालिया अध्ययन में दावा किया गया था कि जल्द ही देश में प्रतिदिन औसतन 1750 लोगों की मौत हो सकती है, जो तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक पहुंच सकती है लेकिन कोरोना वायरस के दोहरे म्यूटेशन के कारण भारत में संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि मौतों का आंकड़ा नित नए रिकॉर्ड बना रहा है और दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अब सुनामी का दर्जा दिया है। अध्ययन में जहां जून के शुरूआती सप्ताह में प्रतिदिन 2320 तक मौतें होने का अनुमान जताया गया था, वहीं 24 अप्रैल की सुबह तक 24 घंटे में ही 2624 मौतें दर्ज की गई। देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना की नई लहर कहर बरपा रही है और अब ऑक्सीजन की कमी का भयावह संकट समस्या को और विकराल बना रहा है।
Read More »कोरोना ने मानव को नहीं मानवता को परास्त किया है
“इस समाज का हिस्सा होने पर हम शर्मिंदा हैं”, यह बात बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से महाराष्ट्र में कोरोना के हालात पर कही है। लेकिन कोरोना से उपजी विकट स्थिति से महाराष्ट्र ही नहीं पूरा देश जूझ रहा है। कोरोना की जिस लड़ाई को लग रहा था कि हम जीत ही गए अचानक हम कमजोर पड़ गए।
कोरोना की शुरूआत में जब पूरे विश्व को आशंका थी कि अपने सीमित संसाधनों और विशाल जनसंख्या के कारण कोरोना भारत में त्राहिमाम मचा देगा, तब हमने अपनी सूझ बूझ से महामारी को अपने यहाँ काबू में करके सम्पूर्ण विश्व को चौंका दिया था। रातों रात ट्रेनों तक में अस्थाई कोविड अस्पतालों,औऱ जाँच लैब का निर्माण करने से लेकर पीपीई किट, वेंटिलेटर, सैनिटाइजर, और मास्क का निर्यात करने तक भारत ने कोविड से लड़ाई जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
चमत्कार कौन करेगा ? है कोई टोटका जो कोरोना को ख़त्म करें
किसीने एक बात नोटिस की ? देश के हर मुद्दों पर अपनी हाट खोलकर बैठ जाने वाले आज देश दुनिया पर आई विपदा के समय में कहाँ गायब है। कहाँ गए सारे बाबा जो चुटकी बजाते हथेलियों से भभूत निकालकर दर्द ठीक कर देते थे, कहाँ गए जाड़ फूँक करने वाले ओलिये, कहाँ गए वो ज्योतिष जो हर गतिविधियों की आगाही करते थे। कहाँ गए बड़े-बड़े शब्दों से लंबे-लंबे प्रवचन देने वाले साधु संत जो खुद को विष्णु के अवतार समझते है, कहाँ गई वो संस्थाएं जो चुनाव जीताने के लिए होम हवन करवाते है।
क्या कोरोना के आगे उनकी एक नहीं चलती, अगर सच में कोई टोटके काम करते है तो कोरोना ख़त्म करने के लिए भी कोई उपाय होना चाहिए, या सारी विद्याएं लोगों को लूटने का ढ़ोंग मात्र होता है।
चिकित्सीय ऑक्सीजन का औद्योगिक उपयोग तुरंत स्थगित हो – नागरिकों का जीवन बचाने ऑक्सीजन की अत्यंत तात्कालिक आवश्यकता
केंद्र सरकार को उद्योगों के ऑक्सीजन स्टॉक आपूर्ति को चिकित्सीय ऑक्सीजन में बदलना जरूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूपसे कोरोना महामारी 2021 का आघात बड़ी तेजी से और बहुत ही घातक हुआ है। हालांकि 2020 की अपेक्षा 2021 में इसका इंफ्रास्ट्रक्चर और पिछले वर्ष का अनुभव काफी बड़ा हैं और साथ ही साथ कोरोना मारक वैक्सीन भी कुछ देशोंने कई परीक्षणों और प्रक्रियाओंं के बाद खोज कर उपलब्ध कराईहै और टीकाकरण युद्ध स्तर पर जारी है फिरभी यह महामारी अपना उग्र रूप धारण किए हुए हैं।…बात अगर हम भारत की करें तो यहां विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है और 12 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है और तीसरे चरण का टीकाकरण 1 मई 2021 से 18 वर्ष के ऊपर वाले सभी नागरिकों को लगाना चालू होंगा, उसके बाद कुल 90 करोड़ नागरिक इस टीकाकरण को लगाने की योग्यता में आ जाएंगे।
मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में सावधानी जरूरी – लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती
प्रत्येक राज्य में जिला प्रशासन स्तर पर कोरोना मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर पैनी निगरानी रखना जरूरी – एड किशन भावनानी
वैश्विक रूप से कोरोना महामारी ने 2021 में दोबारा घातक तरीके से संक्रमण के द्वारा अति जनहानि पहुंचाई जा रही है जो काफी चिंता का विषय है। जिस के निराकरण के लिए वैश्विक स्तरपर उपाय, सावधानियां व टीकाकरण अभियान जोरदार ढंग से चलाया जा रहा है।… बात अगर हम भारत की करें तो यहां भी शासन-प्रशासन की पूरीताकत झोंक दी गई है, जिसे हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा देख व सुन रहे हैं। मेरा एक सुझाव है कि कोविड-19 अस्पताल,क्वॉरेंटाइन सेंटर से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए अतिसावधानी बरतना जरूरी है।
“पुरुष परिवार का एक सशक्त स्तंभ है”
कितने विमर्श, कितनी तारीफें, कितनी संवेदना लिखी गई है औरतों को लेकर। पर हर कोई भूल चुका है कि मर्द की आँखों में भी नमी होती है जो पलकों पर ही ठहर गई है, एक कतरा भी बहकर परिवार की खुशियाँ तितर-बितर नहीं होने देता। संसार रथ के दो पहिये जब कदम से कदम मिलाकर चलते है,,, तब हर मर्द की ये कोशिश रहती है अपनी साथी को रक्षते अगवानी में एक कदम आगे रहने की। वो जानता है वो परिवार का स्तंभ है, कभी टूटने नहीं देता खुद के होते परिवार की माला को।
Read More »