नई दिल्लीः कविता पंत। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के एक बयान ने विधानसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में पार्टी की जीत पर सवालिया निशान लगा दिए हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सफाई देते हुए नजर आ रहे हैं। हर कोई उनकी जीत की संभावनाओं को हर रोज नए समीकरणों में गढ़ रहा है। दरअसल विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले राहुल गांधी राजस्थान के चुनावी दौरे पर गये थे। मीडिया से संवाद होना लाजिमी था। जब उनसे पूछा गया कि पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बारे में उनका क्या आकलन है तो राहुल गांधी ने कहा, मैं कहूंगा, अभी, हम शायद तेलंगाना जीत रहे हैं, हम निश्चित रूप से मध्य प्रदेश जीत रहे हैं, हम निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ जीत रहे हैं। राजस्थान, हम बहुत करीब हैं, और हमें लगता है कि हम जीतेंगे। जीतने में सक्षम हैं। ऐसा लग भी रहा है और वैसे बीजेपी भी अंदरूनी तौर पर यही कह रही है। गांधी की टिप्पणी के एक दिन बाद, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तुलना में राज्य में पार्टी की बड़ी जीत सुनिश्चित करेंगे।
गहलोत ने कहा था, उन्होंने (राहुल गांधी) हमें चुनौती दी है और हम इसे स्वीकार करते हैं। हम उन्हें दिखा देंगे कि पार्टी की जीत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आगे निकल जाएगा।
लेकिन गहलोत की हालत यह है कि अब वह चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं वहां राजस्थान के बारे में राहुल का विवादित बयान की मीडिया का पहली पसंद बन गया है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस को राजस्थान में एक कठिन काम का सामना करना पड़ रहा है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच हर चुनाव के बाद सत्ता की उलट पलट का चलन लगभग तीन दशकों से कायम है। हालाँकि इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों को कुछ हद तक अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस बेहतर स्थिति में दिख रही है। वह गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के दम पर छत्तीसगढ़ में सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही है, जबकि मध्य प्रदेश में 2020 में अपनी सरकार गिराए जाने के बाद वह सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। तेलंगाना में, कांग्रेस बीआरएस की प्रभावशाली के.चंद्रशेखर राव सरकार से सत्ता छीनने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा इसे त्रिकोणीय मुकाबला बना रही है।
मिजोरम में, मिजो नेशनल फ्रंट सत्ता में है और 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ पांच सीटें हैं, लेकिन सबसे पुरानी पार्टी इस राज्य में अच्छे प्रदर्शन के साथ पूर्वाेत्तर में पुनरुत्थान की कोशिश कर रही है। कांग्रेस अपने कल्याणकारी ’गारंटियों’ और जाति जनगणना के वादे को पूरा करने की उम्मीद कर रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह 2024 में भाजपा के लिए एक मजबूत चुनौती के रूप में फाइनल में प्रवेश करेगी, न कि संख्याएं बढ़ाने से पहले फिसड्डी साबित हो जायेगी।