मथुरा (श्याम बिहारी भार्गव )। शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में ठाकुर श्री बांकेबिहारी के साल में एक बार होने वाले दिव्य दर्शन इस बार भक्तो को सुलभ नहीं हो सकेंगे। जन जन के आराध्य की इस अद्भुत छवि को निहारने पर चंद्र ग्रहण की छाया पड़ रही है। भक्तो को अपने लाड़ले के दर्शन शरद पूर्णिमा की दोपहर तक ही हो पायेंगे। संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी के लाड़ले ठाकुर श्री बांकेबिहारी लाल शरद पूर्णिमा पर्व पर साल में केवल एक बार रेशम जरी युक्त श्वेत वस्त्रों के साथ मोर मुकुट, कटि काछिनी और रजत निर्मित पायल के साथ अधरों पर बांसुरी धारण करते हैं। खास बात यह है, कि सांयकाल जब पूर्णिमा के पूर्ण चंद्र की कलाएं विस्तार लेती हैं। तब उसकी रोशनी सीधे मंदिर के जगमोहन और गर्भगृह में श्रीबांके बिहारीलाल की इस दिव्य छटा का स्पर्श करती है। जिसकी एक झलक पाने के लिए असंख्य श्रद्धालु लालायित रहते हैं। लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि पर खगास चंद्रग्रहण दृस्तव्य होने के कारण सूतक काल होने से मंदिर के पट मध्यान्ह साढ़े तीन बजे शयन आरती के उपरांत बंद कर दिए जायेंगे। मंदिर सेवायत गोपी गोस्वामी के अनुसार हालंकि श्वेत वस्त्र धारण कर ठाकुर जी के दर्शन सुबह से ही सुलभ होंगे। लेकिन सांयकाल जो चांदनी छटा की अदभुत छवि निखर कर आती है।उससे से भक्तजन वंचित रह जायेंगे। उन्होंने बताया कि ठाकुर जी को केसर मेवा युक्त खीर, अधोटा,चंद्रकला आदि व्यंजन शयन आरती से पूर्व ही निवेदित किए जायेंगे।