मथुराः श्याम बिहारी भार्गव। शरदोत्सव पर पूर्णिमा की धवल चांदनी में सूरदास जी की तपोस्थली परासौली में परम्परागत महारास हुआ। कलाकारों ने मंच पर गायन के साथ ये रास किया। महारास में मोर नृत्य भी किया गया। शरद पूर्णिमा की सायं छह से रात नौ बजे तक महारास देखने के लिए बड़ी संख्या में संत और कृष्ण भक्त मौजूद रहे। निर्देशक प. कौशिक ने बताया कि सूर कुटी के किनारे चंद्र सरोवर ही ऐसा पवित्र स्थल है, जहां द्वापर में कृष्ण और राधा ने सखियों के संग रात भर रास किया था। रास देखने को चंद्रमा भी रात भर ठहर से गये थे। महारास का ये आयोजन उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद मथुरा, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में प. पूर्ण प्रकाश कौशिक के निर्देशन में चन्द्र सरोवर के किनारे मुक्ताकाशीय रंगमंच, ओपन एयर थिएटर पर हुआ। इस मौके पर उपस्थित संतों में कन्हैया बाबा, सियाराम दास महाराज, राजेंद्र दास महाराज, दीनबंधु दास त्यागी आदि संतों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। शरदोत्सव के अंतर्गत महारास देखने के लिए मुख्य अतिथि उप्र बृज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, सीईओ नगेन्द्र प्रताप, डिप्टी सीईओ जेपी पाण्डेय, जिला पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा, गीता शोध संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा, सहायक अभियंता राम प्रसाद यादव, सहायक अभियंता दूधनाथ आदि बृज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर नगर पंचायत गोवर्धन अध्यक्ष प्रतिनिधि मनीष लम्बरदार, व्यापारी मण्डल के अध्यक्ष संजू लाला, सिया राम, मेघश्याम शर्मा, राम चन्द्र, अनिल शर्मा, मोहित कृष्ण आदि हजारों की संख्या में रास प्रेमी भक्तों ने रास का आनंद लिया। सभी अतिथियों का स्वागत ग्राम प्रधान प्रतिनिधि बबलू कौशिक ने किया। संचालन सौरभ द्विवेदी ने किया। संपूर्ण ब्रज में अन्य अनेक मंदिरों में शरदोत्सव पर भव्य दर्शन हुए।