मथुरा। वृंदावन की शांत कुंज गलियों में हलचल है। हर गली नुक्कड़ पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर चकल्लस है। कॉरिडोर निर्माण से जिन लोगों के हित प्रभावित हो रहे हैं वह इस फैसले का स्वागत नहीं कर रहे हैं और तरह तरह के तर्क देकर यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह फैसला ठीक नहीं हैं, वहीं आम श्रद्धालु इस फैसले पर सहमति जताते हुए खुशी का इजहार कर रहा है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद मथुरा जिले के वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। 20 अगस्त 2022 को जन्माष्टमी पर मंगला आरती के भीड के दबाव में हुए हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। हादसे की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने हादसे रोकने के भी सुझाव दिये थे। यहीं से कॉरिडोर बनने की बात चर्चा में आई और अब यह चर्चा अमलीजामा पहनाये जाने तक पहुंच गई है। पिछले वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर हुए आदेश के बाद यूपी सरकार ने ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। इस कारण बांके बिहारी कॉरिडोर का काम काफी समय से अटका था। सरकार की कोशिश है, कि काशी विश्वनाथ के कॉरिडोर की तरह मथुरा वृंदावन के रास्ते में हुए अतिक्रमण को हटाकर भव्य कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए, जिससे यहां आने वाली लाखों भक्तों की भीड़ को आसानी से दर्शन मिल सके। मथुरा वृंदावन की पारंपरिक पहचान को बनाए रखते हुए इसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनाने की तैयारी है। इसमें एक हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की तैयारी है। हालांकि मंदिर के सेवायत और व्यापारी इसका तीखा विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि इस कॉरिडोर से मथुरा वृंदावन की सदियों पुरानी सांस्कृतिक पहचान खत्म हो जाएगी। उसकी तंग गलियों में बसी विरासत को चोट पहुंचेगी। इससे हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंदिर के पास जमा संपत्ति से ही इस कॉरिडोर को बनाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि कॉरिडोर के निर्माण में मंदिर की संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, लेकिन यहां भक्तों की सुविधा के लिए कॉरिडोर का निर्माण किया जाना जरूरी है। वही कॉरिडोर के संबंध में मुकुट व्यवसाई मुकेश शर्मा ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को यमुना महारानी के घाटों का सौंदर्यीकरण करना चाहिए। यमुना के घाटों को और भी बेहतरीन रूप देकर बनाना चाहिए। कॉरिडोर बनने से मंदिर के आसपास रह रहे लोग और उनके व्यापार को एक बड़ा नुकसान होगा। लस्सी के दुकानदार गोविंद खंडेलवाल ने कहा कि वृंदावन में कॉरिडोर बनने से भगवान श्री कृष्ण की क्रीडा स्थली वृंदावन का प्राचीन स्वरूप नष्ट हो जाएगा। दूरदराज से आने वाले श्रद्धालु यहां की कुंज गलियों और प्राचीन स्वरूप को देखकर ही मनमोहित होते हैं, लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद यह प्राचीन स्वरूप श्रद्धालुओं को देखने को नहीं मिलेगा। वहीं उन्होंने कहा कि कॉरिडोर से स्थाई निवासियों को कोई भी लाभ नहीं हो सकेगा। बांके बिहारी मंदिर के सेवायत नितिन सांवरिया ने कहा कि कॉरिडोर किसी समस्या का हल नहीं है। इससे बेहतर यह होगा कि बांके बिहारी महाराज का एक नया मंदिर बनवाया जाए। क्योंकि बनारस और वृंदावन की भौगोलिक स्थिति में अंतर है। बनारस पूरी तरह से विश्वनाथ मंदिर पर निर्भर है, जबकि वृंदावन में पांच हजार से भी ज्यादा अधिक मंदिर है। वृंदावन के समाज सेवी महंत मधुमंगल शुक्ला ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में सभी बिंदु स्पष्ट नहीं है, न ही न्यायालय से इससे जुड़े सभी बिंदुओं को छुआ है। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। मंदिर की सेवायत आकाश गोस्वामी ने बताया कि जिस तरीके से कोर्ट ने आदेश में मंदिर में सेवायतों की सेवा एवं मंदिर के पैसे से कॉरिडोर न बनाने का जो फैसला दिया है। उसका गोस्वामी समाज स्वागत करता है, लेकिन वृंदावन में प्राचीन कुंज गालियां ही धरोहर बची है। आज सरकार उन कुंज गलियों को भी नष्ट करने पर तुली हुई है। आगामी रणनीति के लिए कानूनी सलाहकारों से गोस्वामी समाज विचार विमर्श कर रहा है।