कानपुर नगर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी सलीमुद्दीन ने बताया है कि रबी की प्रमुख फसलों गेंहूँ, राई/सरसों, मटर, आलू, में लगने वाले कीट रोग एवं खरपतवारों से बचाव हेतु नियमित निगरानी करें, बारिस से तापमान में आयी गिरावट के कारण लगने वाले कीट, रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर फसल को तत्काल बचाने के लिये सुझाव एवं संस्तुतियों बतायी है, जिसमें गेंहूँ में चौडी एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गुल्ली डंडा, जंगली जई, मटरी, चटरी, बथुआ, कृष्णनील आदि की समस्या देखी जाती है।
उन्होंने बताया कि सकरी पत्ती वाले खरपतवारों जैसे गेहुसा (गुल्ली डंडा) एवं जंगली जई के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रतिशत डब्लू0जी0 33 ग्राम (2.5 यूनिट) मात्रा को 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर फ्लैटपैन नाजिल से छिडकाव करें, सकरी एवं चौडी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु सल्फोसल्फ्यूरान 75 प्रतिशत $ मेट सल्फ्यूरान मिथाइल 5 प्रतिशत डब्लू0जी0 40 ग्राम (2.5 यूनिट) अथवा मैट्रीब्यूजिन 70 प्रतिशत डब्लू०पी० की 0.25 किग्रा० मात्रा को 500 लीटर पानी या क्लोडिनाफास प्रोपारजिल 9 प्रतिशत $ मेट्रीब्यूजिन 20 प्रतिशत डब्लू0पी0 600 ग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रथम सिंचाई के बाद 25-30 दिन की अवस्था पर फ्लैटपैन नाजिल से छिडकाव करें, गेंहूं की फसल में मकोय खरपतवार के नियंत्रण हेतु कारफेन्ट्राजोन इथाइल 40 प्रतिशत डी0एफ0 की 50 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मौसम के तापमान में गिरावट होने पर राई/सरसों की फसल में माहॅू कीट के प्रकोप होने की सम्भावना होती है। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (5 प्रतिशत प्रभावित पौधे) से अधिक हो तो एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई०सी० 2.5 लीटर, डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी० 1.0 लीटर तथा आक्सी डिमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० 1.0 लीटर रसायनों में से किसी एक को प्रति हैक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
उन्होंने बताया कि मटर की फसल में बुकनी रोग में पत्तियां फलियां तथा तने पर सफेद चूर्ण सा फैलता है। बाद में पत्तियां व तना भूरा या काला होकर सूखने लगती है।बुकनी रोग नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 3 किग्रा0 या डाइनोकैप 48 प्रतिशत ई0सी0 की 600 मिली दवा को 600-800 ली0 पानी में घोलकर प्रति0 हे0 की दर से छिडकाव करे।
उन्होंने बताया कि आलू की फसल में अगेती/पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं यथा तीब्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के प्रकोप की दशा में कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2.5 किग्रा० अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 2.0 किग्रा० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 2.5 किग्रा0 मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें।
उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिये विकासखण्ड में स्थापित राजकीय कृषि रक्षा इकाई पर सम्पर्क करें अथवा सहभागी फसल निगरानी एवं नियंत्रण प्रणाली (पी0सी0एस0आर0एस0) 9452247111/9452257111 पर एस0 एम0 एस0 या वाट्सअप भेज कर निदान प्राप्त कर सकते हैं।