नई दिल्लीः जन सामना डेस्क। बुधवार की दोपहर के समय संसद में घटित वारदात ने दो दसक पहले के 13 दिसम्बर की यादें ताजा कर दीं हैं, जब संसद पर आतंकी हमला किया गया था और आज के दिन की घटित घटना ने भी पुरानी यादें ताजा करते हुए संसद की सुरक्षा पर अनेक सवाल खड़े कर दिये हैं। फिलहाल पूरे मामले को लेकर जांच जारी है और संसद के अन्दर प्रदर्शन करने वाले दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस स्टेशन में ले जाकर पूंछतांछ की जा रही है।
बताते चलें कि बुधवार दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब दो लोग सदन कक्ष में कूद गए। उनकी गतिविधि से वहां अफरा-तफरी का महौल हो गया। उनकी पहचान मैसूर के सागर शर्मा और मनोरंजन डी0 के रूप में की गई है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पुलिस को संसद की सुरक्षा चूक में लगभग आधा दर्जन से अधिक लोगों के शामिल होने का संदेह जताया गया है। गिरफ्तार लोगों से पूछतांछ जारी है। उनके पास से कोई भी मोबाइल नहीं मिला है।
पता चला है कि सभी संदिग्ध गुरुग्राम में ठहरे थे और एक-दूसरे को जानते हैं। वहीं संसद के बाहर जो दो लोग पीले रंग का धुआं छोड़ने वाले डिब्बे लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी पहचान नीलम और अमोल शिंदे के रूप में हुई है। यह भी पता चला है कि दिल्ली के बाहर से आए सभी पांच व्यक्ति गुरुग्राम में एक व्यक्ति के आवास पर एक साथ रुके थे, जबकि अन्य पांच की पहचान की पुष्टि हो गई है, छठा व्यक्ति अज्ञात है।
संसद के बाहर से पकड़ी गई एक अभियुक्त नीलम के छोटे भाई ने कहा कि हमें इस बारे में जानकारी नहीं थी कि वह दिल्ली गई है हमें जानकारी थी कि वह अपनी पढ़ाई के लिए हिसार में है। उसने कहा कि वह सोमवार हमसे मिलने आई थी और कल लौटी है। उन्होंने कई बार बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था और किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया था।
वहीं मनोरंजन के पिता देवराज ने कहा है कि अगर मेरे बेटे ने कुछ अच्छा किया है तो बेशक मैं उसका समर्थन करता हूं लेकिन अगर उसने कुछ गलत किया है तो मैं उसकी कड़ी निंदा करता हूं। अगर उसने समाज के लिए कुछ गलत किया है तो उसे फांसी दी जाए।
अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि लोकतन्त्र का मंदिर कितना सुरक्षित है ?
संसद के अन्दर पकड़े गये व्यक्तियों के जूतों में रंगीन धुआं के वजाय कोई कैमिकल बम होता तो कितनों की और किस-किस की जान गई होती? संसद के अन्दर क्या इस तरह से कोई आतंकी वारदात को क्या अंजाम नहीं दिया जा सकता है ?
हालांकि जांच के बाद नतीजा कुछ भी निकले लेकिन संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है और इसके नकारा कतई नहीं जा सकता है। यह कृत्य योजनावद्ध भी हो सकता है।