ऊंचाहार, रायबरेली। भारत में चावल का धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक विरासत है, और इसे हिंदू धर्मग्रंथों जैसे वेद, तैत्तिरीय ब्राह्मण, शतपथ ब्राह्मण, महाभारत महाकाव्य और पवित्र शहर काशी जैसे स्थानों में पुरातात्विक खोजों में एक पवित्र अनाज माना गया है। इसी चावल से पूरे समाज को एकता के सूत्र में पिरोने की अद्भुद पहल एनटीपीसी के सरस्वती इंटर कालेज परिवार ने की है। जिसमें कुल करीब 13 सौ परिवारों से चावल एकत्र कर समरसता का भोज आयोजित किया।
शुक्रवार को कॉलेज परिवार ने समरसता भोज का आयोजन किया। आम तौर पर ऐसे भोज प्रायः होते रहते हैं किंतु इस भोज ने पूरे समाज को एकता समभाव का ऐसा संदेश दिया, जो पूरे राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने की अद्भुद पहल है। ग्रामीण क्षेत्र जहां समाज जातियों और ऊंच नीच के भेदभाव में बंटा हुआ हो, उस समाज के बीच सभी परिवारों से चावल को एकत्र करके उसके मिश्रण से खिचड़ी तैयार की, और समाज के सभी वर्ग के लोगों ने एकसाथ बैठक ग्रहण किया। हिंदू धर्म में धार्मिक रूप से पवित्र अनाज माना जाने वाला चावल विद्यालय में अध्ययनरत कुल करीब 13 सौ छात्र/छात्राएं अपने घर से लाए थे। हर परिवार से दो दो सौ ग्राम चावल को एकत्र किया गया था। इसमें सभी जाति वर्ग के परिवारों से चावल एकत्र हुए और उसके मिश्रण से आहार तैयार हुआ। सामाजिक एकता और ऊंच नीच के भेदभाव को दूर करने की इस अनूठी पहल की हर किसी ने सराहना की। इसका संयोजन प्रधानाचार्य बाल कृष्ण सिंह ने किया था। उनका सहयोग दुर्गेश पांडेय ने किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से कालेज के प्रबंधक डी पी सिंह, उन्नतशील किसान राम गोपाल सिंह, प्रधान धनराज यादव, प्रधान प्रतिनिधि विनय शुक्ल उर्फ बाबा, सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोग और विद्यालय के छात्र छात्राएं मौजूद थे। वहीं विद्यालय के आचार्य शैलेंद्र सिंह बघेल, अशोक दुबे, शशि भूषण मणि तिवारी, अनिल दुबे, राजेंद्र सिंह, प्रबंध समिति से आरपी बाथम, गया प्रसाद गुप्त भी उपस्थित रहे।
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