भारतीय वायु सेना 8 अक्टूबर 1932 से धीरे-धीरे प्रगति करती हुई आज दुनिया की 4वें नंबर की सबसे बडी़ वायु सेना मानी जाती है क्योंकि इसकी मारक क्षमता में लगातार गुणात्मक वृद्धि हुई है। अब यह अपने 85 वर्ष पूरे कर 86वें वर्ष में प्रवेश कर गई है। इन 85 वर्षों के इतिहास में ऐसे कई अवसर आए जब भारतीय वायु सेना के जांबाजो ने शत्रु के दांत खट्टे करके अपनी ताकत का एहसास करवाया। प्रत्येक चुनौती के समय भारतीय वायु सेना ने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया है। भारतीय वायु सेना के विमान हमेशा ही दुश्मन पर आफत बनकर टूटे हैं। हर बार उन्होंने दुश्मनों को तबाह किया है। हर लड़ाई को जीतने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। आजादी हासिल करने के बाद सन् 1947 की भारत पाक लड़ाई में कश्मीर में छाताधारी सैनिकों को उतारकर इस सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडा़ था। सन् 1961 में कांगो आपरेशन में भी बेहतरीन भूमिका निभाई। भारतीय वायु सेना ने सन् 1965 व 1971 की लड़ाई एवं 1999 के कारगिल संघर्ष में एक बड़ी भूमिका निभाई। यह वायु सेना की ही ताकत थी कि 1971 की जंग में पाकिस्तान के 93 हजार जवानों के साथ आत्म समर्पण करने वाले पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल ए.के.नियाजी ने कहा था कि इसकी वजह केवल और केवल भारतीय वायु सेना ही है।
अभी हाल ही में बेंगलुरु में 25 अगस्त 2017 को इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एयरोस्पेस मेडिसिन द्वारा आयोजित 56वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने आए एयर चीफ मार्शल बिरेन्दर सिंह धनोवा ने कहा था कि भारतीय वायु सेना किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। यह बात उन्होंने भारत-चीन की सेना के बीच जारी गतिरोध पर पूछे गए सवालों के जवाब में कही थी। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने कारगिल संघर्ष की सालगिरह पर कहा था कि तब से अब तक के 18 वर्षों में वायु सेना की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि अब भारतीय वायु सेना के पास हर मौसमी परिस्थिति में दिन और रात में काम करने की क्षमता है। इन बातों से यह पता चल जाता है कि भारतीय वायु सेना अत्याधुनिक हथियारों व उपकरणों से लैस है। हमारे वायु योद्धा निरन्तर आसमान से नजर बनाए रखते हैं। आज उनकी नजरों से बचकर शत्रु की कोई चाल कामयाब नहीं हो सकती क्योंकि वे हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं।
भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान शीघ्र दिए जाने की प्रक्रिया गत वर्ष ही तेज कर दी गई थी जिससे उसके विमान बेड़े की संख्या बढ़ाई जा सके। इसके लिए फ्रंसीसी एविएशन कम्पनी दसाल्ट के साथ अनिल अम्बानी का एडीए समूह महत्वपूर्ण किरदार निभाएगा और राफेल लड़ाकू विमानों के निर्माण में सक्रिय सहयोग करेगा। इन विमानों के निर्माण से रिलायन्स को जोड़ने के लिए दसाल्ट ने उसके साथ मिलकर दासो-रिलायन्स एयरोस्पेस नाम से संयुक्त उद्यम के गठन का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया योजना के तहत अब अडानी की कम्पनी और स्वीडन की साब कम्पनी पार्टनरशिप करते हुए लड़ाकू विमान बनाएंगी। एक सितम्बर 2017 को भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के सलाहकार रतन श्रीवास्तव ने कहा था कि अडानी व साब कम्पनियों की पार्टनरशिप का उद्देश्य भारत की नई रणनीतिक साझेदारी नीति के अन्तर्गत लड़ाकू विमानों का उत्पादन करना है। ये दोनों कम्पनियां देश की नई रक्षा साझेदारी नीति के तहत विश्व स्तरीय स्वदेशी वैमानिक आधार विकसित करेंगी। इस निर्माण के लिए भारत कई वर्षों से संघर्ष कर रहा है।
इससे पहले अमेरिका की हथियार निर्माता कम्पनी लाॅकहीड माॅर्टिन ने भी भारतीय वायु सेना के लिए एक इंजन वाले लड़ाकू जेट विमान बनाने के लिए डील साइन कर दी है। भारतीय कम्पनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम के साथ की गई इस साझेदारी के तहत दोनों कम्पनियां मिलकर एफ-16 लड़ाकू विमान बनाएंगी। इस लड़ाकू विमान का मुकाबला स्वीडन की कम्पनी साब के ग्रिप्पन एयरक्राफ्ट से होगा। दरअसल भारतीय वायु सेना को सोवियत संघ के समय की फ्लीट को बदलने के लिए सैकड़ों विमानों की जरूरत है जिसके लिए इन विमानों का निर्माण किया जाएगा। दोनों कम्पनियां भारत में ही इनका उत्पादन शीघ्र प्रारम्भ करेंगी।
17 अगस्त 2017 को रक्षा खरीद परिषद की बैठक में कुल 4168 करोड़ रुपये के खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई जिसमें 6 अपाचे एएचइ 64 ई लड़ाकू हेलीकाॅप्टरों का प्रस्ताव भी शामिल है। इन्हें भारत अमेरिका से खरीदेगा। इनकी खरीद में इनके कलपुर्जे, प्रशिक्षण, हथियार व गोलाबारूद जैसे अतिरिक्त तत्वों को भी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में रक्षा खरीद परिषद ने वायु सेना के लिए 22 अपाचे हेलीकाॅप्टर तथा 15 चिनूक हेलीकाॅप्टरों की खरीद के प्रसताव को अपनी मंजूरी प्रदान की थी। ये अगले वर्ष 2018 से वायु सेना को मिलना प्रारम्भ हो जाएंगे। इनकी कुल अनुमानित लागत तकरीबन तीन बिलियन डाॅलर है।
अमेरिका ने भारत को अत्याधुनिक एफ-16 एवं एफ-18 लड़ाकू विमान दिए जाने का जोरदार समर्थन किया है। सितम्बर 2017 के प्रथम सप्ताह में अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने संसदीय समिति के समक्ष भारत को एशिया-प्रशान्त में अमेरिका का सबसे मजबूत साझीदार देश बताते हुए कहा कि वह खतरनाक पड़ोसी देशों के बीच स्थित है। इसलिए उसे लड़ाकू विमान निर्यात करने से दोनों देशों के रक्षा संबंध काफी मजबूत होंगे। इसी आधार पर अमेरिका की ट्रम्प सरकार ने कांग्रेस को भारत को लड़ाकू विमान निर्यात करने के बोइंग व लाॅकहीड मार्टिन के प्रस्ताव का समर्थन करने की जानकारी दे दी है। ऐसे में यदि भारत इन विमानों को खरीदेगा तो वायु सेना की ताकत में काफी इजाफा होगा।
भारतीय वायु सेना को एक लम्बे इंतजार के बाद अत्याधुनिक मध्यम दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली वायु मिसाइल प्रणाली हासिल हो जाएगी। यह एडवांस्ड मिसाइल प्रणाली तकरीबन 70 किलोमीटर की दूरी से बैलेस्टिक मिसाइलों से लेकर लड़ाकू जेट विमानों व हेलीकाॅप्टरों को मार गिराने में सक्षम होगी। यह मिसाइल प्रणाली रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ ) और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्ररीज (आइएआइ ) मिलकर बनाएंगे। डीआरडीओ ने आइएआइ के साथ इसके निर्माण के लिए 17000 करोड़ रुपये का समझौता किया है। वायु सेना की यह ऐसी एडवांस्ड प्रणाली होगी जो सभी मौसमों और 360 डिग्री मोबाइल लैण्ड आधारित थियेटर एयर डिफेन्स प्रणाली होगी। यह प्रणाली दुश्मनों की बैलेस्टिक मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, हेलीकाॅप्टरों, ड्रोन विमानों, निगरानी विमानों और अवाक्स विमानों को मार गिराने में सक्षम होगी। यह मिसाइल प्रणाली अगले तीन साल में तैयार हो जाएगी। इस तरह यह स्पष्ट है कि भारतीय वायु सेना आने वाले दिनों में काफी ताकतवर हो जाएगी।