रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लगातार धरना-प्रदर्शन जारी रखने पर शासन ने सख्त रवैया अपनाया है। केंद्रों के न खुलने पर 5666 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अक्टूबर माह का मानदेय रोक दिया गया है। इससे आंदोलनकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। वहीं, बाल विकास पुष्टाहार विभाग के अधिकारी की समझौते को लेकर की जा रही कोशिशें व्यर्थ साबित हो रही हैं। महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की ओर से लगातार धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके चलते जिले के 2833 आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटका हुआ है। हड़ताल के चलते अक्टूबर माह में शबरी संकल्प योजना के तीनों चरण फ्लॉप हो गए। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हड़ताल से दूर रखने के लिए अधिकारियों ने काफी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके। पिछले 27 दिन से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका धरना प्रदर्शन कर रही हैं। इस पर शासन ने कड़ा रुख अपनाने हुए सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के अक्टूबर माह का मानदेय रोक दिया है। इस कार्रवाई से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है।
कार्यकर्ताओं ने दिया धरना
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने 27वें दिन भी विकास भवन परिसर में धरना दिया। प्रशासन की ओर से माइक हटवा देने से कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है। जिलाध्यक्ष लीना पांडेय ने कहा कि आइसीडीएस सिर्फ धोखा है। केंद्र सरकार बाल विकास परियोजना के नाम पर शोषण करने में लगी है। बजट कटौती करके कुपोषित बच्चों और महिलाओं के साथ मजाक किया जा रहा है। इस अवसर पर सीता सिंह, कुमकुमलता, रचना, सुशीला, बीना श्रीवास्तव, सुनीता वाजपेयी आदि मौजूद रहीं।