रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। श्री सहस्त्र चण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत हृदय नवाह्न परायण कथा के अंतिम सोपान नौंवे दिन वीतराग ज्ञानागार संत स्वामी सूर्य प्रबोधाश्रम (स्वामी स्वात्मानन्द) ने कृष्ण सुदामा मित्रभाव की अत्यन्त विशद् व्याख्या की। उन्होंने कहाकि परमात्मा रूप श्रीकृष्ण जीव भाव अल्पज्ञ साथियों के साथ समता भाव से क्रीड़ा करते हैं। वे अपने साथियों के मध्य अपने वैभव का प्रदर्शन नहीं करते। स्वामी जी ने कहाकि प्रभु श्रीकृष्ण की मित्रता में समता की वैशिष्टता के दर्शन स्पष्ट रूप से होते हैं। उन्होंने कहाकि भगवान श्री कृष्ण तथा ब्राहम्ण सुदामा की मित्रता लोक सिद्ध है। इस मित्रता में असमान धनस्थिति के कारा आत्मीयता का अभाव रहता है। प्रभु कृष्ण अतीत धनवान हैं और सुदामा अतीव जनहीन हैं। सुदामा भिक्षा पर आश्रित जीवन जीते हैं और श्रीकृष्ण जी अपार समृद्धशाली जीवन जीते हैं। स्वामी जी ने कहाकि सुदामा जब अपने मित्र से मिलने जाते हैं तो मित्र को भेंट में देने के लिए उनके घर में कुछ नहीं होता है। वे उधार के टूटे चावल लेकर मित्र कृष्ण से मिलने जाते हैं। ऐसे सुदामा का परमात्मा कृष्ण आत्मविभोर होकर स्वागत करते हैं। वे अपने से आयु ज्येष्ठ और गुरू सानिध्य में अधिक समय तक रहने वाले सुदामा का जिस तरह स्वागत करते हैं वह व्यक्ति के अनुकरणीय है। स्वामी जी ने कहाकि सुदामा प्रभु कृष्ण के द्वारा दिए अतीव सम्मान और आत्मीयता से अभिभूत होते हैं और इसे अपने लिए कुछ ज्यादा मानते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपने गुरू सानिध्य में मुझे ज्यादा समय बिताया है। साथ आपे विद्या धन में मुझसे अधिक धनवान हैं। प्रभु कृष्ण सुदामा से कहते हैं कि मानव समता प्राप्ति में आप मुझसे आगे हैं। मेरी दृष्टि असुर विनाशक है परन्तु आपके व्यवहार में केवल समता और सहिष्णुता ही है। कार्यक्रम आयोजक मनोज कुमार पाण्डेय ‘बजरंग दास’ ने बताया कि आज अनुष्ठान का अन्तिम दिन है। शनिवार को श्रीसहस्त्र चण्डी महायज्ञ के पूर्णाहुति यज्ञ और भण्डारे के साथ अनुष्ठान पूर्ण होगा। इस मौके पर प्रशान्त बाजपेई, गरिमा बाजपेई, विनय पाण्डेय, राजेन्द्र जायसवाल, मनोज पाण्डेय, अवध नरेश पाण्डेय, अमरेश चैबे, जगदम्बा तिवारी, मदन सिंह चैहान, दिनेश प्रताप सिंह चैहान, चन्द्र किशोर बाजपेई, आरके पाण्डेय आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।