प्रमुख चैराहों पर अक्सर रहती है जाम की स्थिति
जैन मंदिर पर तो बड़ा बुरा हाल डग्गेमार वाहनों का रहता है डेरा
आड़े तिरछे टैम्पो भी दिखा रहे यातायात व्यवस्था को ठेंगा
चंद कदमों की दूरी है एसपी सिटी कार्यालय-फिर भी नहीं कोई असर
फिरोजाबादः एस0 के0 चित्तौड़ी। देखा जाये तो समय समय पर यातायात पुलिस यातायात व्यवस्था सुधारने को कभी हेलमेट चेकिंग तो कभी वाहनांे के चालान काटना आदि कर खानापूर्ति करती रहती है, लेकिन कई वर्षो से चली आ रही एक व्यवस्था को क्यों नहीं सुधारा जा रहा है। सोचने वाली बात यह है कि टीएसआई से लेकर पूरा यातायात विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, यह समस्या है शहर के प्रमुख चैराहों व सड़कों पर आड़े तिरछे खड़े डग्गेमार व आॅटो आदि वाहनों का अतिक्रमण। इस अतिक्रमण को आखिर क्यों दूर नहीं किया जा रहा है? क्या कारण है कि सब कुछ देखकर भी अनदेखा कर दिया जाता है। अगर वाकई इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान दिया जाये तो कहीं हद तक जाम की समस्या में भी सुधार आ सकता है, अब देखना ये है आखिर कब जागती है यहां की यातायात पुलिस।
शहर के प्रमुख चैराहों जिसमें सुभाष तिराहा, गांधी पार्क, जाटवपुरी, कोटला चुंगी, आसफाबाद चैराहा व एसबीआई प्रमुख शाखा वाले रोड, स्टेशन रोड, फिरोजाबाद क्लब के पास डग्गेमार वाहन और आड़े तिरछे खड़े आॅटो चालकों का दबदबा रहता है। जिनसे न तो क्रमबद्ध लगाने के लिये कहा जाता और न ही यातायात पुलिस का इन पर कोई सख्त डंडा चलता है। बस यूं ही अपनी मनमर्जी से कहीं भी आगे पीछे अपने वाहन लगाकर ये अतिक्रमण कर लेते हैं। सुभाष तिराहे पर तो ये आलम है कि कुछ एक दुकानों के सामने सुबह से शाम तक आॅटो चालक खड़े रहते हैं जिससे वहां ग्राहक भी नहीं आते। ऐसा ही हाल जैन मंदिर वाली साइड का है। अफसोस वाली बात यह है कि यहां यातायात पुलिस भी तैनात रहती है और पास ही चंद कदम की दूरी पर फायर बिग्रेड के समीप एसपी सिटी का कार्यालय भी है, फिर भी इन यातायात के नियमों को तोड़ने वाले वाहन चालकों पर कोई शिकंजा नहीं कसा जाता। अब बात करें सिस्टम सुधारने की तो पिछले कुछ महीनांे पूर्व जब जिले के प्रभारी नीलकंठ तिवारी यहां आये थे उन दिनों सुभाष तिराहे के सारे आॅटो सामने स्थित गली में लगवा कर यह चैराहा खाली करवा दिया गया था शाम तक यही सिस्टम चला था। तब लोग कहते देखे गये ऐसा रोजाना हो जाये तो काफी हद तक सुकून रहेगा, लेकिन उनके जाने के बाद फिर से यही हाल। अब सोचने वाली बात यह है कि इस तरह कैसे सुधरेंगे यहां के हालात, कब हटेगा यहां का ये अतिक्रमण?