ऊंचाहार, रायबरेलीः जन सामना ब्यूरो। ऊंचाहार एनटीपीसी हादसा को लेकर एनटीपीसी हादसा मे जमी दिल्ली की ह्युमैनराइट दिल्ली की टीम श्रमिकों के साथ मानवाधिकार के अन्तर्गत आने वाले हनन के संबंधित समस्त बिन्दुओं पे रिकार्ड टटोलने मे जुटी है जिसमे हादसे मे हुए मौतों के पीएम रिपोर्ट और घायल के नाम पता मोबाइल सहित मांगा है। ंिजसमे हलाकि साक्ष्य आधे अधूरे ही मिले है।जिसके कारण टीम को जांच करने मे काफी मुसीबतों का सामना करना पड रहा है। गौरतलब हो कि 1 नवंबर को एनटीपीसी ऊंचाहार मे पांच सौ मेगावाट के यूनिट मे ब्वायलर एरिया मे हादसा होने पे जहां अब तक अस्पतालों मे इलाज के दौरान 45 मौते हो चुकी है और भारी संख्या मे घायल श्रमिकों का प्राथमिक उपचार विभिन्न अस्पतालों मे जहां जारी है।जिसमे जांच अवधि की सीमा समाप्त होने के बाद भी हादसा का खुलाशा न होने पे विभाग को लेकर आमजनमानस मे तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त है जिसमे श्रमिकों का दावा है कि घटना के दिन प्लांट परिसर से ही सैकडों श्रमिकों का शवों को एनटीपीसी ने गायब कर दिया और राख के टीले मे दबे शवों को राख का टीला गोपनीय ढंग से गायब किया जा रहा है जिसमे वहां के शवों को भी गायब किया गया है हलाकि ये मौते छत्तिसगढ और बिहार आदि प्रदेशों के होने के दावे किया जा रहा है। हलाकि घटना के एक माह बाद एनटीपीसी मे दिल्ली से ह्युमेनराइट विभाग की टीम यहां पे दस्तक देेकर हर बराखियों मे विभागीय बिन्दुओं पे खंगालने मे जुटी है जिसमे अस्पतालों मे मरने वालों के सबंध मे जब विभाग ने पुलिस से रिपोर्ट मांगा तो कुल 45 मौतों मे महज 19 पीएम रिपोर्ट ही पुलिस सांैप पायी है।जिसमे अन्य के पीएम रिपोर्ट न मिलने पे विभागीय खेल इसमे भी जारी होने का चर्चाएं है क्योंकि इतने बडे हादसे मे एनटीपीसी विभाग के पास अभी तक पीएम रिपोर्ट तक नही है सभी मृतकों का तो वह क्या श्रमिकों को लाभान्वित करेगा जिसको लेकर प्रश्न चिन्ह बना हुआ है।जिससे साफ है कि एनटीपीसी ने मानवता को तार तार हर बिन्दुओं पे लापरवाह साबित है हलाकि प्रश्न उठता है कि क्या एनटीपीसी के दोषियों को बेनाकाब करके उनके खिलाफ कार्यवाही होगा या ठंडे बस्ते मे डालने के लिये प्रयाश यानी जांच के बाद खुलाशा ही नही किया जायेगा।हलाकि श्रमिकों के हर बिन्दुओं पे आधे अधूरे दस्तावेज आयी टीम को उपलब्ध करवाया गया है और तो और प्लांट के हादसे से सबंधित सम्पूर्ण जानकारी देने मे जांच के बाद ही टीम को देने को कहकर मामले को दबाने मे जुटी है।