Sunday, November 24, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » भूखमरी के कगार पर पहुचे डी जे व बैण्ड संचालक!

भूखमरी के कगार पर पहुचे डी जे व बैण्ड संचालक!

⇒सैकड़ों वर्ष पुरानी परम्परा खत्म करना चाहती है सरकार
⇒पुस्तैनी काम बदल कर दूसरा काम नहीं कर सकते: संचालक
⇒परमीशन के लिये पाॅच अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता है
कानपुरः अर्पण कश्यप। शादी-पार्टी में डी जे, बैण्ड से होने वाली तेज आवाज से होने वाली ध्वनि को प्रदूषण रोकने के नाम पर जारी किए गए फरमान से सरकार गरीबों के पेट पर लात मारने का काम हो रहा है। परमीशन के बिना डी जे व रोड चलित बैण्डों को बजाने के लिए जारी किए गए फरमान ने बैण्ड-डीजे संचालकों के लिए कठिनाइयों का पहाड़ खड़ा करने का काम किया है। हालांकि परमीशन को कई बैण्ड संचालकों ने जायज करार देते हुए कहा कि परमीशन की प्रक्रिया में सुधार लाने की जरूरत है और वो न्यायालय के आदेश का सभी संचालक पालन करने को तैयार है। इस मामले को लेकर डीजे व बैण्ड संचालकों के एक दल ने कानपुर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि परमिशन लेने की प्रतिक्रिया इतनी लम्बी है कि परमिशन लेने वाला चाहे वो पार्टी आयोजक हो या डी जे व बैण्ड संचालक सभी को पहले कोर्ट ए सी एम से फार्म लेकर कार्यक्रम क्षेत्रीय चैकी, थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। समय पर परमीशन ना मिलने के चलते कई संचालकों को कार्यक्रम रद्द करने पड़े और बयाना वापस करना पड़ा है। प्रेस वार्ता करने वालों ने बताया कि साल के तीस चालीस दिन होने वाले वैवाहिक कार्यक्रमों में बजने वाले डी जे साउन्ड कार्यक्रम को यादगार बनाने का काम करते हैं न कि माहौल बिगाडने का ।
एसोसिऐशन के अध्यक्ष रमेश चन्द्र कुन्डे ने बताया कि एक-एक बैण्ड से तीस से चालीस परिवारों को रोटी मिलती है। उनके बच्चों की पढ़ाई खाना खर्चा सब साल के तीस चालीस दिन ही काम करके सब पूरे साल घर चलाते हैं। सरकार और न्यायालय रोजगार देने के बजाये उनसे उनका रोजगार छीन रही है जो बहुत ही शर्मनाक है।
प्रेस वार्ता कर उन्होंने मांग की कि परमीशन लेने की एक जगह निर्धारित हो चाहे वो कार्यक्रम का थाना क्षेत्र हो या एसीएम से हो। पाॅच अलग अलग स्थानों पर दौड़ा कर परेशान न किया जाये।
परमिशन पूरे सीजन या एक एक महीने की दी जाये चाहे भले ही कार्यक्रम की डिटेल सलंग्न करवाई जाये जैसे शादी के कार्ड आदि। गेस्ट हाउसों में लगे डी जे संचालकों के भी एक महीने की परमिशन दी जाये क्योकि काम आने का कोई समय नहीं होता।
यह भी कहा कि अगर फिर नियमों का कभी कोई संचालक उलघंन करता पाया जाये तो न्यायालय से जो भी सजा मिले वो स्वीकृत होगी
प्रेसवार्ता में बैण्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश चन्द्र कुन्डे, कार्यवाहक राजेश गुप्ता, महामंत्री किशोर कटारिया, उपाध्यक्ष राजेन्द्र कलसे, रमेश सिंह, राजकुमार, मोहन खरे, डीजे संचालक अजीत रिंकू, बउवा गुप्ता, इकबाल साउन्ड आनन्द, चन्दन व घाटमपुर, पतारा, बिधनू, रसूलाबाद, रनियां, सरसौल, चैबेपुर, बिठूर, शिवराजपुर, मूसानगर, शिवली, सचेंडी, भीतरगाॅव सहित दूर दूर से लोग कानपुर में एकत्र हुए और अपनी बात रखी।