मीरजापुर, संदीप कुमार श्रीवास्तव। मीरजापुर वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले जंगलों में पाए जाने वाले वन्यजीव-जंतुओं के अंकन के लिए विशेष कैमरों के द्वारा शोध किया जा रहा है. मान्यता है कि इन जंगलों में कई संरक्षित प्रजातिओं का निवास है जिनमें मुख्यत स्लॉथ भालू, तेंदुआ, चिंकारा, काला हिरण, चीतल, सांबर, सियार, जंगली बिल्ली इत्यादि मौजूद है। हालांकि इस क्षेत्र के वन्यजीवों पर शोध नाम मात्र ही हुआ है जिसके चलते इनके रहवासों को मानवीय दवाब के कारण भारी नुक्सान पहुंचा है।
मीरजापुर वन प्रभाग एवं विंध्यन इकोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री फाउंडेशन (विंध्य बचाओ अभियान) द्वारा जिले के प्रमुख वन्यजीव बाहुल्य वन क्षेत्रों में विशेष कैमरों के द्वारा वन्यजीवों की प्रजातिओं का अंकन किया जा रहा है. इससे इनके पर्यावास को समझने एवं उनके संरक्षण में मदद मिल पाएगी. जनपद में इस तरह कैमरे के द्वारा वन्यजीव पर अनुसंधान पहली बार हो रहा है. इस कार्य में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (ॅज्प्) के साथ साथ कई वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संस्था एवं व्यक्तिओं द्वारा मदद की जा रही है. माना जा रहा है ही कि इस अनुसंधान कार्य के संपन्न होने पर वन विभाग द्वारा जिले में भालू-बाहुल्य वन-क्षेत्रों को और बेहतर रूप से संरक्षित किये जाने में मदद मिलेगी।
आज सुबह जब शोधकर्ताओं की टीम सुकृत के जंगलों में लगाए गए कैमरों की नियमित जांच के लिए पहुंची तो वहाँ उनको एक कैमरा गायब मिला. विन्ध्य बचाओ अभियान के कार्यकर्ता देबादित्यो सिन्हा ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई कैमरा जंगल से चोरी हुआ है। चोरी करने की मंशा अभी भी संदेह का विषय है क्यूंकि इन कैमरों का इस्तेमाल वन्यजीव सर्वेक्षण में ही किया जाता है और इसे चुरा कर किसी को फायदा नहीं पहुचने वाला है। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि इन कैमरों को कृपया नुक्सान न पहुंचाए।
मिर्जापुर वन प्रभाग के सुकृत रेंज की तरफ से वन रक्षक प्रमोद सोनकर एवं राम श्रृंगार तिवारी द्वारा अहरौरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गयी है, हालांकि खबर लिखे जाने तक एफआईआर नहीं लिखी गयी है।
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