हाथरस, नीरज चक्रपाणि। श्याम नगर कॉलोनी में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में आचार्य सीपूजी महाराज ने महारास, गोपी गीत और रुक्मणी विवाह प्रसंग पर प्रकाश डाला।
प्रवचन करते हुए सीपूजी महाराज ने कहा कि जीवात्मा का परमात्मा से संयोग तथा पूर्ण कृपा प्राप्त करना ही महारास लीला का उद्देश्य था। इसलिए ब्रह्म और जीव का मिलन ही महारास है, जो माया के आवरण से रहित शुद्ध है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच हुए महारास में आत्मा से परमात्मा का मिलन हुआ है। ये सांसारिक मिलन नहीं, ब्लकि आत्मा और परमात्मा के बीच का वार्तालाप होता है। महारास कर भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को छोड़कर द्वारिकापुरी जाने पर गोपियों का अभिमान चूर किया था। इस विरह में व्याकुल गोपियां ये महसूस करती थीं कि श्रीकृष्ण उन्हें छोड़कर चले गए, लेकिन परमात्मा कभी आत्मा से दूर नहीं होते हैं। गोपियों के अज्ञान के आवरण को हटाने के लिए भगवान ने महारास से पूर्व चीरहरण लीला की थी।
इस अवसर पर शंकरलाल गामा, संजय गामा, बद्रीप्रसाद गामा, बंटी भैया, प्रेम वाष्र्णेय, अशोक कुमार गुप्ता, विशाल वाष्र्णेय, गोविंद वार्ष्णेय, नारायण वार्ष्णेय, दिलीप गुप्ता, गोपाल वार्ष्णेय, कन्हैया वार्ष्णेय आदि मौजूद थे।