Monday, November 25, 2024
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संत कबीरदास जी के जन्मदिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन

आज मेरे देश को कबीर चाहिये…..
हाथरस, नीरज चक्रपाणि। संतकबीर दास के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम की एक काव्य गोष्ठी का आयोजन तालाब चौराहा स्थित रामदरबार मन्दिर में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता उमाशंकर भारती ने की। तथा संचालन बरिष्ठ कवि श्यामबाबू चिंतन ने किया। सभी कवियों ने संतकबीर के छवि चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया। गोष्ठी का प्रारम्भ कवियित्री मनु दीक्षित की बन्दना से हुआ। बाबा देवी सिंह निडर ने कुछ इस तरह पढ़ा भेद भाव तोड़ने की पीर चाहिये, आज मेरे देश को कबीर चाहिये। प्रभु दयाल दीक्षित प्रभु ने पढ़ा कि- तुलसी सूर कबीर के चरणों की हूॅ धूल, प्रभु चरणों में समर्पित कंरू काव्य के फूल। दिनेश राज कटारा ने पढ़ा कि- कविता हर कवि के लिये होती जिय की जान, उसे चुराना छेड़ना है अपराध महान। कवियित्री मनु दीक्षित मनु ने पढ़ा कि- कबीर सूर तुलसी है कभी रसखान है कविता, कभी रामायण गीता कभी कुरान है कविता। देवेश सिसोदिया आॅसू ने पढ़ा कि- निर्दोषों का खून बह रहा देखो तो कश्मीर में, हम कायर से देख रहे क्या जंग लगी समशीर में। मुनी सिसोदिया ने पढ़ा कि- दिल तेरे राज्य की राजधानी हुआ, तू तो किस्सा हुई मैं कहानी हुआ। संचालन कर रहे बरिष्ठ कवि श्यामबाबू चिन्तन ने कुछ इस तरह पढ़ा कि रूड़ी, बेड़ी तोडने दिया तत्व है ज्ञान, श्रद्धांजलि अर्पित करूं कबिरा कवि महान। इसके साथ विष्णु दयाल बजाज तथा राम भजन लाल ने भी काव्यपाठ किया। तथा कवि प्रभुदयाल दीक्षित द्वारा 51 पुस्तक लिखने पर संस्था द्वारा उन्हें प्रतीक चिन्ह भैंट कर सम्मानित किया गया।