Monday, November 25, 2024
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कल का भविष्य पढ़ाई के बजाय स्कूल में भर रहा है-पानी

कानपुर, अर्पण कश्यप। सरकारी प्राथमिक विद्यालय जहॉ बच्चे पढ़ने जाते है। अपना कल अपने आज से बेहतर बनाने के लिये मॉ बाप प्राईवेट स्कूलों की फीस न भर सकने के कारण सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ने भेजते है। लेकिन यहॉ तो नजारा कुछ और ही देखने को मिलता है, यहॉ अध्यापक बच्चों से पानी भराती है और रोज नियमावली से बदल-बदल कर बच्चे पानी भरने जाते है। अफसोस की हम बच्चों को पॉच से छः घंटे विश्वास पर स्कूल में टीचरो के भरोसे छोड़ देते है कि पढ़ लिख कर उनका कल बेहतर होगा पर यहॉ तो उन्हे पानी भरना सीखाया जाता है। वहीं कुछ स्कूलो में स्कूल प्रबधंको से इस विषय में जानकारी करने पर बताया की हमारे स्कूलों में पानी की कोई व्यवस्था नहीं हैंडपम्प था जो कि सूख गया पर क्या बच्चों से पानी भराना कहॉ तक उचित है। लेकिन सरकार की माया सरकार ही जाने दबी जुबान से टीचरों ने ही स्वयं बताया कि हैंडपम्प के लिये कई बार ऊपर तक कहा गया है, पर कोई सुनवाई नहीं हुयी है। वहीं स्कूल भवन की बात करें तो सरकारी भवन कभी भी ढ़ह सकता है छत जर्जर हो चुकी है। डर के साये में टीचर और बच्चे छत के नीचे बैठते है। या यू कहे के पैरेंटस स्वयं ही बच्चों को मौत के मुंह में भेज रहे है। पर प्रशासन कान में तेल डाले बैठी है और किसी बड़े हादसे का इन्ताजर कर रही है।
क्या कहना है, बीएसए का….!
वही इस विषय में बी.एस.ए द्वारा जानकारी करने पर बीएसए ने सारी समस्या बजट न होने की वजह से बताई बीएसए ने कहा कि बजट आते ही स्कूलों की सारी व्यवस्था दुरूस्त की जायेगी। वही बीएसए से बच्चों द्वारा स्कूल में पानी भरने की बात पर सवाल करने पर चूप्पी साघ ली।
जर्जर भवन में स्कूल पहली बारिश से टापू सा नजारा देखने को मिला स्कूल के सारे कमरों में छत टपक रही है पानी के बीच बैठ बच्चे पढ़ाई करते है।