हाथरस, नीरज चक्रपाणि। सादाबाद गेट स्थित तम्बाकू वाली बगीची में धन्वन्तरि औषधालय में 174 वां मासिक कवि दरबार भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर कवि, साहित्यिक विद्वान, अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी प्रचारक, पत्रकार स्व. अटलबिहारी वाजपेयी को काव्यांजलि अर्पण करते हुये नगर के आयुर्वेद के अन्तर्राष्ट्रीय विद्वान आचार्य डा. रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी, हास्यकवि पदमश्री काका हाथरसी तथा अन्तोदय के प्रर्वत्तक पं. दीनदयाल उपाध्याय को उनकी पुण्य स्मृति जन्म जयन्ती दिवस पर भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस बार का कवि दरबार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व, शिक्षक दिवस, हिन्दी दिवस तथा मेला श्री दाऊजी महाराज को समर्पित था।
कवि दरबार का शुभारंभ पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी जी को काव्यांजलि अर्पण से हुआ। साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी-कवि विद्वान अटलजी महान थे। प्रदीप पंडित-प्रख्यात कवि अटलजी के साथ बितायें पलों का स्मरण करते हुये अपनी भावांजलि इस कविता से दी-मां भारती के सपूत अटलबिहारी थे। संस्कार भारती के तरूण शर्मा-एक के हो के चलो तरूणजी, मत जोड़ो सभी से नाता, जिन्हें न भाती हंसी तेरी, पथ उन्हीं से रोका जाता। डा. विजयदीप, डा. नितिन मिश्रा, डा. वी.पी. सिंह, अशोक गौड़, अंकित शर्मा, शरद तिवारी, रामवीर शर्मा ने अटलजी को अपनी भावांजलि अर्पित कीं।
कवि दरबार संस्थापक वैद्य मोहन ब्रजेश रावत ने अटलजी को युग पुरूष बताते हुये अपने अनेकों संस्मरण सुनाते हुये अटलजी की कविता सुनाई-गीत नया गाता हूं, आओ फिर से दिया जलायें, सुनाकर श्रद्धांजलि अर्पित कीं। कवि दरबार प्रचार प्रभारी जयप्रकाश शर्मा-दे गये नवयुग का वरदान, धन्य तुम भारत रत्न महान, कविता से श्रद्धा सुमन अर्पित किये। भावांजलि अर्पण के बाद कवियों ने काव्य पाठ किया। वैद्य मोहन ब्रजेश रावत-ब्रज में जन्मे कृष्ण कन्हैया, तुमको श्रद्धा पूर्ण प्रणाम। प्रदीप पंडित-जय गोवर्धन गिरधारी की, कृष्णमुरारी की, चक्र सुदर्शनधारी की। कवि दरबार द्वारा मेला श्री दाऊजी महाराज महोत्सव को शुभकामनायें देते हुये हिन्दी दिवस पर राष्ट्रीय एकता के लिये हिन्दी को अपनाने का आव्हान किया।