नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को दिल्ली में लागू नहीं किए जाने के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा सोशल मीडिया पर दिए गए जवाब पर गहरी नाराजगी जताई है। मुख्यमंत्री को आज लिए पत्र में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि मुख्यमंत्री का जवाब यह दर्शाता है कि उन्हें दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जरा भी परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह दावा निराधार है कि वह लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं दे रही है इसलिए आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं कर रही है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली सरकार की सभी लोकलुभावनी योजना सहित एक वर्ष से भी पहले घोषित की गई सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना अभी तक लागू नहीं की जा सकी है। सभी योजनाएं साढ़े चार साल से नियोजन चरण में ही अटकी पड़ीं हैं। उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक पूरी तरह फ्लॉप रहे हैं और दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के देखभाल की पूरी तरह से अनदेखी हो रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को फिर से दिल्ली और देश के लोगों की भलाई के लिए एक साथ काम करने का न्यौता दिया। उन्होने कहा “हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कल्पना की गई “स्वास्थ्य क्षेत्र की ऐतिहासिक क्रांति का हिस्सा बनें। आयुष्मान भारत दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे बड़ा निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है। आइए, हम न्यू इंडिया की निर्माण यात्रा में हासिल होने वाली प्रत्येक उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए हाथ मिलाएं।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री के बयान का खंडन करते हुए, डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि वैसे तो सभी राज्य अपने यहां सरकारी अस्पतालों के माध्यम से मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने का दावा कर सकते हैं, लेकिन वास्तव में, लोगों को ऐसी मुफ्त सेवाएं प्राप्त करने के लिए भी अपनी जेब से बहुत कुछ खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि “पीएमजेएवाई दिल्ली में लगभग 30 लाख (कुल आबादी का 15 प्रतिशत) व्यक्तियों को लक्षित करता है जो सबसे गरीब और कमजोर हैं। उन्होंने कहा “आपने यह भी उल्लेख किया है कि योजना की पात्रता के वास्ते आय की अधिकतम सीमा 10,000 रूपए प्रति माह है जो कि दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी से कम है, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह 2011 में एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर तय की गयी थी और इसलिए, ऐसे परिवार जो 2011 में दस हजार रूपए से कम कमा रहे थे इस योजना के पात्र हैं।” डॉ हर्षवर्धन ने आगे कहा कि 2011 की स्थितियों के अनुसार विशिष्ट मानदंडों के आधार पर एसईसीसी डेटा से परिवारों की पहचान की गई थी और इसलिए ये परिवार सबसे कमजोर हैं और इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा “आपको पता होना चाहिए कि 2011 में दिल्ली में अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी मात्र 6,656 और रूपए और कुशल श्रमिकों के लिए यह 8,112 रूपए थी। ये परिवार सबसे कमजोर हैं और इसलिए उन्हें अधिकतम मदद की जरूरत है।
दिल्ली सरकार की नि:शुल्क स्वास्थ्य योजना” के तहत प्रदान किए जा रहे असीमित हेल्थ कवर पर मुख्यमंत्री के दावे को खारिज करते हुए, डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि अगर लोगों को अभी भी इलाज कराने के लिए पैसे खर्च करने पड़ें तो असीमित कवर का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएमजेएवाई के तहत 5 लाख प्रति वर्ष का स्वास्थ्य बीमा बहुत अच्छा है। इसके के कार्यान्वयन के 8 महीनों में, लगभग 10.74 करोड़ परिवारों में से केवल 10 परिवारों ने इससे मिलने वाली बीमा राशि का पूरी तरह इस्तेमाल किया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार की प्रस्तावित योजना को दिल्ली की गरीब और कमजोर आबादी के लिए बीमा कवर का दायरा बढ़ाने के लिए पीएमजेएवाई के साथ जोड़ा जा सकता है इससे उन्हें न केवल निजी अस्पतालों में ईलाज की सुविधा मिलेगी, बल्कि देश भर में वे कहीं भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा “आप यूं भी अपनी प्रस्तावित योजना के माध्यम से लोगों को ओपीडी कवर प्रदान कर रहे हैं ऐसे में यदि इसे पीएमजेएवाई के साथ जोड दिया जाए तो यह दिल्ली की गरीब और कमजोर आबादी के लिए एक वरदान होगा क्योंकि इससे उनकी पहुंच न केवल केवल निजी अस्पतालों तक हो जाएगी बल्कि वह देश के किसी भी हिस्से में अपने लिए निशुल्क चिकित्सा लाभ ले सकेंगे। आप चाहें तो पीएमजेएवाई का अपने यहां और विस्तार कर सकतें है ताकि इसके दायरें में ज्यादा से ज्यादा लाभार्थी आ सकें जैसा कि कई अन्य राज्यों द्वारा किया गया है। ”
पीएमजेएवाई की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि “सरकारी अस्पतालों में बीमारी की गंभीर अवस्था में देखभाल की सुविधाएं कम होने के साथ ही इनपर अत्याधिक बोझ भी है। यही कारण है कि देश भर के लगभग सभी राज्य अपनी-अपनी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अलावा पीएमजेएवाई को भी लागू कर रहे हैं। पीएमजेएवाई के तहत, लाभार्थी सीधे किसी भी निजी अस्पताल में जा सकते हैं और उन्हें इसके लिए सार्वजनिक अस्पताल से कोई पूर्वअनुमति लेने की जरूरत नहीं है। यह सुविधा उन्हें स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता चुनने का अधिकार देती है, जबकि राज्य सरकार की योजना में, लाभार्थी निजी अस्पतालों का दौरा तभी कर सकते हैं, जब उन्हें किसी सार्वजनिक अस्पताल द्वारा संदर्भित किया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पीएमजेएवाई का एक और मुख्य आकर्षण यह है कि वह पोर्टेबिलिटी की सुविधा प्रदान करता है जिससे योजना के लाभार्थियों को 15,000 से अधिक समान अस्पतालों में से किसी में भी, पूरे देश में लाभ मिल सकता है। चूंकि लोग अक्सर विभिन्न कारणों से देश में इधर-उधर जाते रहते हैं इसलिए योजना की यह विशेषता बहुत महत्वपूर्ण है। लाभों की पोर्टेबिलिटी बहुत महत्वपूर्ण है। दिल्ली सरकार की प्रस्तावित योजना में, पोर्टेबिलिटी की यह सुविधा नहीं है इसलिए उसकी योजना के लाभार्थी यदि दिल्ली से बाहर चले जाते हैं तो उनके लिए मुश्किल होगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पीएमजेएवाई सभी सार्वजनिक और निजी अस्पतालों से उपलब्ध अत्याधुनिक आईटी प्रणाली और वास्तविक समय के आंकड़ों का उपयोग करता है। सरकार को लाभार्थियों को प्रदान किए गए उपचार का इलेक्ट्रॉनिक डेटा मिलता है, जिसका विश्लेषण करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि सही उपचार प्रदान किया जा रहा है। “पीएमजेएवाई के तहत इलेक्ट्रॉनिक डेटा की उपलब्धता के कारण, राज्य वास्तविक समय रोग प्रोफ़ाइल प्राप्त करने में सक्षम हैं और चूंकि डेटा वास्तविक समय में आता है, इसलिए महामारी के शुरुआती लक्षण डेटा से देखे जा सकते हैं और इन पर समय रहते काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक वह समझते हैं दिल्ली सरकार की प्रस्तावित स्वास्थ्य योजना में, सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में वास्तविक समय के इलेक्ट्रॉनिक डेटा उपलब्ध नहीं हैं।
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