करारी/ कौशाम्बी, जन सामना ब्यूरो। धरातल में गरीबों के हित में चलाए जा रहे सरकार के उन तमाम योजनाएं यहां फेल साबित हो रही हैं। एक तरफ जिले के अधिकारी, समाजसेवी लोग बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे लगा रहे होते हैं उनको आत्म रक्षा के गुर बताए जा रहे होते हैं। वही दूसरी तरफ बेटियाँ भीख मांगती, बेटे कबाड बिनते देखे जा रहे होते हैं।
यहां बच्चे अपने जन्म सिद्ध अधिकार स्वास्थ्य, शिक्षा से कोसो दूर नजर आ रहे होते हैं। बढ़ते हाईटेक जमाने में इनके हाथों में कलम के बजाय भीख मांगने का कटोरा नजर आ रहा है। पीठ पर बैग होने के बजाय कबाड़ बिनने की बोरी टंगी दिखाई देती है। बढ़ते विकास में भारत को और आगे बढ़ाने वाले मासूमों का भविष्य अंधकारमय जीवन जी रहा हैं। यदि बात की जाय जिले की तो यह द्वाबा गंगा जमुना के बीच बसा ऐतिहासिक जिला कौशाम्बी है। मौजूदा समय यहां के लाल सूबे के छोटे मुखिया के रूप में हैं। उप मुख्यमंत्री बनकर जिले का नाम रोशन कर दिए हैं। काश उन्हें ये पता होता कि उनके जिले में बच्चे भूंखे मर रहे हैं। शिक्षा, इलाज नहीं मिल रहा है। भीख न मांगने पर घरों में चूल्हा नहीं जल रहा होता है। शासन के मंशा के अनुरूप काम कर रहे सरकारी नुमाइंदो की आंखे काश इन गरीबो के कुनबे में पड़ी होती। तो शायद ही कुदतर की दंश झेल रहे इस कुनबे को राहत जरूर मिल जाती।
ताजा मामला’ डिप्टी सीएम के गृह जनपद कौशाम्बी (द्वाबा) का है। जहाँ करारी कस्बे के नेता नगर मोहल्ले में जिले के ही नट बिरादरी से ताल्लुख रखने वाले लगभग 20 परिवार 15 सालो से झोपड़ी बना कर रह रहे हैं। इन लोगो का जन्म स्थान सैनी क्षेत्र बताया जा रहा है। इन लोगो का राशन कार्ड ,आधार कार्ड सालेपुर गांव के नाम से बना हुआ बताया जा रहा है। इन लोगो का कुनबा बांस के झोपड़ी का बना हुआ है। इनकी मूल समस्या शिक्षा, स्वास्थ्य है,जो इनको नही मिल रही है। इनके बच्चे कहि चैराहे पर तो कहीं दुकान दुकान भीख मांगते नजर आ रहे हैं तो कही खाने के लिए गेस्ट हाउस के बाहर प्लेट लेकर खड़े होते दिखाई देते हैं। इससे साथ साथ कूड़े के ढेरों में कबाड़ बिनते नजर आते हैं। इनके सर के ऊपर छत नही है। ढिबरी की रोशनी में रहते हैं। बिजली नही मिलती। बरसात इनके लिए काल साबित होता है। अधिक बारिश होने से इनके आशियाने तालाबो में तब्दील हो जाया करते हैं।जहरीले कीड़े मकोड़े इनके आशियाने में आ जाया करते हैं। जिससे इन कुनबे के लोगो में मौत का खौफ बना रहता है।
कुपोषण के शिकार मासूमो की संख्या हो सकती है अधिक
जहां यह लोग रह रहे हैं, वहां की हालत बद से बदतर है। जगह जगह कीचड़, छोटे छोटे तालाब बने हुए है उन कीचड़ों, गंदे तालाबो में डेंगू, मलेरिया जैसे खतरनाक कीड़े मकोड़े अपना आशियाना बना लिए हैं। विषैले गंध आ रही है जिनका डंक हमेशा इन लोगो पर भारी पड़ता है।आये दिन इनके मासूम बीमार रहते हैं कई बच्चे तो कुपोषण के शिकार भी निकल सकते है।आरोप है कि जब यह लोग सरकारी अस्पताल दवा लेने जाते हैं तो इनके शक्ल देखकर डाक्टर इनको भगा देते हैं।
तीन प्राईमरी विद्यालय होने के बाद भी नहीं मिल रही शिक्षा
शासन प्रशासन ने करारी कस्बे में तीन प्राथमिक विद्यालय खोल रखे हैं,कस्बे में प्राइवेट विद्यालयों की संख्या अधिक होने की वजह से अमीर घराने के बच्चे सरकारी स्कूल में नही पढ़ते हैं। जिससे प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या बहुत कम है।आरोप है कि सरकारी विद्यालयों में अपने बच्चों का दाखिला कराने गए माता – पिता को यह कहकर वापस कर दिया गया कि उनका ठिकाना स्थाई नही है। करारी के मूल निवासी नही हैं।जिससे उन मासूमो को दाखिला नही मिल सका ।वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि ,बच्चे स्कूल जाने को कितना लालायित हैं। जन्म होने के बाद से लेकर कभी विद्यालय का शक्ल भी नही देखे, स्कूल जाने को लेकर बच्चे कितने खुशी हैं।
यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इनसे अच्छी जिंदगी तो गौवंश जी रहे हैं। गौवंशों को बिजली, पानी, सर के ऊपर टीनशेड , बढिया चारा सेवा करने के लिए दर्जनों लोग रात दिन लगे रहते हैं। शासन- प्रशासन आसानी उपलब्ध करा रहा है। यदि प्रशासन के लोग शासन के मंशा के विपरीत काम करके गौवंशो को सम्बंधित सुविधा मुहैया न कराए तो दर्जनों दल प्रशासन पर चढ़ बैठेगा। लेकिन जिले में कई ऐसे कुनबे, परिवार, लोग हैं। जो भूंखे मर रहे हैं। जिनको हकीकत में सरकारी योजनाओ का लाभ मिलना चाहिए उनको नही मिल रहा होता है। इन गरीबो के पास इतने पैसे नही हैं कि वे अच्छे कपड़े पहन सके। स्कूलों में दाखिला ले सकें। अच्छा खाना खा सके। बेहतर जीवन जी सकें। इन गरीबो के मदद करने के लिए समाज को जागना होगा। आगे आकर इनकी मदद करनी होगी इनको चोर, बदमाश बनने से बचाना होगा ।उज्वल भारत के भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए इनकी मदद करनी होगी। इन गरीबो को देखकर शासन – प्रशासन के पर जहन में कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं।
शासन की मंशा है कि जिले में कोई भी व्यक्ति भूंख से न मरे, इलाज के अभाव में दम न तोड़े सब को सर्व शिक्षा का पाने का अधिकार दिया गया है। लेकिन जब यह तस्वीरे देख लो तो ऐसा लगता है कि इनके साथ शासन के मंशा के विपरीत ही हो रहा है। भगवान भरोसे ही यह कुनबा जी रहा है। अब देखना यह होगा कि जिले के प्रशासन की कृपा इन गरीबो पर कब होगी।