तंजवूर/तमिलनाडु, जन सामना ब्यूरो। श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे भारत की प्राचीन लोककलाओं के रस में सभी सराबोर होते चले जा रहे हैं। कार्यक्रम का तीसरा दिन लोकनृत्य के नाम रहा। सुबह की संगोष्ठी में लोकनृत्य पर चर्चा हुई तो सायंकालीन सत्र में मणिपुर का पुंग चोलम व ढोल चोलम नृत्य तथा बसंत रास, केरल का कुटियट्टम तथा कथक केन्द्र दिल्ली के कथक नृत्य की धमाकेदार प्रस्तुतियों ने समां बांध दी।
श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम के तीसरे दिन की संगोष्ठी में दिल्ली से पधारी प्रसिद्ध नृत्यांगना सरोज वैद्यनाथन ने भारत के अति प्राचीन लोकनृत्य भरत नाट्यम पर चर्चा करते हुए इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला। महाराष्ट्र से आयीं बहुचर्चित कथक नृत्यांगना शमा भाटे ने कथक नृत्य की विशेषतायें बताते हुए कहा कि कथक नृत्यकार अब आधुनिक नृत्य में स्वयं को समावेशित करके अपना क्षेत्र विस्तृत करने की दिशा में प्रयासरत हैं। जिसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। कर्नाटक की व्याजन्ती काशी ने कर्नाटक के लोकनृत्यों पर प्रकाश डालते हुए नृत्य कला की विभिन्न विशेषताओं तथा इसके महत्व पर गहन चर्चा की। दिल्ली से आये जन्मेजय साईबाबू ने छाऊ नृत्य पर अपने विचार प्रस्तुत किये। वहीं गुजरात से पधारी स्मिता शास्त्री ने कुची पूड़ी नृत्यकला पर विस्तृत चर्चा की। इसके बाद नृत्यकला से जुड़ी इन महान हस्तियों ने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देते हुए उन्हें संन्तुष्ट करने का प्रयास किया।
सायंकालीन सत्र में सर्वप्रथम जवाहर लाल नेहरू मणिपुर डांस अकादेमी के छात्र-छात्राओं ने मणिपुरी लोकनृत्य पुंग चोलम एवं जोरदार चोलम तथा वसंत रास की जबरदस्त प्रस्तुति देकर समां बांध दी। दूसरी प्रस्तुति के रूप में यूनेस्को द्वारा विश्व की अमूर्त धरोहर घोषित केरल के अति प्राचीन लोकनृत्य कुटियट्टम को कपिला वेनु ने प्रस्तुत किया। आज की अन्तिम प्रस्तुति कथक केन्द्र दिल्ली की रही। इसके कलाकारों ने कथक नृत्य की अत्यन्त मनोहारी प्रस्तुति देकर सभी को स्तब्ध कर दिया।
कार्यक्रम का हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा में कुशल संचालन साधना श्रीवास्तव ने किया। जबकि तमिल भाषा में मंच संचालन का दायित्व विनोद बारदी ने संभाला। इस अवसर पर संगीत नाटक अकादेमी के उप सचिव राजू दास, विजय सिंह, नृत्य विभाग की प्रमुख नलिनी जी, भारत भूषण, रानी केन, जसवन्त सिंह, राहुल कुमार, सुरेन्दर सिंह, भूप सिंह, मोहिन्दर कुमार, धरमवीर, वी.वी.रमन, प्रहलाद, अनिल, अंशू, अजय कुमार, रागेश पाण्डेय, संतोष कुमार तथा जोशफ आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु अपने अपने दायित्व को बेहतर तरीके से निभाया। श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम की समीक्षा करने हेतु आब्जर्वर के रूप में मथुरा से पधारे पद्मश्री मोहन स्वरूप भाटिया, मुम्बई से आये प्रकाश खांडगे कलकत्ता की मीना बनर्जी, जयपुर की अंशू हर्ष, कानपुर के डॉ.दीपकुमार शुक्ल, नयी दिल्ली की शैलजा खन्ना, हैदरावाद की माधवी पुराणम एवं श्रीनिवास तथा तमिलनाडु की रमा कौशल्या आदि ने सभी कार्यक्रमों का समीक्षात्मक अवलोकन किया।
Home » मुख्य समाचार » श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम में तीसरे दिन लोक नृत्य की प्रस्तुतियों ने समां बांधी