बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में एक बुढ़िया अपने बेटे और बहू के साथ रहा करती थी। बहू का उसके प्रति व्यवहार बहुत अच्छा नहीं था। उसे उसकी मौजूदगी खटकती रहती थी। वह दिन भर बड़बड़ाती रहती,”न जाने इस बुढ़िया को कब मौत आएगी मेरी छाती का पीपल बन गई है मर जाए तो 101 नारियल चढ़ाऊंगी।” बुढ़िया यह सब सुनकर बहुत दुखी होती। अपमान का घूंट पीकर जी रही थी। आखिर इस उम्र में जाती भी तो कहां? वह मन बहलाने के लिए चरखे पर सूत काटने का काम करती और रात में जब थक जाती तो अपने चरखे को रखते हुए गुनगुनाती,” उठो चरख कुठिल पर बैठो, आते होंगे झामरइया सूते पलंग पर।”बहू को लगातार उसका साथ रहना खटक रहा था और वह इस उधेड़बुन में थी कि ऐसा क्या उपाय किया जाए जिससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए। उसे एक तरकीब सूझी। उसने अपने पति के कान भरने शुरू कर दिए कि न जाने तुम्हारी मां रोज रात में किसे बुलाती है बेटे ने ऐसी किसी बात से इनकर किया तो उसने कहा यदि आपको यकीन नहीं है तो आप खुद अपने कानों से सुन लीजिएगा। रात में बुढ़िया रोजाना की तरह गुनगुना रही थी ,”उठो चरख कुठिल पर बैठो, आते होंगे झामरइया सूते पलंग पर…..।” बेटे ने सुना तो उसे अपनी पत्नी की बात सच जान पड़ी उसने सुबह अपनी मां से पूछा तो उसने ऐसी किसी बात से इनकार किया। उसने कहा कि मैं सोने से पहले अपने चरखे से यह कहती हूं कि अब तुम कुठिला (मिट्टी का अनाज रखने का पात्र) पर जाओ मुझे नींद आ रही है और मुझे सोना है। लेकिन बेटे को भरोसा नहीं हुआ और उसे कपड़ों की एक पोटली देकर घर से निकाल दिया बुढ़िया ने गिड़गिड़ा कर समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन जब कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो थक हार कर भारी मन से जंगल की ओर चल पड़ी अंधेरा होता देख वह पीपल के पेड़ के ऊपर जाकर बैठ गई उसे भूख और डर दोनों लग रहा था रात के अंतिम पहर उसे चहल-पहल सुनाई दी उसने झांक कर देखा नीचे चार चोर चोरी के सामान का बंटवारा कर रहे थे और किसी बात को लेकर उनमें विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।वे एक दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो गए ।यह सब देखकर बुढ़िया घबरा गई। घबराहट के कारण उसकी पोटली हाथ से छूटकर धड़ाम से नीचे गिर पड़ी। चोर भूत भूत कहकर सारा सामान छोड़कर भाग खड़े हुए। बुढ़िया फटाफट नीचे उतरी, माल समेटा और खुशी-खुशी घर की ओर लौट पड़ी।
सुबह जब बेटे ने दरवाजा खोला तो अपनी मां को सामने देखकर आग बबूला हो गया और बोला, तुमसे कहा था न कि अब तुम या नहीं रह सकती। लेकिन जब बुढ़िया ने रुपए और गहनों से भरी पोटली उन्हें दिखाई तो दोनों खुश हो गए और आदर सत्कार में जुट गए। उन्होंने यह जानने की इच्छा व्यक्त की कि उसे इतना सारा धन कहां से मिला ।तभी बुढ़िया के मन में बहू को सबक सिखाने का विचार आया। वह बोली पास के जंगल में पीपल का एक पुराना पेड़ है । वहां रोज रात में परियां आती हैं और गरीब तथा असहाय लोगों की सहायता करती है ।उन्होंने ही मुझ पर दया करके यह धन दिया है ।बहू के मन में लालच आ गया क्यों ना मैं भी जाकर ढेर सारा धन लेकर आओ अगले दिन शाम को उसने फटे पुराने कपड़े पहने और पोटली लेकर निकल पड़ी। जंगल की ओर वहां पीपल के पेड़ पर बैठकर रात होने का इंतजार करने लगी रात में फिर वही चोर उस पेड़ के नीचे का इकट्ठे हुए और चोरी के सामान का बंटवारा करने लगे। चूड़ियों की छन छन की आवाज सुनकर उन्होंने समझा कि फिर से चुड़ैल आ गई और वहां से भागने लगे। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद एक चोर ने रुक कर कहा चलो चल कर देखते हैं कि आखिर कौन है? इधर बुढ़िया की बहू नीचे उतर कर माल समेटने में लगी थी। तभी चोर अा धमके और उसे धर दबोचा। उन्होंने धमकाया, पुराना माल भी वापस करो नहीं तो तुम्हें जान से मार देंगे। वह डर के मारे जोर जोर से चिल्लाने लगी ।उसी समय बुढ़िया, उसका बेटा और गांव वाले लाठियां लेकर वहां पहुंच गए। लोगों की भीड़ देखकर चोर वहां से भाग खड़े हुए। बहू की जान में जान आई। उसने अपनी सास और पति से अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी और भविष्य में लालच न करने का भी वायदा किया ।सभी घर की ओर लौट पड़े। कल्पना सिंह