टूंडला। अखिल भारतीय खटीक समाज संगठन के तत्वावधान में अयोध्या के राजा के पितामाह एवं खटीक समाज के अराध्य खटवांग महाराज की जयंती मनाई गई। इस मौके पर विचार गोष्ठी का आयोजन कर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए।
नई बस्ती में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष रामतीर्थ सिंह चक ने कहा कि समूचे भारत वर्ष में सनातन भारतीय संस्कृति पताका फहराने वाले खटवांग महाराज देश भर में खटीक समाज के पूज्यनीय है। खटीक समाज देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दिया करते थे। खटवांग महाराज भी उनमें से ही एक थे। जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए मुगल हमलावरों से युद्घ किया। मध्य काल में देश के कई मंदिरों की सुरक्षा खटीक समाज के योद्घाओं के हाथों में थी। क्योंकि खटीक समाज निडर होकर हथियार चलाने में काफी निपुण हुआ करते थे। टूंडला शहर अध्यक्ष निर्मल चक ने कहा कि आजादी की लड़ाई में कानपुर से लेकर मेरठ तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाले खटीक समाज के लोग सबसे आगे थे। अंग्रेजों ने इससे नाराज होकर खटीक समाज के लोगों को सामूहिक रूप से पेड़ों पर फांसी से लटकाकर मार दिया था। पूरन सिंह चक ने कहा कि 1891 में अंग्रेजी हुकुमत ने देश की समूची खटीक जाति को अपराधी जाति घोषित किया था। इस दौरान महावीर सिंह, विशंभर सिंह चक, सभासद राजेश चक, सभासद सरिता देवी, राजेन्द्र चक, सुशील चक, रामप्रकाश राजोरिया, रमेश चक, पवन चक, भंवर सिंह चक, राजू चक, गोलू चक, रामबाबू चक, और राकेश चक आदि मौजूद रहे।