अब सरकार नर्सरी से आठवीं तक हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू करने जा रही है। अगले शैक्षिक सत्र से यह पाठ्यक्रम सरकारी स्कूलों में लागू होगा। जिसमें प्रतिदिन एक पीरियड हैप्पीनेस विषय का होगा। इस विषय की कोई लिखित परीक्षा नहीं होगी। मूल्यांकन बच्चों के हैप्पीनेस इंडेक्स के माध्यम से किया जाएगा।
भारतीय परंपरा में शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को खुशनुमा जीवन जीने के लिए तैयार करना रहा है। बच्चों को तनाव से बचाने के लिए ही इसे तैयार किया जा रहा है। पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को विकसित किया जाएगा। यह शैक्षणिक उपलब्धियों जितना ही महत्वपूर्ण होगा।
शिक्षाविदों का मानना है कि स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई बोझिल न लगे, बच्चे तनावमुक्त रहकर पढ़ाई करें, ऐसे में बच्चों को हैप्पीनेस की शिक्षा की ओर ले जाने की जरूरत है। सरकार का यह एक अच्छा निर्णय है।
दिल्ली की तर्ज प्रदेश के स्कूल की शिक्षा व्यवस्था होगी शुरू
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश सरकार भी दिल्ली के स्कूलों की तर्ज पर अपने प्रदेश के स्कूलों में भी हैप्पीनेस की कक्षाएं लगाने का मन बना चुकी है।
स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनन्द ने सोमवार को पाठ्यक्रम के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग की ओर से इसके लिए काफी समय पहले से ही प्रयास शुरू कर दिए गए थे। अभी हाल ही में (एसआरजी) राज्य संदर्भ समूह के साथ जनपद स्तर पर एकेडमिक रिसोर्स पर्सन की तैनाती इसी का हिस्सा है। बीते शैक्षिक सत्र में पायलट प्राजेक्ट के तहत सूबे के हापुड़ व बुलंदशहर जनपद के 50-50 स्कूलों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू किये गए थे। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम से बच्चों के विकास में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली। पाठ्यक्रम संचालित करने का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को तनाव व अवसाद से मुक्त रखने का है।