कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। देश भर के करोड़ों कामगार जल्द ही एक साल की नौकरी पूरी करने पर ग्रेच्युटी के हकदार होगें। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव के बारे में बताया कि सरकार लेबर कोड के जरिए श्रमिकों के हित में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसमें प्रवधान किया गया है कि ग्रेच्युटी का लाभ कर्मचारियों को 5 साल की बजाय एक साल की नौकरी के बाद ही दिया जायेगा। संसद से मंजूरी मिलते ही इस कानून को लागू किया जायेगा।
निजी क्षेत्र के कर्मियों को होगा फायदा- 5 साल की जगह 1 साल नौकरी पर ग्रेच्युटी मिलने का बड़ा लाभ निजी क्षेत्र के कर्मियों को मिलेगा। अभी निजी क्षेत्र के 50 फीसदी से अधिक कर्मचारी ग्रेच्युटी का लाभ नहीं ले पाते हैं क्योंकि वह 5 साल से पहले नौकरी बदल लेते हैं। वहीं इससे कम्पनियों को बड़ा फायदा होता था क्योंकि वह ग्रेच्युटी को सीटीसी का हिस्सा बना देती हैं।क्या है ग्रेच्युटी-
किसी एक कंपनी में लगातार कई बरसों तक काम करने पर आपको सैलरी, पेंशन और प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) के अलावा जो पैसा मिलता है उसे ग्रेच्युटी कहते हैं। हालांकि इसका छंटाक भर हिस्सा आपकी सैलरी से भी कटता है लेकिन आपकी ग्रेच्युटी का बड़ा हिस्सा कंपनी अपनी तरफ से देती है। यूं समझ लीजिए कि ग्रेच्युटी कंपनी का बनाया लॉन्ग टर्म बेनिफिट प्लान है। जैसे प्रॉविडेंट फंड यानी पीएफ। पीएफ आपको किसी कंपनी में दो-तीन महीने काम करने पर भी मिल जायेगा। उतने दिनों का जितना पीएफ बनता होगा उतना बन जायेगा लेकिन ग्रेच्युटी के लिए आपको एक तयशुदा वक्त तक नौकरी करनी ही होती है।
ग्रेच्युटी की शुरुआत-
ग्रेच्युटी सिस्टम 1972 में शुरू हुआ था। इसका मकसद ये था कि कर्मचारी कंपनी के वफादार बने रहें, टिकाऊ बने रहें। साथ ही उन्हें एक कंपनी के लिए लंबे वक्त तक काम करने का रिवॉर्ड मिले। प्राइवेट और पब्लिक कंपनियों के जो कर्मचारी सेंट्रल सिविल सर्विसेस के पेंशन नियम के दायरे में नहीं आते हैं उन्हें रिटायर होने पर ग्रेच्युटी की शक्ल में अच्छी-खासी रकम मिल जाती है। ये सिस्टम कंपनी और कर्मचारियों दोनों के फायदे को सोचकर शुरू किया गया था। कर्मचारियों के लंबा टिकने की वजह से कंपनी भी मजे में रहती है। साथ ही अगर कोई कर्मचारी उम्र से पहले रिटायरमेंट ले लेता है या उसे विकलांगता या दूसरी वजहों से रिटायरमेंट लेना पड़ता है तो ग्रेच्युटी उसके लिए बड़ी राहत होती है।