Tuesday, November 26, 2024
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हिमाचल प्रदेश का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा

कविता पंतः नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 12 नवम्बर को होंगे और नतीजे आठ दिसंबर को आयेंगे। हर बार की तरह इस बार चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच मुकाबला नहीं होगा। इस बार आम आदमी पार्टी भी इस राज्य से अपनी किस्मत आजमाने जा रही है जिसके कारण त्रिकोणीय मुकाबला होना तय है। अब तक के चुनावी इतिहास को देखें तो मुख्ये मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता रहा है और यहां के स्थानीय मुद्दे ही चुनावों में हावी रहे हैं।
भाजपा इस समय केन्द्र और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में हैं और यहां पर भी उसका नारा डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों को लेकर आगे बढ़ा रहा है। वह दोबारा सत्ता में आने को लेकर आश्वस्त है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को फिर से मुख्यममंत्री के चेहरे के रूप में पेश कर रही है। वह मानकर चल रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर मतदाताओं को रिझाना उसके लिये आसान होगा। लेकिन सर्वेक्षण रिपोर्टों की मानें तो वहां पर सत्ता विरोधी लहर भी है और कांग्रेस उसे भुनाने को लेकर बडे़ दावे कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी पिछले दस दिन में दो बार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने ऊना से दिल्ली के लिये वंदे भारत ट्रेन भी कल रवाना करा दी और कई योजनाओं की सौगात देने के साथ चुनावी बिगुल फूंका। उन्होंने पांच अक्टूबर को बिलासपुर और कुल्लूं का दौरा किया था। बिलासपुर में एम्स सहित अन्य परियोजनाओं की सौगात देने के बाद उन्होंने एक रैली को संबोधित किया। इसके बाद कुल्लू के दशहरे में देव दर्शन किए। भाजपा पहले से ही चुनावी माहौल बनाने में लगी थी और इस क्रम में प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा कई केंद्रीय मंत्री हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों की यात्राएं कर चुके हैं। 15 अक्टूबर को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सिरमौर दौरे पर होंगे जहां हाटी समुदाय अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर उनका आभार व्यक्त करेगा।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यपक्ष जयप्रकाश नड्डा भी प्रधानमंत्री के बिलासपुर कार्यक्रम में मौजूद थे लेकिन जिस तरह वह दिल्ली आकर तुरंत हिमाचल लौटे उसे लेकर सियासी अटकलें लगीं। उन्होंने पंच परमेश्वर सम्मेलन में शिरकत की जो पूर्व नियोजित नहीं था। नड्डा का कार्यक्रम अचानक बनने के पीछे यह बताया जा रहा है कि इसकी वजह पार्टी की सर्वेक्षण रिपोर्ट है जिसमें कई सीटों को लेकर संशय व्यक्त किया गया है। इसीलिए प्रदेश की 3615 पंचायतों और कई शहरी निकायों के भाजपा प्रतिनिधि आमंत्रित किए गए, ताकि उनके साथ पार्टी की रणनीति को साझा किया जा सके। अटकलें हैं कि भाजपा 25 से अधिक सीटों पर नए चेहरों को उतार सकती है।
कांग्रेस भी चुनावी ताल ठोंक रही है और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने हिमाचल के सोलन में पार्टी की परिवर्तन प्रतिज्ञा रैली को संबोधित करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने अपने संबोधन को मां शूलिनी के जयकारे के साथ शुरू किया और अपनी दादी इंदिरा गांधी को याद किया। उन्होंने कहा कि हिमालय की बर्फ में इंदिरा गांधी की अस्थियां भी है। इंदिरा गांधी हिमाचल के लोगों के हौसले को जानती थीं। मेहनत के बल पर आज हिमाचल के लोगों ने प्रदेश को ऊचाईयों पर पहुँचाया। भारत जोडो़ यात्रा कर रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव प्रचार के लिये यहां आना तय माना जा रहा है। कांग्रेस जयराम ठाकुर सरकार को लेकर हमलावर हैं और उसका दावा है कि जनता कांग्रेस को दोबारा मौका देना चाहती है।
इस बार आम आदमी पार्टी भी यहां चुनावी मैदान में है और वह यहां पर पंजाब की भांति प्रदर्शन की उम्मीद लगाये बैठी है। वह दिल्ली, पंजाब की तरह हिमाचल में भी लोक-लुभावन वायदे कर रही है लेकिन उसके नेता अरविंद केजरीवाल गुजरात पर ज्यादा ध्यान देते दिखे। आप ने प्रत्याशियों की पहली सूची में चार नेताओं के नाम फाइनल किए थे। इनमें जिला कांगड़ा के फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से पूर्व सांसद रहे डाक्टर राजन सुशांत को टिकट दिया है। नगरोटा बगवां से उमाकांत डोगरा को प्रत्याशी चुना गया है। सिरमौर के पांवटा साहिब से मनीष ठाकुर और लाहुल स्पी ति से सुदर्शन जस्पा को टिकट दिया है। डा सुशांत भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं और सांसद बनने के साथ वह चार बार भाजपा विधायक रहे हैं। वह धूमल सरकार में राजस्व मंत्री थे। डॉ. सुशांत वर्ष 1982 में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे।हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव रहे मनीष ठाकुर मार्च 2022 में आप में शामिल हुए हैं। उमाकांत डोगरा 2012 में भाजपा के साथ थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में रहे सुदर्शन जस्पा हाल ही में आप में शामिल हुए हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी को झटका भी लगा है और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एसएस जोगटा ने अलविदा कह दिया है। जोगटा ने कांग्रेस का हाथ थामा है और वह गैर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष भी रहे।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के लिये अपना गढ़ बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस दोबारा सत्ता में आने के लिये जी जान से जुटी है। उसका मानना है कि पार्टी के केंद्रीय नेताओं के आने के बाद चुनावी बयार उनके पक्ष में बहने लगेगी। यही हाल आप का भी है और अब देखना है नतीजे किसके पक्ष में रहते हैं।