पवन कुमार गुप्ताः रायबरेली। ऊंचाहार क्षेत्र की पुलिस के कारनामे अक्सर गुड वर्क में छप ही जाते हैं, लेकिन इस गुड वर्क की चकाचौंध ने पुलिस द्वारा क्षेत्र में की जाने वाली रात्रि गश्त की रफ्तार को धीमी कर रखी है।
ऊंचाहार पुलिस द्वारा अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही से पुलिस की गुड वर्क के आंकड़े बढ़े हैं तो अपराध में भी कुछ कमी आई है। परंतु इसका मतलब तो यह नहीं कि आम जनमानस की सुरक्षा में पुलिस कोई ढिलाई बरते।
गौरतलब है कि शीत ऋतु के मौसम से दिन प्रतिदिन मार्ग पर, चौराहों पर, संवेदनशील इलाकों में कोहरा बढ़ रहा है, इस कारण से चौराहों पर, संवेदनशील स्थानों पर और सड़क किनारे के रहवासी सभी अब घरों में सरेशाम ही छुप रहे हैं और चौराहे, बाजार, संवेदनशील स्थानों पर सन्नाटा छा जाता है। इस कारण से ठंड के इस मौसम में पुलिस की जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं और वह स्वयं से ही सक्रिय हो जाती है, परंतु लोगों का कहना है कि इस समय ऊंचाहार पुलिस दिन में तो सक्रिय दिखती है, लेकिन क्षेत्र में रात्रि गश्त के समय सक्रिय नहीं है। पीआरवी की गाड़ी भी रात्रि के समय उजाले में और विश्राम अवस्था में ही देखी जा रही है। पुलिस द्वारा क्षेत्र में की जाने वाली सचल गश्त का दस्ता भी इस समय सुस्त पड़ा है। इस पर क्षेत्र के लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी है, उन्होंने कहा कि अब से कुछ महीने पूर्व पुलिस की गाड़ियां रात्रि में गस्त पर देखी जाती रहीं हैं और पुलिस वाहनों के बजते सायरन से लोग सुरक्षित महसूस करते रहे हैं। हालांकि पुलिस अपने तरीके से अपराध एवं अपराधियों पर नियंत्रण रख रही है। लेकिन बीते कुछ समय से रात्रि गश्त में ना तो पुलिस की गाड़ी दिख रही है, और न ही उसके सचल दस्ते की वाहनों के सायरन की आवाजें आ रहीं हैं।
लोग बताते हैं कि एनटीपीसी परियोजना से मजदूर भी ड्यूटी करके मार्ग से आधी रात को निकलते रहते हैं, उन्हें भी क्षेत्र के इन संवेदनशील इलाकों में पुलिस के न होने से असुरक्षा दिखाई पड़ती है। दिन में तो पुलिस होटलों पर चाय की चुस्की लेती नजर आती है, लेकिन रात्रि में पुलिस का गश्त करने वाला दस्ता दिखाई नहीं पड़ता । ऐसे में अराजकतत्व इसका फायदा उठा सकते हैं और किसी अप्रिय घटना को अंजाम भी दे सकते हैं। इसलिए क्षेत्र में चौराहों पर रात्रि के समय पुलिस की गश्त होना आवश्यक है, जिससे हम सभी को सुरक्षा का एहसास होता है।