रायबरेली। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 7 जनवरी को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रशासनिक अमला सहित व्यापारिक संगठन व स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में चौहान गुट प्रदेश अध्यक्ष जी सी सिंह चौहान अपनी पूरी टीम के साथ मौजूद रहे। संगठन के द्वारा प्रदेश अध्यक्ष ने कंबल वितरण कार्यक्रम सहित आए हुए लोगों की स्वल्पाहार की व्यवस्था की थी। इसके साथ ही चौहान व टीम ने सभी का माल्यार्पण करते हुए शहीद परिवारों को कम्बल शाल, मेडल व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया। प्रदेश मीडिया प्रभारी एस.के. सोनी ने बताया चौहान गुट संगठन प्रदेश अध्यक्ष जीसी सिंह चौहान के नेतृत्व में जहां व्यापारियों के लिए खड़ा रहता है वहीं विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेकर लोगों के सहयोग में सदैव तत्पर रहता है। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव के साथ प्रदेश अध्यक्ष जी.सी. सिंह चौहान ने शहीद स्मारक स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही भारत माता मंदिर पर भारत माता को पुष्प अर्पित करते हुए नमन किया। इस मौके पर जिला महिला अध्यक्ष बबीता वर्मा सहित प्रदेश महामंत्री अवतार सिंह मोंगा, जिलाध्यक्ष शिव नारायण मिश्रा, महामंत्री मो. नजर, चित्रेश, युवा अध्यक्ष अरविंद चौधरी, शिव भोला शर्मा, सहित चौहान गुट व्यापार मंडल के सदस्य मौजूद रहे। आपको बता दें कि मुंशीगंज के शहीद स्मारक को इतिहास में इसे दूसरा जलियांवाला कांड के रूप में जाना जाता है। दरअसल 7 जनवरी 1921 को यहां सई नदी के तट पर सैकड़ों किसानों को तीन तरफ से घेरकर उन पर गोलियां बरसाई गयीं थीं। गोलियों की बौछार के बीच अपनी जान बचाने के लिए किसान चौथी तरफ कलकल बह रही, सई नदी में छलांग लगा दी थी और वह सई नदी खून की धाराओं से लाल हो चुकी थी, इसीलिए इस घटना को दूसरा जलियांवाला कांड कहा जाता है। अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान किसानों पर तालुकेदारों का अत्याचार बढ़ गया था। अत्यधिक लगान वसूला जा रहा था और फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा था। उस समय किसान नेता अमोल शर्मा, बाबा जानकीदास, बाबा रामचंद्र और चंद्रपाल सिंह की अगुवाई में सैकड़ों किसान यहां विरोध स्वरूप सभा करने पहुंचे थे। पांच जनवरी को किसान नेता अमोल शर्मा को गिरफ्तार कर लखनऊ जेल भेज दिया गया था। इधर यह अफवाह उड़ी कि किसान नेताओं की अंग्रेजों ने हत्या कर दी है। मुंशीगंज में मौजूद किसानों की बेचौनी बढ़ी तो सूचना पाकर पंडित जवाहर लाल नेहरू भी यहां पहुंच गए। पंडित जवाहर लाल नेहरू को 7 जनवरी के दिन कलेक्ट्रेट में नजरबंद कर दिया गया और इधर अंग्रेज़ अफसर के हुक्म पर मुंशीगंज में सभा कर रहे सैकड़ों किसानों को गोलियों से भून दिया गया। उपर्युक्त कार्यक्रम का आयोजन विकास प्राधिकरण की ओर से किया गया था।