कानपुर, जन सामना संवाददाता। आज छावनी विधानसभा के श्यामनगर मंडल में भाजपा का मंडल जनकल्याण सम्मेलन संम्पन्न हुआ। यह जानकारी देते हुए भाजपा दक्षिण जिला मंत्री संजय कटियार ने बताया कि जन कल्याण सम्मेलन में लगभग 600 भाजपा कार्यकर्ता व 167 से अधिक लाभार्थी शामिल हुए। संजय कटियार ने बताया कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को आम जन तक पहुंचाया जा रहा है।
Read More »आईआईटी जेईई एडवांस में आल इंडिया रैंक प्राप्त कर नाम रोशन किया
आईआईटी जेईई एडवांस 2017 में अभिषेक दत्त आईआईटी गोहाटी में इंजीनियरिंग फिजिक्स शाखा में लिया प्रवेश
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। जनपद के सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार के भतीजे अभिषेक दत्त कुक्की पुत्र इं. रविदत्त व डा. गायत्री दत्त ने आईआईटी जेईई एडवांस में श्रेष्ठ अंक पाये है। आल इंडिया रैंक 1498 प्राप्त कर नाम रोशन किया है। पिता रविदत्त और उनके सुपुत्र अभिषेक दत्त ने इस परीक्षा में सफलता पाने का श्रेय अपने दादा प्रागदत्त व सांसद प्रत्याशी दादी स्व. गायत्री देवी, चाचा इ. रविदत्त, ताई सीएमएस डा. रेखा रानी व ताई डा. उमा, ताऊ डा. विनोद कुमार, बुआ डा. इन्द्राराजेश व फूफा डा. सुरेश व छोटी बहन लिपाक्षी दत्त, अध्यापकजनों को देने के साथ ही महामानव भगवान गौतम बुद्ध, संविधानशिल्पी डा. भीमराव अम्बेडकर, बुद्धप्रिय अशोक, कबीरदास जी, काशीराम जी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, अखिलेश यादव, पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम, वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आदि को भी अपना आदर्श माना है।
क्यों न फिर से निर्भर हो जाए
आज की दुनिया में हर किसी के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक माना जाता है। स्त्रियाँ भी स्वावलंबी होना पसंद कर रही हैं और माता पिता के रूप में हम अपने बच्चों को भी आत्मनिर्भर होना सिखा रहे हैं।
इसी कड़ी में आज के इस बदलते परिवेश में हम लोग प्लैनिंग पर भी बहुत जोर देते हैं। हम लोगों के अधितर काम प्लैनड अर्थात पूर्व नियोजित होते हैं। अपने भविष्य के प्रति भी काफी सचेत रहते हैं इसलिए अपने बुढ़ापे की प्लैनिंग भी इस प्रकार करते हैं कि बुढ़ापे में हमें अपने बच्चों पर निर्भर नहीं रहना पड़े। यह आत्मनिर्भरता का भाव अगर केवल आर्थिक आवश्यकताओं तक सीमित हो तो ठीक है लेकिन क्या हम भावनात्मक रूप से भी आत्मनिर्भर हो सकते हैं?
पैरों की केयर करना है जरूरी
आप कितनी भी बिजी हों लेकिन चेहरे के साथ पैरों की केयर करना भी बेहद जरूरी है। अगर आप वर्किंग वुमन हैं, तो यह और भी जरूरी हो जाता है। तो जानते हैं फुटकेयर के बारे में सी डब्लू सी ब्यूटी एन मेकअप स्टूडियो की सेलिब्रिटी ब्यूटी एन मेकअप एक्सपर्ट शालिनी योगेन्द्र गुप्ता से –
चेहरे की केयर करना तो सभी को याद रहता है, लेकिन क्या उतना ही ध्यान आपका पैरों की देखभाल पर भी जाता है। अगर नहीं, तो इस पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए। वैसे भी अब गर्मिया हैं, तो आपको पैरों की ज्यादा केयर करने की जरूरत है। आप इसे माॅर्निंग और नाइट रूटीन में बांट सकती हैं।
100 दिन के पूरे होने पर सहकारिता मंत्री ने सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का किया बखान
राज्य सरकार लोक कल्याण के प्रति समर्पित होकर सबका साथ सबका विकास बगैर किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के लिए कार्य कर रहीं हैः मुकुट बिहारी वर्मा
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश के सहकारिता मंत्री/प्रभारी मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने प्रदेश सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर जनपद के सर्किट हाउस में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार लोक कल्याण के प्रति समर्पित होकर बगैर किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के लिए कार्य कर रही है। इसके लिए शासन-प्रशासन को संवेदनशील और जवाबदेह बनाया गया है। वर्तमान सरकार प्रदेश को विकसित एवं समृद्ध बनाने के लिए विकास योजनाओं का लाभ समाज के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है। सरकार की 100 दिनों की उपलब्धियों पर कहा कि किसी भी राज्य में परिवर्तन, विकास और प्रगति के लिए 100 दिन की अवधि एक छोटा कार्यकाल है।
सरकार सभी के हित से जुड़े निर्णय लेकर प्रदेश का चौमुखी विकास कर रही हैः मुकुट बिहारी वर्मा
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। प्रदेश के सहकारिता मंत्री/प्रभारी मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में आयोजित अधिकारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों से कहा कि प्रदेश सरकार ने सबका साथ सबका विकास के साथ 100 दिन विश्वास के साथ विश्वास की बुनियाद पर विकास को अभियान के रूप में सफल बनाया है 100 दिन में सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये है जिससे आमजन में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।
Read More »एकात्मवाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्र एवं समाज के प्रति आजीवन समर्पण रहा
डेरापुर विकास खंड में पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। पं. दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के तहत डेरापुर ब्लाक परिसर में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी, अन्त्योदय प्रदर्शनी व समारोह कार्यक्रम को एसडीएम विजेता, विधायक मथुरा पाल के प्रतिनिधि व सुपुत्र महिपाल, ब्लाक प्रमुख वेदव्यास निराला, बीडीओ ज्ञानेन्द्र मिश्रा ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण श्रृद्धासुमन अर्पित किया। समारोह को सम्बोधित करते हुए एसडीएम विजेता ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने वंचित गरीब, निर्धन व्यक्तियों को आशावादी बनाने व उनको आगे बढ़ाने का काम किया है।
अखिलेश यादव की मौजूदगी में मना रामगोपाल यादव का जन्म दिन
प्राणायाम के पूर्व आवश्यक है यम, नियम और आसन की सिद्धि डॉ. दीपकुमार शुक्ल
बीते 21 जून को विश्व के 180 से भी अधिक देशों में तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। भारत की धरती पर हजारों वर्ष पूर्व प्रस्फुटित, पुष्पित एवं पल्लवित हुए योगज्ञान के प्रति आज पूरे विश्व में उत्साह दिखायी दे रहा है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अप्रतिम पहल के परिणामस्वरूप ही यह सम्भव हो पाया है। भारतीय ऋषियों ने योग का मानव जीवन के साथ अटूट सम्बन्ध देखकर मनुष्य को योगमय जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा दी थी। ऋषि-महर्षियों ने आत्मकल्याण और लोककल्याण के सन्मार्ग का अनुसन्धान समाधिस्थ अवस्था में योगारूढ़ होकर ही किया था। वेद, शास्त्र, उपनिषद, पुराण, गीता आदि धर्मग्रन्थ योगदर्शन के अनेकानेक चमत्कारों से आच्छादित हैं। योगज्ञान का ग्रन्थ रूप में संकलन इस बात की स्वतः पुष्टि है कि हमारे ऋषि-मुनि इस ज्ञान को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे परन्तु भौतिक प्रगति की घुड़दौड़ में शामिल रहने वाले अनेक राजा-महराजाओं और बादशाहों द्वारा जहाँ इस ज्ञान की उपेक्षा की गयी वहीँ कट्टर मुस्लिम और अंग्रेजी शासकों द्वारा इस ज्ञान का मजाक उड़ाते हुए इसे पद्द्वलित करने का भी बारम्बार प्रयास किया गया। इसके बावजूद भी भारत के विभिन्न मनीषियों द्वारा सीमित संसाधनो के माध्यम से इस दिव्य और लोकोपयोगी ज्ञान को सुरक्षित रखा गया। इनमें से अनेक मनीषी ऐसे हैं जिनका नाम हममे से शायद ही किसी को ज्ञात हो।
Read More »प्रकृति से जुड़ाव मानव जाति के जीवित रहने का आधार
तेजी से बढ़ता शहरीकरण अब चिन्ता का विषय बनने लगा है। विकास के नाम पर अन्धाधुन्ध तरीके से वृक्षों का कटान किया जा रहा है। पर्यावरण में असन्तुलन का प्रमुख कारण वृक्षों की कटान है। इसी लिए वन और पर्यावरण संरक्षण के व्यापक मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए 1972 से दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर लोगों को घरों से बाहर निकलकर प्रकृति के संसर्ग में उसकी सुंदरता की सराहना करने तथा जिस पृथ्वी पर रहते हैं, उसके संरक्षण का आग्रह किया जाता है। आधुनिक व्यक्ति के जीवन में व्यस्तता है और उसका दिमाग तो और भी व्यस्त है। ऐसी परिस्थितियों में मन को शांत करने के लिए प्रकृति के साथ दोबारा जुड़ना अति महत्वपूर्ण है। ग्रामीण परिवेश को अगर अलग कर दें तो, शहरों में उपलब्ध हरित स्थानों विशेष रूप से वृक्षों और पार्कों के जरिये लोगों को प्रकृति से दोबारा जुड़ने का अवसर मिलता है। प्रकृति से दोबारा जुड़ने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पर्यावरण जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों सहित लगभग 12000 संगठन शामिल हैं।
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