Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

भारत में सुशासन सप्ताह!

सुशासन के लिए राष्ट्रीय आंदोलन तैयार करने, प्रशासन गांव की ओर अभियान – 700 से अधिक जिलों, तहसील पंचायत समिति मुख्यालय में विजिट
समय बद्ध शिकायत निवारण, सेवा वितरण में सुधार के लिए, प्रशासन गांव की ओर अभियान सराहनीय – एड किशन भावनानी
भारत तेज़ी से डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है। हर क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकी प्रतिस्थापित की जा रही है। करीब -करीब हर क्षेत्र के पुराने इंफ्रास्ट्रक्चर को नई प्रौद्योगिकी के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में तब्दीली का क्रम तीव्र गति से शुरू है और सरकारी विभागों को पूर्ण डिजिटल करने का क्रम भी जोर-शोर से शुरू है!!! साथियों अगर हम शासकीय कार्यालयों की वर्तमान स्थिति की बात करें तो जितनी तेजी से डिजिटल इंडिया हो रहा है उतनी तेजी से सरकारी विभागों में कार्य नहीं हो रहा है!! जो एक कड़वा सच है!! बड़े बुजुर्गों का कहना है, आदत से बाज नहीं आओगे!! बिल्कुल सच!!! साथियों यही कहावत आज हम देख रहे हैं छोटे-छोटे कार्यो के लिए 50 चक्कर!! सब मिली भगत!!

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साक्षरता का जीवन की गुणवत्ता से सीधा संबंध!!!

भारत में प्रौढ़ शिक्षा अभियान तेज़ करने की ज़रूरत – साक्षरता ही कौशल विकास की कुंजी हैं
डिजिटल इंडिया के तेजी से विकास के बावजूद भारत में अधिक निरक्षरता चिंतनीय – एड किशन भावनानी
भारत हर क्षेत्र में बहुत तीव्र गति से विकास कर नए नए आयाम प्राप्त कर रहा है!!! इसमें कोई दो राय नहीं है। पूरे विश्व में डिजिटल भारत के नए भारत की परिकल्पना से विश्व अचंभित है!!! हम जनसंख्यकीय तंत्र का लाभ देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। जिसमें 135 करोड़ जनसंख्या होने का विशाल मात्रा में लाभ भी हम प्राप्त कर सके, इसके लिए कौशलता विकास मंत्रालय भी बनाया गया है, जिसका सकारात्मक परिणाम भी शीघ्र ही हमें आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा!!!

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पूर्व तैयारियों के बाद तलाक का फैसला लें

जब दो विपरीत तार जुड़ जाते है तो चिंगारी उठना लाज़मी है। वैसे ही दो अलग स्वभाव के लोग शादी के बंधन में बंध जाते है तो तलाक होना भी तय है। “तलाक” ये शब्द ही एक लड़की की ज़िंदगी को तहस-नहस कर देने के लिए काफ़ी है। बहुत कम लड़कियां ये कदम उठाने की हिम्मत करती है। ज़्यादातर ससुराल में दमन सहते उम्र काट देती है। पर कुछ कारणों से कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं कि पति-पत्नी का साथ रहना संभव नहीं होता। मजबूरन उन्हें अपने रास्ते अलग करने पड़ते हैं।

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आख़िर क्यूँ बदल जाते है बेटे शादी के बाद

आजकल बहुत से माँ-बाप की ये शिकायत रहती है की शादी के बाद बेटा बदल गया, अब हमारा नहीं रहा, बहू ने हमसे हमारा बेटा छीन लिया। ये विषय कोई आम नहीं, सोचनीय है। पहले माँ-बाप की मानसिकता की बात करते है, खास कर बेटा माँ के ज़्यादा करीब होता है। इंसान की फ़ितरत है अपनी सबसे अज़िज व्यक्ति या चीज़ पर किसी ओर का अधिकार बरदाश्त नहीं होता इसलिए बेटे की शादी के बाद बेटा उसकी पत्नी को ज़रा भी तवज्जों देता है तो माँ के मन में खटकता है जोकि बहुत गलत है।

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मेडिटेशन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाइए

अगर यह बात पौराणिक संदर्भ में कही जाती तो शायद यकीन नहीं होता, लेकिन अब विज्ञान भी मानने लगा है कि ध्यान से एक अदृश्य कवच जैसा बनता है। उस माहौल में वह कवच शरीर के आस-पास छाए संक्रमणों से बचाता है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियो फैकल्टी में शोध निर्देशक डॉ. हर्बर्ट वेनसन का कहना है कि नियमपूर्वक 20 मिनट प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) किया जाए, तो शरीर में ऐसे बदलाव आने लगते हैं कि वह रोग और तनाव के आक्रमणों का मुकाबला करने लगता है। इसके लिए अलग से चिकित्सकीय सावधानी बरतनी पड़ती।

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शीतकाल में सर्दी-जुकाम

इस ऋतु में आमतौर से होने वाले रोगों में से खांसी-जुकाम या सर्दी एक साधारण रोग होता है। वैसे तो सर्दी या खांसी-जुकाम कभी भी और किसी भी कारण से हो सकता है लेकिन शीतकाल में शीत प्रकृति के लोगों को यह रोग प्रायः हो जाता है।
कारणः- आयुर्वेद के मतानुसार खांसी-जुकाम होने का दो प्रधान कारण बताया गया है। एक शरीर में एकत्र होने वाले विजातीय तत्वों का प्रभाव तथा दूसरा अपचपूर्ण आहार-विहार का सेवन माना गया है। पूर्वसंचित विजातीय विकार, कब्ज, श्वास-रोग, टांसिल बढ़ना, शारीरिक कमजोरी आदि कारणों से कितना भी सावधानी रखने पर बार-बार सर्दी- जुकाम हो जाता है।

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बच्चों से न छीने बचपन

विगत वर्षों इंग्लैंड के राजकुमार चार्ल्स की आत्मकथा को लेकर बड़ा बावेल्ला मचा रहा था। मुद्दा था, चार्ल्स द्वारा अपने बचपन की सहज रूप से न जी पाना। हर बात में उनके मां-बाप की दखलंदाजी से उनके व्यक्तित्व की सहजता, सरलता, स्वाभाविकता, मानवीय गुणों को समझाने की परख ही गयब हो गई। पीछे रह गई, कृत्रिमता, दिखावटीपन और बनावटीपन। जिसने उन्हें एक पढ़ा-लिखा साक्षर व्यक्ति बना दिया, पर मानवीय गुणों को, उसके जज्बे को, संबंधों की ऊष्मा की आंच से सर्वथा वंचित रखा।

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कौन फतह करेगा यूपी का चुनावी रण

देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के विधान सभा चनावों का बिगुल बस बजने ही वाला है| सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं| एक ओर जहाँ जनता के बीच लोक लुभावन वादों और तोहफों की बरसात हो रही है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चालू है| लक्ष्य सबका एक है कि सत्ता हर हाल में उन्हें ही मिले| हो भी क्यों न, आखिर राजनीति का उद्देश्य ही आज मात्र सत्ता सुख भोगना है| जन सेवा तो हो ही रही है| बस जन सेवा में निज सेवा की निष्पत्ति होनी चाहिए|

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ये कैसी मानसिकता

लडकियों की इज्ज़त को तार-तार करने वाले बलात्कार जैसे मुद्दे को मजाक बनाकर ये कहना कि अगर रैप रोक नहीं सकते तो लेट कर मजे लो, जब होना ही है तो खुशी-खुशी हो जाने दो। इस कथन पर कर्नाटक के विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को जितना लताड़ा जाए उतना कम है। वाह भैया वाह, क्या आप अपनी माँ, बहन, बेटी को भी यही हिदायत देंगे?

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सरकार की ओर से एक सराहनीय फैसला

लड़कियों की शादी की उम्र अठाराह से इक्कीस कर दी गई ये सरकार की ओर से लिया गया एक बहुत ही सराहनीय और अहम् फैसला है। अब लड़के और लड़की दोनों की शादी की उम्र इक्कीस की हो जाएगी। संसद सभ्य जया जेटली की अध्यक्षता में टास्क फोर्स ने पिछले दिसम्बर ही ये निवेदन रख दिया था, जिसे मोदी सरकार ने हरी झंडी देने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से बहुत सारी लड़कियों का जीवन संवर जाएगा और लड़कियों की ज़िंदगी में बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। एक तो कच्ची उम्र में शादी होने से लड़कियां माँ भी बहुत जल्दी बन जाती है, जिस कारण बच्चें कमज़ोर पैदा होते है। अभी खुद माँ ही बच्ची होती है, न शारीरिक विकास होता है न बौधिक उपर से बच्चे की ज़िम्मेदारी। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए 20/21 साल सही होते है।

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