पर्यावरण के लिए प्लास्टिक पूरी दुनिया में बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। इसीलिए इसका उपयोग सीमित करने और कई प्रकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध की मांग उठती रही है। भारत में भी ऐसी ही मांग निरन्तर होती रही हैं और समय-समय पर इसके लिए अदालतों द्वारा सख्त निर्देश भी जारी किए जाते रहे हैं किन्तु इन निर्देशों की पालना कराने में सख्ती का अभाव सदैव स्पष्ट परिलक्षित होता रहा है। यही कारण है कि लाख प्रयासों के बावजूद प्लास्टिक के उपयोग को कम करने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
लेख/विचार
उम्र और सुख की तलाश (लघुकथा)
गौरी बालकनी में बैठे-बैठे अपने अतीत की यादों में खोई हुई थी। कैसे बाल्यकाल से ही सबसे बड़ी होने का दायित्व निभाया। कभी छोटी बहन अस्वस्थ हूई, असमय पिता एक्सीडेंट का शिकार हुए, उसके बाद माँ की ज़िम्मेदारी और भाई की मानसिक स्थिति। इन सबके बीच गौरी केवल और केवल परिस्थितियों से जूझती रहीं। गौरी की बाल्यावस्था तो मात्र संघर्ष की अनवरत यात्रा थी। बाल्यकाल में तो उसे कभी सुख की परिभाषा समझ ही नहीं आई। कुछ समय पश्चात शुरुआत हुई किशोरावस्था की। गौरी को चन्द्रशेखर का साथ मिला। पर यह क्या था चन्द्रशेखर की नजर में तो गौरी की कोई कीमत ही नहीं थी। वह तो सिर्फ उसके लिए खाना बनाने वाली थी। ससुराल वालों की जिद के चलते लड़का होने की लालसा में उसने चार-चार पुत्रियों को जन्म दिया। प्रसव पीड़ा से लेकर बच्चियों के लालन-पालन में परिवार का न मानसिक और न शारीरिक सहयोग मिला। पर गौरी ने अपनी पुत्रियों की शिक्षा-दीक्षा में स्वस्तर पर भी भरसक प्रयत्न किए।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा
रोज़गार और कल्याणकारी योज़नाओं का लाभ उठाने ई-श्रमिक पोर्टल पर पंजीकरण मील का पत्थर साबित होगा
ई-पोर्टल पर पंजीकृत असंगठित श्रमिकों की दुर्घटना में मृत्यु पर दो लाख़, स्थाई विकलांगता पर एक लाख़ आर्थिक सहायता का प्रावधान सराहनीय कदम – एड किशन भावनानी
भारत में असंगठित क्षेत्र विशाल स्तर पर है। साथियों हम आगे चर्चा करें इसके पहले हमें संगठित और असंगठित श्रमिकों के बारे में समझना होगा। संगठित क्षेत्र वह है जो उचित प्राधिकारी या सरकार के साथ शामिल हो और उसके नियमों और विनियमों का पालन करे। इसके विपरीत, असंगठित क्षेत्र को सेक्टर के रूप में समझा जा सकता है, जो सरकार के साथ शामिल नहीं है और इस प्रकार, किसी भी नियम का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।…
अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन
देश का कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति जब भी अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर जाता है तो चीन को मिर्ची जरूर लगती है और वह वहां पर अपना दावा दोहराने लगता है। ताजा मामला देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की 9 अक्टूबर की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का है। इस यात्रा पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झााओ लिजियन ने कहा कि चीन भारत के उपराष्ट्रपति की हाल की अरुणाचल यात्रा का कड़ा विरोध करता है। लिजियन ने कहा था कि चीन अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है।
जीएसटी, आयात शुल्क में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को मिला या नहीं इसकी सुनिश्चितता ज़रूरी
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कर शुल्कों में दी गई राहत का आम उपभोक्ताओं को लाभ सुनिश्चित करने की तकनीकी विकसित करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी
मानव जीवन यापन में ज़रूरी करीब-करीब हर वस्तु एवं सेवा पर अनेक प्रकार के करों शुल्कों का बोझ होता है जो जीएसटी, आयात शुल्क, सेस लोकल टैक्स इत्यादि के रूप में होता है। किस वस्तु पर कितना आयात उत्पाद शुल्क, जीएसटी, सेस है इसकी जानकारी अधिकतम आम उपभोक्ताओं को नहीं होती। एक साधारण सी बात है, हम मार्केट में दुकानदारों से वस्तुएं खरीदते हैं, कुछ लोग मोलभाव करके, कुछ लोग मुंहमांगी कीमत पर खरीद लेते हैं। परंतु हमें पता नहीं होता इसकी कीमत में कितना सरकारी शुल्क और उत्पादक, होलसेलर और चिल्लर विक्रेता का कितना मुनाफ़ा शामिल है? हमें कुछ पता नहीं होता।
दिव्यांग का लॉकडाउन
कोरोना त्रासदी ने तो जीवन के माईने ही बदल दिए। लॉकडाउन ने जीवन की परिभाषा को नवीन रूप में परिवर्तित कर दिया। स्वतन्त्रता और स्वच्छंदता क्या होती है शायद इसकी कटु अनुभूति का सामना हुआ, पर क्या कभी हमनें सोचा है की जो दिव्यांगजन खुलकर जीवन नहीं जी पाते उनके मन में कैसी टीस होती होगी। उनका लॉकडाउन कैसे होता होगा। उनके मन की क्या व्यथा और मनोदशा होती होगी। कई बार हम लोग उदास होने पर घूम फिरकर माहौल में परिवर्तन कर किसी पर्यटक स्थल, तीर्थ स्थल या किसी बगीचे में जाकर अपने जीवन को एक नई ऊर्जा देते है और अच्छा महसूस करने लगते है, पर शायद दिव्यांगजन यह सब कुछ सहजता से नहीं कर पाते।
कानून को अपना काम करने दीजिए
आर्यन खान के सपोर्ट में अब फ़िल्म मेकर हंसल मेहता ने अजीब ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि गांजा और भांग कई देशों में लीगल है। हंसल मेहता का कहना है कि 377 की तरह इस कानून को बदलने के लिए आंदोलन होना चाहिए, क्योंकि इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तो हद ही हो गई सुपर स्टार का बेटा न होकर कोई राजा का बेटा हो गया जिनके लिए कानून को जड़ से बदलने की शिफ़ारिस होने लगी है।
रावण गली गली घूम रहे है
हकीकत में आज के दौर में गली-गली रावण से भी खतरनाक मानसिकता वाले राक्षस भ्रमण कर रहे है, और हम सालों पहले जिस रावण ने सीता माता को छुआ तक नहीं उसका पुतला जलाकर रावण का दहन कर रहे है।
दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरे के दिन रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।
पहले खुद को बदलो फिर सरकार को कोसों
आजकल सोशल मीडिया पर सरकार को कोसने का रिवाज़ चल रहा है, जो लोग खुद का घर तक ठीक से नहीं चला पाते वो भी इतनी बड़ी आबादी को जो सरकार बखूबी चलाकर उपर उठाने की कोशिश कर रही है उनको गालियां देने से नहीं चूकते। सबको बहुत चिंता हो रही है देश की, सबको लगता है बहुत विकट स्थिति से गुज़र रहा है देश। पर ज़रा देश वालों के गिरहबान में झांक कर देखते है की हम सब देश को उपर उठाने में और आर्थिक स्थिति को सुधारने में अपना योगदान कितना देते है।
चिड़ियाघरों से स्थानीय पक्षियों और जानवरों के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर विज़न प्लान जारी
स्थानीय पक्षियों, वन्यजीवों की विलुप्तता वाली प्रजातियों के संरक्षण पर प्राथमिकता से ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी
भारत को वैश्विक रूप से सोने की चिड़िया का दर्ज़ा और रुतबा यूंही नहीं मिला था, उसके कई सकारात्मक कारण थे जिनमें प्राकृतिक खनिजों का अभूतपूर्व भंडार, जैविक विविधता की अपार शक्ति, दुर्लभ किस्म के स्थानीय पशु-पक्षियों सहित वन्यजीवी विविधता प्राणी, सकारात्मक आर्थिक संपन्नता, संस्कृति, आध्यात्मिकता, सभ्यता का अभूतपूर्व प्रचलन, नैतिकता, कुछल व्यापार, कार्यबल संपन्नता, इमानदारी सहित अनेक ऐसी खूबियां समाहित थी जो पूरे विश्व को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी।…