जन्माष्टमी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का भारतीय संस्कृति में इतना महत्व इसीलिए माना गया है क्योंकि श्रीकृष्ण को भारतीय संस्कृति का विलक्षण महानायक माना गया है। उनके व्यक्तित्व को जानने के लिए उनके जीवन दर्शन और अलौकिक लीलाओं को समझना जरूरी है। द्वापर युग के अंत में मथुरा में अग्रसेन नामक राजा का शासन था। उनका पुत्र था कंस, जिसने बलपूर्वक अपने पिता से सिंहासन छीन लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव के साथ हुआ।
लेख/विचार
कृषि जैव विविधता को मजबूत करने उसके तकनीकी संरक्षण पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करना जरूरी
मानवीय जीवन यापन में ज़रूरी खाद्य और पोषण क्षमता विकास पर अंतरराष्ट्रीय मंथन एक सकारात्मक कदम – एड किशन भावनानी
भारत एक कृषि व गांव प्रधान देश है जहां अधिकतम जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारतमाता की मिट्टी में जीवन यापन में ज़रूरी खाद्य पोषक के उत्पादन की अपार क्षमताएं हैं, जिसके कारण यहां पोषक अनाज की भरपूर मात्रा उत्पन्न होती है, जिसमें बासमती चावल में भारत का स्थान भी शुमार होता है। हमारा देश खाद्य और पोषकके उत्पादन, कृषि कार्यों के लिए जंग प्रसिद्ध है। यही कारण है कि, भारत की पहल और प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीयपोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है व वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष मनाने के लिए तैयारियां की जा रही है।
हॉकी के जादूगर थे मेजर ध्यानचंद
भारत में प्रतिवर्ष हॉकी के पूर्व कप्तान मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन को ‘खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 29 अगस्त 1905 को जन्मे ध्यानचंद हॉकी के ऐसे महान् खिलाड़ी और देशभक्त थे कि उनके करिश्माई खेल से प्रभावित होकर जब एक बार जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उन्हें अपने देश जर्मनी की ओर से खेलने का न्यौता दिया तो ध्यानचंद ने उसे विनम्रतापूर्वक ठुकराकर सदा अपने देश के लिए खेलने का प्रण लिया। हालांकि उन्हें बचपन में खेलने का कोई शौक नहीं था और साधारण शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे सोलह साल की आयु में दिल्ली में सेना की प्रथम ब्राह्मण रेजीमेंट में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए थे।
स्वतंत्र बनो स्वच्छंद नहीं
वृंदा खुद खुले खयालात वाली इक्कीसवीं सदी की माँ है, उसने अपने बच्चों को हर तरह की आज़ादी देते हुए बिंदास तौर तरीकों से पाल पोष कर बड़ा किया। किसी बात पर रोकटोक नहीं बच्चों को पूरी आज़ादी दी, पर भीतर से वृंदा कहीं न कहीं अपनी संस्कृति और कुछ उसूलों के साथ जुड़ी हुई थी तो आज जब अपनी बेटी ग्रेसी ने ये कहा की मोम मैं अक्षय के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हूँ, देखना चाहती हूँ हम दोनों के विचार और ज़िंदगी जीने के टेस्ट मिलते है की नहीं।
Read More »गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाक के नापाक इरादे
भारत के बार-बार विरोध जताने के बावजूद पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा है। सामरिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण वाले इस इलाके को अस्थायी प्रान्त का दर्जा देने के लिए पाकिस्तान नें कानून की रूपरेखा तैयार कर ली है। भारत ने इसका सख्त विरोध करते हुए इस्लामाबाद से साफतौर पर कहा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर व लद्दाख का पूरा केन्द्रशासित इलाका भारत का अखण्ड हिस्सा है। भारत का कहना है कि पाक सरकार या उसकी न्यायपालिका का अवैध रूप से या जबरन कब्जा किए गए स्थानों पर कोई अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान की इस नई योजना के मुताबिक कानून व न्याय मंत्रालय के प्रस्तावित कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान की सर्वोच्च अपीलीय अदालत समाप्त की जा सकती है। 26 वें संवैधानिक संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे प्रधानमंत्री इमरान खान को सौंप दिया गया है। प्रस्तावित कानून में सुझाव दिया गया है कि इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रान्तों और क्षेत्रों से संबंधित संविधान के अनुच्छेद-1 में संशोधन करके उसे अस्थायी प्रान्त का दर्जा दिया जा सकता है। गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकारों समेत विभिन्न पक्षकारों से इस विचार विमर्श भी कर लिया गया है।
दर असल पाकिस्तान का मकसद इस सामरिक क्षेत्र में 46 अरब अमेरिकी डाॅलर की लागत से बनाए जाने वाले आर्थिक काॅरीडोर पर चीन की चिन्ताएं दूर करना है। पाकिस्तान ने यह काॅरीडोर बनाने के लिए कुछ समय पहले चीन से करार किया था जिसके तहत तीन हजार किलोमीटर लम्बे इस आर्थिक गलियारे का लगभग 634 किलोमीटर का हिस्सा गिलगित- बाल्टिस्तान से होकर गुजरेगा। इसी कारण जम्मू-कश्मीर के उत्तर में स्थित यह क्षेत्र चीन के साथ महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जाना जाता है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक काॅरीडोर ;सीपीईसीद्ध के प्रमुख मार्ग पर स्थित है। यह सड़कों, राजमार्गों, रेलवे और निवेश पार्कों के नेटवर्क के जरिए दक्षिणी पाकिस्तान के ग्वादर बन्दरगाह से पश्चिमी चीन के काशगर को जोड़ता है।
गुलाम कश्मीर के रास्ते सीपीईसी बनाए जाने को लेकर भारत कई बार आपत्ति जता चुका है। इसके बाद से ही चीन इस क्षेत्र में निवेश को लेकर चिंतित है क्योंकि विवादित क्षेत्र होने के कारण इस इलाके निवेश सुरक्षित नहीं हैं। चीन की इसी चिन्ता को दूर करने के लिए पाकिस्तान अपनी इस योजना में इस क्षेत्र को प्रांतीय दर्जा देना चाहती है लेकिन यह दर्जा सामान्य प्रान्त की तुलना में छोटा होगा। अभी तक पाक अधिकृत कश्मीर, आजाद कश्मीर व गिलगित- बाल्टिस्तान नामक दो भागों में बंटा है। दोनों क्षेत्रों की अपनी-अपनी विधान सभाएं हैं जो अन्दरूनी तौर पर स्वायत्त हैं। एक विशेष मंत्री और संयुक्त परिषदों के जरिए पाकिस्तान यहां पर शासन करता है।
मंज़िल को पाना है तो मुखर बनों
खुद पर कमान मजबूत शख़्सीयत की नींव होती है, शांत मन इंसान की दक्षता और कुनेह है, मन को शांत रखो और दिमाग को तेज़। जब किसी की गलत बात या गलत विषय वस्तु पर आप निरर्थक दिमाग नहीं चलाते तो अपनी ज़िंदगी की दिशा निर्देश की कमान भी किसी और के हाथों में मत दो। विरोध करना भी एक हुनर है सीख जाओ, ना कहना गलत नहीं। जिस बात को करने की अनुमति अपना मन और हृदय ना दें वो करने की जुर्रत मूर्खता है, कमज़ोरी है और डर का दूसरा नाम है।
भावनाओं को कुशाग्र बुद्धि पर हावी होने का अधिकार कभी मत दो, अपने वजूद की तलाश खुद के अंदर करो और प्रभुत्व पाकर बेहतरीन शख़्सीयत का प्रमाण दो। आत्मबल का स्त्रोत बहता है हमारे भीतर डर को जड़ से काटने पर फूट पड़ेगा सकारात्मकता का झरना, जो डर और जिजक की असंख्य परतों के पीछे बंदी पड़ा है।
आरक्षण क्यो, और कब तक
आरक्षण का मतलब किसी काबिल व्यक्ति का हक मारना, अपने बलबुते पर नहीं बल्कि जात-पात का सहारा लेकर जिस कुर्सी के हकदार नहीं उस पर बैठ जाना। आज आरक्षण की वजह से होनहार लड़के 95/96 % के साथ भी नौकरी के लिए भटक रहे है और 40/60 % वाले उनका हक छीन कर ले जाते है। जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए आरक्षण को, दम है तो आगे बढ़ो। दुनिया में काम की कमी नहीं।
आरक्षण सिर्फ़ शारिरीक तौर पर अपाहिज या अति पिछड़े वर्ग के लिए होना चाहिए, वो भी काबिलियत पर। आरक्षण के नाम पर बनें डाॅक्टर, इन्जीनियर या नेता देश और समाज का क्या भला करेंगे। आज स्थिति यह है कि यदि आप केवल इतना ही पूछ लें कि आरक्षण कब खत्म होगा, तो तुरंत आपको दलित-विरोधी की उपाधि से नवाज़ दिया जाएगा। कोई ये नहीं सोचता कि आरक्षण एक ऐसा दीमक है जो देश की होनहार शख़्सीयतों को खा रहा है। क्या केवल कुछ उपजातियां ही अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों पदों पर कब्जा जमा रही हैं? क्या जातियों को पिछडे वर्ग की सूची में इसलिए शामिल किया जा रहा है कि वे सचमुच पिछड़ी और वंचित हैं? या इसलिए कि उनकी शक्ति और प्रभावशीलता को देखते हुए राजनेताओं को ऐसा करना पड़ रहा है?
अब वक्त आ गया है, बलात्कार का दमन हो
आए दिन पत्रिकाओं में चार महीने की बच्ची से लेकर किसी भी उम्र की लड़की और महिला के साथ हो रहे शारीरिक अत्याचार के चलते सीमा अपनी 11 साल की बच्ची को लेकर चिंतित हो उठती थी। और एक आंशिक भय उसके दिमाग को कचोटता रहता था। गली मोहल्ले और फूटपाथ तो छोड़ो खुद अपने घर में भी बेटीयाँ कहाँ सुरक्षित है।
अपने ही घर के कुछ सदस्य की गतिविधियों से परेशान सीमा ने ठान लिया पिंकी भले ही छोटी है पर अब वक्त आ गया है पिंकी को उन सारी चीज़ों से अवगत कराने का जो उसे एसी हरकतों से बचाने में सहायक बनें।
दास्तां होगा
ऐसी राह पर चलना है कि पीछे
पीछे मेरे भी कारवां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का
दास्तां होगा
आ गया मुझे धूप चिलचिलाती
जिंदगी के सहना
मेरा तासीर पानी सा है अब
वक्त के मार से है कहना
अब मिले सब्जातारा या फिर सहरा
दिल ना परेशां होगा
मेरे बाद मेरे नेकियों का दास्तां होगा
वैक्सीनेशन के लिए स्कूलों के टीचिंग स्टाफ को फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटेगरी में शामिल करना समय की मांग
वैक्सीनेशन में जांबाज़ी से सेवा और अब स्कूल खुलने पर टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की जिम्मेदारी बढ़ी – एड किशन भावनानी
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर पर हर भारतवासी के सहयोग, फ्रंटलाइन वर्कर की ज़बाजी और शासन प्रशासन के रणनीतिक रोडमैप योजनाओं व उच्च नियंत्रण व निर्णय क्षमता के सहयोग से महामारी पर नियंत्रण करने में सफलता मिल रही है। फिर भी कुछ राज्यों में महामारी फैली हुई है, परंतु नियंत्रण में है फिर भी हमें यह नहीं समझना चाहिए किदूसरी लहर समाप्त हो गई है। वैक्सीनेशन अभियान में जोरदार जवाबदारी और जिम्मेदारी में सहयोग और कोविड-19 आचार संहिता का पालन, अनलॉक स्थिति में भी अनिवार्य से हम सब को करना है।…