Tuesday, April 22, 2025
Breaking News
Home » लेख/विचार (page 68)

लेख/विचार

आयुर्वेद को दवा माफियाओं से बचाना होगा

आयुर्वेद के नाम पर झूठे दावों, दवाइयों के जालसाजी आदि के लिए भारी जुर्माना का प्रावधान करना अत्यंत जरूरी है -प्रियंका सौरभ
आयुर्वेद में प्राकृतिक उपचार की हजारों वर्षों की परंपरा का मिश्रण है। आयुर्वेदिक चिकित्सा यानी घरेलू उपचार दुनिया की सबसे पुराना चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्वेदिक तरीका रोगी को चंगा करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, प्राकृतिक चिकित्सा में उपचार की तुलना में स्वास्थ्यवर्धन पर अधिक महत्व दिया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा स्वस्थ जीवन जीने की एक कला विज्ञान है। कोविद-19 महामारी के दौरान प्राकृतिक उपचार का ज्ञान पूरे विश्व में लाइमलाइट में आया है।
इसलिए विशेष रूप से विश्व बाजार में प्राकृतिक उपचार की मांग को पूरा करने के लिए आयुर्वेद को अच्छे तरीके से दुनिया के सामने रखने और सही जानकारी से पूर्ण करने की आवश्यकता है, प्राकृतिक चिकित्सा में कृत्रिम औषधियों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में विषैली औषधियों को शरीर के लिये अनावश्यक ही नहीं घातक भी समझा जाता है। प्रकृति चिकित्सक है दवा नहीं।

Read More »

शिक्षा माफियाओं के दबाव में स्कूल और डिजिटल शिक्षा

जब तक सही समय न आये डिजिटल शिक्षा से काम चलाना बेहतर है -प्रियंका सौरभ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्रालय फिलहाल स्कूलों को खोलने की जल्दी में कतई नहीं है। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री ने 15 अगस्त के बाद की तारीख बताकर अनिश्चितता तो फिलहाल दूर कर दी लेकिन भारत में कुछ राज्य इन सबके बावजूद भी स्कूल खोलने की कवायद में जी- जान से जुड़े है। पता नहीं उनकी क्या मजबूरी है? मुझे लगता है वो स्कूल माफियाओं के दबाव में है। आपातकालीन स्थिति में इस तकनीकी युग में बच्चों को शिक्षित करने के हमारे पास आज हज़ारों तरीके है। ऑनलाइन या डिजिटल स्टडी से बच्चों को घर पर ही पढ़ाया जा सकता है तो स्कूलों को खोलने में इतनी जल्दी क्यों ? वैश्विक महामारी जिसमे सोशल डिस्टन्सिंग ही एकमात्र उपाय है के दौरान स्कूल खोलने में इतनी जल्बाजी क्यों ? सरकारों को चाहिए की जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आती स्कूल न खोले जाए। शिक्षा माफियाओं के दबाव में न आये। ऐसे लोगों को न ही ज़िंदगी और न बच्चों के भविष्य की चिंता है। इनको चिंता है तो बस फीस वसूलने की।

Read More »

खतरनाक शीत युद्ध में प्रवेश कर चुकी दो महाशक्तियां

कोरोना काल की शुरुआत से ही अगर सबसे ज्यादा प्रभावित कोई देश रहा है तो वो है, अमेरिका! और अमेरिका कोरोना काल की शुरुआत से ही इस महामारी को बनाने व फैलाने में चीन को ही जिम्मेदार ठहराता रहा है। क्योंकि चीन ने जिस तरह पूरी दुनिया से इस खतरनाक बीमारी के बारे में छिपाया, उससे कहीं न कहीं पूरी दुनिया के शक की सुई चीन पर ही जाकर अटकती है। इसी ने चीन और अमरीका के बीच तनाव की स्थिति को जन्म दिया, जो आज एक शीत युद्ध की तरफ बड़ी तेजी से अपने कदम बढ़ाते नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दो महाशक्तियों का इस तरह से शीत युद्ध में प्रवेश करना पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक स्थिति का संकेत है। जिस तरह अमेरिकी प्रशासन ने चीन के खिलाफ तेजी से वैश्विक विकास का कार्य शुरू किया है, उससे यह बात साफ है कि चीन और अमरीका के बीच तनातनी चरम पर है। क्योंकि आजकल दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका, चीन के प्रतिद्वंद्वियों के साथ अनारक्षित साइडिंग कर रहा है, जिससे चीन अंदर ही अंदर तिलमिला रहा है। इस पर चीन ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्रम्प को एक कमजोर व त्रुटि ग्रस्त नेता से संबोधित किया।

Read More »

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है

आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते।
हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं।

Read More »

दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

समयानुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा दलबदल कानून में संतुलन की सख्त जरूरत है – डॉo सत्यवान सौरभ
हाल ही में राजस्थान में बिगड़ते राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों को ‘दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता नोटिस जारी किया गया है। इसको लेकर बागी काॅन्ग्रेसी नेता सचिन पायलट और 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों ने अयोग्यता नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मामले पर बागी विधायकों का तर्क है विधानसभा के बाहर कुछ नेताओं के निर्णयों और नीतियों से असहमत होने के आधार पर उन्हें संसदीय ‘दलबदल विरोधी कानून’ के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है,ऐसा करना गलत है।
मामला ये है कि राजस्थान के कांग्रेसी उपमुख्यमंत्री सहित कॉंग्रेस के कुछ बागी विधायक हाल ही में ‘काॅन्ग्रेस विधायक दल की बैठकों में बार-बार निमंत्रण देने के बावज़ूद शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद राज्य में पार्टी के मुख्य सचेतक की अपील पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इन विधायकों को अयोग्यता संबंधी नोटिस जारी किया गया है।

Read More »

लोकतंत्र में दलबदल नीति जनता का विश्वास डगमगा रही है

आधुनिक राजनीति में सत्तालोलुप राजनेता जनता की बिल्कुल परवाह किए बिना ही अपनी पार्टी बदल लेते हैं। जनता अपने पसंदीदा दल के नेता को चुनती है लेकिन वो नेता बड़े पद अथवा सत्ता पाने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकता हैं।लोकतंत्र में जब जनता अपने प्रतिनिधि का चयन करती हैं तब वह अपने विशेष दल का ध्यान रखकर करती हैं लेकिन जब प्रतिनिधि निर्वाचित हो जाता है और उसके बाद जब वह पार्टी बदल देता है तब तो जनता के साथ एक प्रकार का धोखा हुआ ये मान लेना चाहिए। बहुत सारी परिस्थितियों में जनता अपने क्षेत्र का नेता उसे ही चुनती हैं जिस दल से उनको लगाव होता हैं। लेकिन राजनीति में तो ‘अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता’ वाला स्लोगन हर राजनेता के अंदर स्वतः बैठ ही जाता हैं। यथार्थ में आज राजनीति से नीति शब्द अलग हो चुका है।

Read More »

शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये

हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी -प्रियंका सौरभ
इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है। पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन “इमोजी का वैश्विक उत्सव” माना जाता है। ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था। इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है। हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी। जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है।

Read More »

हिंदुस्तान में हिंदी का पतन विचारणीय

हिंदुस्तान के सबसे बड़े हिंदी भाषी राज्य उत्तर प्रदेश की बोर्ड परिक्षाओं के परिणाम में इस साल हिंदी विषय में आठ लाख बच्चों का फेल होना कोई छोटी बात नहीं है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की तकरीबन 91% जनसंख्या द्वारा सामान्य बोल-चाल में हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है। जो राज्य हिंदी भाषा का पूरे हिंदुस्तान में प्रबल प्रतिनिधित्व करता है, आखिर उस राज्य में हिंदी भाषा में आठ लाख छात्रों का फेल हो जाना एक खतरनाक संकेत है। इसका कारण जो भी हो, मगर यह बात तो साफ है कि छात्र अगर अपनी मातृभाषा में फेल हुआ है तो वह दोषी है, परन्तु हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लग रहा है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में छात्र अपनी मातृभाषा हिंदी में क्यों फेल हो रहे हैं ? आंकड़ों की अगर मानें तो उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में तकरीबन दो लाख हिंदी के पद रिक्त पड़े हुए हैं, ऐसे में मातृभाषा हिंदी में छात्रों के फेल होने का यह आंकड़ा तो लाजिमी ही है। हिंदी भाषा के इन रिक्त पदों पर अगर जल्द नियुक्ति नहीं हुई तो आगे की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है, हिंदी भाषा का पूरे हिंदुस्तान में परचम लहराने वाले राज्य में ही हिंदी का पतन सुनिश्चित है।

Read More »

किसान का सोना पानी में तैर रहा हैं !

विडंबना देखों जो खुद अपने कंधे पर हल लेकर चलता है उसकी समस्याओं का आज हल नहीं निकल रहा है। अभी लॉकडाउन में सभी उद्योग बंद हो गए, सभी लोग अपने घरों में बैठ गए लेकिन किसान अपना कार्य अनवरत कर रहे है पूरे देश को अन्न उपलब्ध करा रहे हैं फ़िर भी आज किसान की हालत दयनीय है?
हर बार टूटी हुई माला की तरह किसान की किस्मत बिखर जाती हैं, कभी बारिश ना हो तो फसल पानी की कमी के कारण नष्ट हो जाती हैं और कभी ज्यादा बारिश हो जाए तो भी नष्ट हो जाती हैं।
यहाँ पर सब लोगों को काले धन और भ्रष्टाचार की चिंता है लेकिन किसी को भी किसान के फसल की चिंता नहीं हैं। बड़े-बड़े आंदोलन करते हैं मंदिर मस्जिद को लेकर लेकिन किसान की शिकायत कहीं पर नहीं जाती।

Read More »

ठाकुरों की गढ़ी बड़वा में हैं अंग्रेजों के जमाने की शानदार चीजें

गगनचुंबी हवेलियां, मनमोहक चित्रकारी, कुंड रुपी जलाश्य, हाथीखाने, खजाना गृह, कवच रुपी मुख्य ठोस द्वार और न जाने क्या-क्या – डॉo सत्यवान सौरभ
दक्षिण-पश्चिम हरियाणा में शुष्क ग्रामीण इलाकों का विशाल विस्तार है, जो उत्तरी राजस्थान के रेतीले क्षेत्रों से सटे हुए है, यहाँ बड़वा नामक एक समृद्ध गांव स्थित है। यह राजगढ़-बीकानेर राज्य राजमार्ग पर हिसार से 25 किमी दक्षिण में है।
गढ़ से बड़वा का दौरा शुरू करना स्वाभाविक था, जिसे गाँव में ठाकुरों की गढ़ी (एक किला) कहा जाता है। 65 वर्षीय ठाकुर बृजभूषण सिंह, गढ़ी के मालिकों की एक जागीर है। ठाकुर बाग सिंह तंवर के पूर्वज, जो कि बृजभूषण सिंह के दादा थे, ने 600 साल पहले राजपुताना के जीतपुरा गाँव से आकर अपने और अपने संबंधों के लिए इस गाँव की संपत्ति की नक्काशी की थी। संयोग से, राजपूतों की तंवर शाखा ने भिवानी शहर के आसपास के कई गाँवों में खुद को मजबूती से स्थापित किया था।

Read More »