Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

जीवन रूकने नहीं चलने का नाम है -कोरोना

विज्ञान के दम पर विकास की कीमत वैसे तो मानव वायु और जल जैसेजीवनदायिनी एवं अमृतमयी प्राकृतिक संसाधनों के दूषित होने के रूप में चुका ही रहा था किंतु यही विज्ञान उसे कोरोना नामक महामारी भी भेंट स्वरूप देगा इसकी तो उसने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की होगी। अब जब मानवप्रयोगशाला का यह जानलेवा उपहार उस पर थोपा जा ही चुका है तो निसंदेहउसे प्रकृति के सरंक्षण और उसके करीब रहने का महत्व समझ आ गया होगा। लेकिन वर्तमान में इससे अधिक महत्वपूर्ण विषय है कोरोना महामारी पर मानव जाति की विजय। आज की वस्तुस्थिति तो यह है कि लगभग सम्पूर्ण विश्व ही कोविड 19 के समक्ष घुटने टेके खड़ा है। ना इसका कोई सफल इलाज मिल पाया है और ना ही कोई वैक्सीन। दावे तो कई देशों की ओर से आए लेकिन ठोस नतीजों का अभी भी इंतजार है, उम्मीद अभी भी बरकरार है। अपेक्षा है कि विश्व के किसी न किसी देश के वैज्ञानिकों शीघ्र ही दुनिया को इस महामारी पर अपनी विजय की सूचना देंगे।

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क्या कोरोना जेलों का सुधार करवा पायेगा ?

मुंबई सेंट्रल जेल के अंदर संक्रमण के बाद, महाराष्ट्र ने जेलों में बंद आधे लोगों को अस्थायी रूप से रिहा करना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र जारी किया, जो अस्थायी रूप से जमानत और आपातकालीन पैरोल पर राज्य की जेलों में बंद आधे कैदियों को रिहा करने की सुविधा प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित राज्यों ने अपनी जेलों में कोविद -19 मामले दर्ज किए हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए जेल के अधिकारियों से पूछा है कि वे कोरोना को फैलने से कैसे रोकेंगे। उन्होंने जेल में रखे गए क्षमता से ज्यादा कैदियों को कोरोना के खतरे पर चिंता जताई।
उन्होंने जेल अधिकारियों को कोरोना पर लगाम लगाने की वैकल्पिक योजना देने को कहा। केरल की जेल में कोरोना से संक्रमित कैदियों को अलग रखने की व्यवस्था की गई है। अमेरिका और ईरान की जेलों में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए कम जोखिम वाले कैदियों को रिहा किया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का कोई सुझाव नहीं दिया। उसने सभी कैदियों की जांच कराने, कोरोना से संक्रमित कैदियों को अलग रखने और उनका तुरंत इलाज कराने पर जोर दिया। चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, “सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक तौर पर दूरी रखने की सलाह दी है। लेकिन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, जिससे दूरी रखना मुश्किल है।”

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तनातनी के माहौल में भारत की भूमिका

महामारी को लेकर अमेरिका, चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच चल रही जुबानी जंग में हर रोज कुछ न कुछ नया शामिल जो जाता है. इस लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख को एक चेतावनी भरा पत्र लिखा, लेकिन इसका जवाब उन्हें चीन की तरफ से मिला। चीनी विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के पत्र को ‘संकेतों, शायद, किंतु-परंतु’ से भरा हुआ बताया और यह भी कहा कि अमेरिका जनता को गुमराह करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने डोनाल्ड ट्रंप के पत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अमेरिका अपनी जिम्मेदारी को सीमित करने और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों पर सौदेबाजी के लिए चीन को मुद्दा बना रहा है, लेकिन अमेरिका ने गलत लक्ष्य चुना है’।

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हुजूर को सहयोग के लिए मुख्यमंत्रियों का एहसान मंद होना चाहिए- संजय रोकड़े

भारत में कोरोना को हराने के लिए हर नागरिक ने वही किया जो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी ने समय-समय पर सुझाया। हुजूर ने कहा ताली-थाली बजाओ, तो ताली-थाली बजाई गई। दीये जलाओ तो दीये जलाए गए। और तीसरे इवेंट में उनने आसमान से फुल बरसाने का प्लान दिया उसमें भी सबने पूरा सहयोग किया। हालाकि सब ये अच्छे से जानते थे कि यह पीएम की प्रतीकात्मक पहल है। मोदी का पीआर इवेंट है बावजूद इसके उनके इस इवेंट को सबके सब सफल बनाने में जुट गए। हुजूर की इन प्रतीकात्मक पहलों का किसी ने भी विरोध नही किया।
ऐसा नही है कि उनका विरोध नही किय जा सकता था, लेकिन सबने उनका साथ दिया। आज जनता से लेकर हर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दलगत राजनीति से उपर उठकर उनके हर पीआर इवेंट को सफल बनाया जबकि वे सब जानते थे कि एक समय के बाद मोदी इसका राजनीतिक लाभ उठाने में पीछे नही हटेगें बावजूद इसके सबने एकजुटता दिखाई। इस एकजुटजा और हर कहे को मान्य करने के लिए आखिर क्यूं नरेन्द्र मोदी को अपने मुख्यमंत्रियों का एहसान मंद होना चाहिए।

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प्रधानमन्त्री का आत्मनिर्भर भारत अभियान

अदृश्य विषाणु कोरोना ने पूंजीवाद की अन्धी दौड़ में बेतहाशा भाग रहे विश्व की रफ़्तार पर जिस तरह से अचानक ब्रेक लगाया है, उससे बड़े-बड़े देशों का आर्थिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है| विश्व का प्रत्येक विकसित और विकासशील देश अपनी आर्थिक विकास की रणनीति पर नये सिरे से विचार करने लगा है| 12 मई को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने दूरदर्शन के माध्यम से देश को सम्बोधित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की| मोदी के अनुसार इस धन के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जायेगा| देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात तो आजादी के समय से ही रही है और इन तिहत्तर सालों में इसके लिए रणनीतियां भी अनगिनत बार बनायीं गयीं| परन्तु परिणाम लक्ष्य से सदैव दूर ही रहा| प्रधानमन्त्री की घोषणा के मुताबिक इस बार की रणनीति सबसे अलग होगी| पूरे भाषण में उनका जोर स्थानीय शब्द पर रहा| उन्होंने लोकल के लिए वोकल का मन्त्र देते हुए स्थानीय स्तर पर देश को आर्थिक दृष्टि से मजबूत करने पर विशेष बल दिया|

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हमारे कोविड-19 वारियर पुलिसकर्मी

हमारे रक्षा कर्मी पुलिस वक्त बेवक्त अपनी बहादुरी का परचम लहराते हैं। 24 घंटे व सातों दिन कठोर मौसम में अपनी ड्यूटी पर डटे रहते हैं। उनकी सहज उपस्थिति का एहसास तब होता है। जब कोई विपदा आम जनता पर दस्तक देती है। आजकल गले पड़ी है कोविड-19 जैसी सर्वव्यापी महामारी जिसका एकमात्र इलाज है मनुष्य का घर की चारदीवारी में कैद रहना। पुलिस वालों को इस समय सबसे ज्यादा डर है खतरे की चपेट में आने का, क्योंकि दिन प्रतिदिन नित नए कई अनजान व्यक्तियों के संपर्क में वे आते हैं, रेड जोन के कई पुलिसकर्मी इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। पुलिसकर्मी केवल रक्षक ही नहीं, बल्कि कोविड वारियर्स बन चुके हैं। एक तरफ तो लाॅक डाउन का उल्लंघन करने वालों के लिए लठ बरसाते भीम व दूसरी और देवदूत बनकर जनता की सेवा करते हैं। जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक व डिब्रूगढ़ से पोरबंदर तक, ऐसी कई अनूठी दास्तान देश के राज्यों से बयां हो रही हैं। हमारे जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मी ना केवल आतंकियों को ढेर करने में व्यस्त हैं बल्कि लाॅक डाउन के कारण, एसएचओ जानीपुर राजेश कुमार एबरोल ने एक बच्चे को केक फूल वा गिफ्ट देकर जन्मदिन मनाया। इसी तरह कई और परियों के जन्मदिन हुए जैसे कानपुर में यूपी पुलिस ने एक बच्ची का जन्मदिन धूमधाम से मनाया। लाॅक डाउन के चलते मथुरा निवासी संगीता अपनी बेटी अनिका का पहला जन्मदिन न मनाने का अफसोस 18 अप्रैल को ट्वीट किया था इस पर 29 अप्रैल को यूपी पुलिस ने अपनी कई गाड़ियां व बाइक्स खूब रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाकर व सायरन बजाते हुए लाव लश्कर के साथ मथुरा की गली में पहुंच बच्ची को बधाई दी। पुलिस का काफिला देख, मोहल्ले के लोगों में हड़कंप सा मच गया। इसी तरह नागपुर में महाराष्ट्र पुलिस ने एक ही परिवार के तीन लोगों का जन्मदिन मनाया जब उस परिवार की बच्ची ने केक लाने की पुलिस से परमिशन मांगी परंतु महाराष्ट्र में कोविड का भयानक रूप के चलते हर तरफ डर का माहौल है, इसलिए पुलिस पूरी तरह सक्रिय व सतर्क है। पंजाब के अमृतसर में इसी तरह एक और नन्ही परी का जन्मदिन वहां की एसपी जसवंत कौर बरार ने मनाया अपने हाथ से बच्ची को केक खिलाकर दुआएं दी। पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा के पंचकूला निवासी एक बुजुर्ग व्यक्ति का जन्मदिन मनाकर उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया।

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जाने आगे क्या होगा….!

जब प्रधानमंत्री जी ने 22 मार्च को ट्रायल के रूप में संपूर्ण भारत भारत बंद का ऐलान किया था तब तक लॉक डाउन जैसे शब्द से हम बहुत से भारतीय परिचित नहीं थे। बहुत से भारतीयों को यह तक नहीं मालूम था कि 22 मार्च के दिन संपूर्ण भारत बंद क्यों किया गया है आखिर सरकार का क्या उद्देश्य है अचानक इस तरह का कदम उठाकर। जिस कोरोना कोविड-19 जैसी महामारी को तब तक हम कुछ नहीं समझते थे हम बस इसे केवल एक सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर गुड मॉर्निंग और गुड नाइट मैसेज की तरह ले रहे थे पर आज कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी का नाम बच्चे बच्चे की जुबां पर आ गया है। इस समय लॉक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है पर सड़कों पर बेवजह घूमते हुए लोग और बेवजह ग्रुप बनाकर गपशप करते लोगों को देखकर कहीं भी प्रतीत नहीं हो रहा कि लॉक डाउन जैसा कुछ चल रहा है। और तो और कुछ दिनों पहले जब से शराब की दुकानें खुलने का आदेश दे दिया गया तब से लोग बेखौफ होकर कहीं भी घूम रहे हैं किसी भी तरह के नियम का पालन नहीं हो रहा है आखिर हम भारतीय जो है जो बिना डर के और बिना लालच के कुछ नहीं करते। इस समय पुलिस विभाग भी अब पूरी तरह से पस्त नजर आ रहा है क्योंकि उन्होंने लगभग 45 दिन खूब मेहनत की पर अचानक इस तरह से शराब की दुकाने खुलने से उनके किए कराए पर भी पानी फिर गया। अब वह किसी से कुछ कह भी नहीं सकते क्योंकि पहले अगर कोई दवा भी लेने जा रहा होता था तो पुलिस उससे कई तरह की पूछताछ करती थी पर आज वो शान से कहता है कि मैं दारू लेने जा रहा हूं और पुलिस कुछ नहीं कर पाती क्योंकि यह सरकार का एक आदेश है जिसका पालन उन्हें करना ही है।

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समानता वहीं पर सार्थक है जहां विचार स्वतंत्र हों

लेकिन कभी कभी निरंकुश स्वतंत्रता अराजकता को जन्म देती है
बात सिर्फ आत्मिक संतुष्टि की होनी चाहिए लेकिन उसके लिए ज्ञान बहुत जरूरी है क्योंकि अज्ञानी स्त्री ये नहीं समझ पाती की सच में उसकी संतुष्टि का साधन क्या है ।मंजिल तक पहुंचना तो वो जानती है लेकिन पैरों में कीचड़ लगाकर जाना है या पैरों को साफ करके ये उसे अध्यात्म और ज्ञान सिखाता है।चरित्र का निर्माण कोई मापदंड के अनुसार नहीं होना चाहिए, मापदंड अगर लिया जाए तो सभी द्रोपदी का अनुसरण करके सती बन जाएं,,,, सीता के चरित्र को अपनाकर जीवन को संघर्ष और त्याग में व्यतीत करें। सीता की उपमा देकर आज पुरुष स्त्री को उनकी मर्यादा को याद दिलाता है लेकिन खुद कितना चरित्रवान है ये भूल जाता है।
बात सिर्फ इतनी की इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले मनुष्य को सिर्फ तीन व्यक्तियों का ऋणी होना चाहिए – ,,, माता, पिता तथा गुरु उनके अलावा तीसरा कोई नहीं जिसका उसके निजी जीवन को बदलने का अधिकार हो, और इनकी भी दखलंदाजी एक आयु और सीमा तक होनी चाहिए, बाकी जितने लोग उसे अनुशासित करते हैं सिर्फ अपनी खुशी और स्वार्थ के लिए करते हैं।

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विकास की कहानी का हिस्सा बने अब सिलेज

इन भयावह समय का मुख्य तकाजा यह है कि कोरोना वायरस अब आने वाले कुछ समय के लिए हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा है और अब हमें इसके आसपास काम करने की जरूरत है। एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की उपलब्धियों पर हमें गर्व है, कोरोना वायरस से उपजी महामारी ने
तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त नुक्सान पहुंचाया है। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं। बावजूद इसके ऐसी आशा है कि हमारा देश इस संकट से जूझते हुए अपनी व्यवस्था को पुन: सुचारू कर लेगा, किंतु इन सबके लिए हमारी कृषि प्रधानता वाली रीति-नीति में कुछ ठोस व्यापक कदम उठाने होंगे, जिससे खासकर हमारे अन्नदाता और मजदूर वर्ग को कोई विशेष आर्थिक नुक्सान का सामना न करना पड़े। औद्योगिक इकाइयों से लेकर सभी कारोबार आज अपने पुराने दिन वापस पाने की कोशिश में हैं।

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विदेशी प्लांट जिंदगी को इतना सस्ता क्यों समझते हैं

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में एलजी पॉलिमर्स कम्पनी में गैस रिसाव ने 36 साल पुरानी भोपाल गैस त्रासदी की याद को फिर एक बार ताजा कर दिया है। भोपाल में 3 दिसम्बर 1984 को अमेरिकी कम्पनी यूनियन कार्बाइट से जहरीली गैस लीक होने से 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग सांस और दूसरी शारीरिक बीमारियों से ग्रस्त हुए थे। काफी संख्या में लोग अंधे और विस्थापित हो गए थे। इतने सालों बाद भी पीड़ितों को आज तक न्याय नहीं मिल पाया।
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक केमिकल इंडस्ट्री से जहरीली गैस लीक होने की घटना बेहद दुखद है। इसमें दस से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग बीमार हो गए हैं, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। घायलों में से कुछ की हालत गंभीर है। विशाखापत्तनम शहर के नजदीक आरआर वेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर इंडस्ट्री में गैस का रिसाव गुरुवार को तड़के शुरू हुआ।

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