बदलते समय के साथ विज्ञापन, मार्केटिंग और ब्रांडिंग को लेकर कई नए ट्रेंड सामने आए हैं जो आने वाले दिनों में नई उम्मीद जगाते हैं। खास बात ये कि इसकी नीव रखी है डिजिटिल मीडिया, सोशल मीडिया और इंफ्लुएंसर मार्केटिंग (एआर) ने! विज्ञापन बाजार पर नए ट्रेंड का बढता महत्व और टेक्नोलॉजी का विज्ञापन पर बढ़ता प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण है।अब सिर्फ अखबारों में या टीवी पर विज्ञापन देना काफी नहीं है। नया ट्रेंड सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया पर अपने प्रोडक्ट को विज्ञापित करना है। आंकड़े बताते हैं कि प्रिंट मीडिया का बाजार 8 प्रतिशत, टीवी 12 प्रतिशत और डिजिटल / सोशल मीडिया का 24 प्रतिशत प्रति साल की दर से बढ़ रहा है। आने वाले सालों में डिजिटल और सोशल मीडिया का बाजार और ज्यादा तेजी से बढ़ेगा! इसका सीधा सा कारण है कि विज्ञापन एजेंसियों को जहाँ उपभोक्ता दिखेगा, वहीं वे उसे प्रभावित करने की कोशिश करेंगी। ऐसे में तय है कि 2018 में सबसे ज्यादा प्रभावशाली क्षेत्र यही होगा।
2018 में विज्ञापन जगत के हॉट ट्रेंड के ब्रांड का फोकस डिजिटिल और सोशल मीडिया होगा। सबसे ज्यादा विस्तार होने वाला क्षेत्र डिजिटल मीडिया ही होगा। जो माहौल 2017 में दिखाई दिया, उसके मुताबिक डिजिटल, सोशल और इंफ्लुएंसर मार्केटिंग हर मामले में हावी रहेगा। 2018 में ‘एआरटी’ यानी ‘ऑगमेंटेड रियलिटी टेक्नोलॉजी‘ का ही विज्ञापन बाजार पर असर बढ़ता दिखेगा। आने वाले सालों में विज्ञापन जगत में वीडियो का भी दखल बढ़ेगा, जिसका चलन सोशल मीडिया में शुरू भी हो गया है। इससे ब्रांड और उपभोक्ता के बीच की दूरी घट रही है। इसके अलावा अब रीजनल प्लेयर्स भी इस मैदान में दिखाई देंगे। लेकिन, हर ब्रांड का फोकस डिजिटल मीडिया पर ही होगा। स्मार्टफोन ने ब्रांड-कंज्यूमर की दूरी को कम कर दिया है। अनुमान कि 2018 में डिजिटल मार्केटिंग 25-30 फीसदी बढ़ेगी। इसलिए कि ब्रांड की उपभोक्ता तक पहुंच आसान हुई है।
देश में अनुमानतरू तकरीबन 12 से 15 करोड़ से अधिक ऐसे लोग हैं जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से तीन करोड़ से ज्यादा लोग रोज ऑनलाइन होते हैं। इसके अलावा देश में सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाले करीब 5 से 6 करोड़ लोग हैं। इनमें ज्यादातर लोग फेसबुक और लिंक्डइन पर हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों में करीब 70 फीसदी लोग वहां रियलिटी शो, फिल्म के ट्रेलर, विज्ञापन आदि से जुड़े वीडियो भी देखते हैं। देश में 10 हजार से ज्यादा इंटरनेट कैफे हैं। इसके अलावा देश में करीब 20 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन हैं, जिनमें से करीबन 15 प्रतिशत स्मार्ट फोन हैं, जिनपर इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। ये आंकड़े अपने आप में बहुत व्यापक नजर आते हैं। लेकिन, जब 1.2 अरब की आबादी के नजरिए से देखा जाए तो ये उतने व्यापक नजर नहीं आते। इसलिए जब डिजिटल मीडिया को एक सहायक माध्यम के तौर पर देखा जाता है, तो आश्चर्य नहीं होता है। हालांकि, यह बात सोचने की है कि क्या हमारे पास इस विस्तार को मापने का सही पैमाना है और क्या पहुंच के मामले में डिजिटल मीडिया बहुत जल्द बड़ा स्वरूप ग्रहण कर लेगा?
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