Friday, September 20, 2024
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आत्मरक्षा के गुर, जीवन जीने की कला और परस्पर संवाद जैसी कलाओं को सीखकर सशक्त बनी नन्हीं बालिकाएं

पवन कुमार गुप्ता: रायबरेली। ‘नन्हीं पहचान, छूना है आसमान’ की दृढ़ इच्छाशक्ति लेकर एनटीपीसी ऊंचाहार में आयोजित बालिका सशक्तिकरण कार्यशाला में आसपास के गांवों की जिन बालिकाओं ने प्रतिभाग किया, प्रशिक्षण के पश्चात आयोजित सांस्कृतिक संध्या में इन बालिकाओं ने अपनी कलात्मक क्षमता तथा कौशल के सभी आयामों को प्रदर्शित करके कार्यशाला की सार्थकता और अपने संकल्प की सिद्धि का सशक्त प्रदर्शन किया।
बालिका सशक्तिकरण कार्यशाला का सत्र 2023 समाप्त होने पर बालिकाओं की प्रतिभा और मेधा का आंकलन करने के लिए एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभाग कर रही बालिकाओं ने विभिन्न विषयों को लेकर प्रदर्शित नृत्य-नाटिका का मंचन, योग पर आधारित शक्ति प्रदर्शन तथा अन्य समसामयिक विषयों पर आयोजित गीत व नृत्य के कार्यक्रमों ने संपूर्ण जनमानस को भाव-विभोर कर दिया। थोड़ी देर के लिए ऐसा लगा कि जैसे ये गांव की सिर्फ नन्हीं बालिकाएं ही नहीं रहीं बल्कि ये सभी क्षेत्रों में पारंगत ऐसी बालिकाएं बन चुकी हैं, जो किसी भी क्षेत्र में अपने घर, समाज व देश का नाम रौशन करने में सक्षम हैं।
इन बालिकाओं ने प्रकृति संरक्षण के लिए पंचतत्व पर आधारित नृत्य-नाटिका के माध्यम से लोगों को ये संदेश दिया कि धरती, आकाश, अग्नि, वायु व जल मानव जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा इन बालिकाओं ने प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए आत्मरक्षा के गुर, जीवन जीने की कला, परस्पर संवाद, भाषण कला, नृत्य कला तथा पढ़ाई-लिखाई एवं कौशल विकास के अन्य उपक्रम का जीवंत प्रदर्शन करके एनटीपीसी द्वारा आयोजित बालिका सशक्तिकरण अभियान को शक्ति प्रदान की।
समारोह में ऊंचाहार परियोजना के कार्यकारी निदेशक अभय कुमार समैयार ने बालिकाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आसपास की प्रतिभाशाली ग्रामीण बालिकाओं के संपूर्ण विकास का संकल्प अब एनटीपीसी के लिए केवल सामाजिक दायित्व का ही कार्यक्रम नहीं है बल्कि ये हमारे लिए भावनात्मक लगाव का विषय बन चुका है। श्री समैयार ने कहा कि ये बालिकाएं जीवन में आगे बढ़ेंगी तो इनके अभिभावकों के साथ-साथ एनटीपीसी का नाम भी रौशन होगा।
प्रियदर्शिनी लेडीज़ क्लब की अध्यक्षा मनीषा समैयार ने बालिकाओं के प्रति अपना वात्सल्य प्रदर्शित करते हुए कहा कि प्रतिभाग करने वाली बालिकाओं तथा उनके माता-पिता की मैं आभारी हूं कि उन्होंने एनटीपीसी पर विश्वास व्यक्त किया और हमें अपनी बालिकाओं को सौंपा ताकि हम उन्हें प्रशिक्षित कर पाएं।
सांस्कृतिक संध्या का संपूर्ण संचालन इन्हीं बालिकाओं ने किया। सीएसआर की प्रबंधक स्नेहा त्रिपाठी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
एक माह के प्रशिक्षण के दौरान इन बालिकाओं के साथ एनटीपीसी कर्मचारियों के ऐसे भावनात्मक रिश्ते बनें कि जब ये बालिकाएं कार्यशाला संपन्न होने के बाद जाने लगीं तो इस अवसर पर बालिकाएं और उनके साथ जुड़े एनटीपीसी कर्मचारी भाव विह्वल हो उठे और उनकी आंखें भर आईं। कुछ क्षण के लिए ऐसा लगा मानों ये बालिकाएं उनकी अपनी बच्चियां हैं और उनके जाने से उनका घर-आंगन सूना हो रहा है।
सभी बालिकाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिए गए। ढोल-नगाड़ों के साथ परियोजना प्रमुख श्री समैयार तथा श्रीमती मनीषा समैयार ने बच्चियों को रंग-गुलाल लगाकर उन्हें उनके अभिभावकों को सौंपा। इस अवसर पर बालिकाओं के अभिभावक भी एनटीपीसी के प्रति कृतज्ञ भाव प्रदर्शित करते दिखे।