फिरोजाबाद। जय भोले सेवा समिति के तत्वाधान में गोपाल आश्रम में चल रही शिवमहापुराण में पंचाक्षर मंत्र की उत्पत्ति एवं शकीर की कथा का हुआ वर्णन। कथा व्यास शिवदास राघवाचार्य ने कहा कि जब ब्रहमा का अभियान टूट, तब भगवान शिव की शक्ति से एक ज्योति स्तम्भ प्रकट हुआ। त्योति स्तम्भ से पहला शिवलिंग आनंद वन काशी में विश्वेश्वरनाथ ज्योतिलिंग उत्पन्न हुआ। भगवान विष्णु और ब्रहमा ले ज्योतिलिंग की पूजा अर्चना की। जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए, उनके मुख से ऊॅ शब्द की उत्पत्ति हुई। ऊॅ ही पंचाक्षर मंत्र ऊॅ नमः शिवाय की उत्पत्ति हुई। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को घर में शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए। शिव के बिना सब कुछ अपूर्ण है। शिव के साथ सारी सृष्टि सम्पूर्ण है। घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिष्ठा से समस्त दुख दर्द, कष्ट दूर हो जाते है। प्रदोष का वृत्त करने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। सांयकाल के समय भगवान शिव का पूजन सर्वोत्तम होता है। शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान शिव आपके साथ हो जाते है। शिवकथा में सुरेश चंद्र शर्मा, मुनीशानंद, रिषभ गर्ग, कपिल बंसल, अंकिता भारद्वाज, अंश भारद्वाज, शिवाय शर्मा, आलोक अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
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